हालिया रिपोर्टों के अनुसार नैनी झील का जलस्तर रिकॉर्ड 4.7 फीट तक गिर गया है जो पिछले पाँच वर्षों में न्यूनतम है। जलस्तर में इस गिरावट के बाद संभावित जल संकट को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है।

नैनी झील के बारे में
- अवस्थिति : यह एक मीठे पानी की झील है जो उत्तराखंड के कुमाऊँ में नैनीताल शहर के बीच में स्थित है।
- झील के उत्तरी छोर को मल्लीताल कहा जाता है जबकि दक्षिणी छोर को तल्लीताल कहा जाता है।
- निर्माण : झील बेसिन का निर्माण टेक्टॉनिक गतिविधि के परिणामस्वरूप हुआ था।
- पौराणिक महत्व : झील के किनारे प्रसिद्ध नैना देवी मंदिर है जो प्रमुख ‘शक्तिपीठों’ में से एक है।
- ऐसा माना जाता है कि देवी सती (भगवान शिव की पत्नी) की बाईं आँख (नैन) यहाँ गिरी थी, इसीलिए झील का आकार आँख की तरह है।
झील के जलस्तर में गिरावट का कारण
- कम बर्फबारी : इस वर्ष शीतकाल में केवल दो बार ही बर्फबारी हुई, जो झील में पानी पुनर्भरण के लिए पर्याप्त नहीं थी।
- भूमिगत जल की कमी : भूमिगत जल की कमी को भी इसका एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।
- भूमिगत जल में कमी का प्रमुख कारण निर्माण कार्यों के लिए हिमालयी ओक (बांज) के वृक्षों की कटाई माना जाता है जो अपनी विशेष जल-धारण क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं।
- इसके अलावा पहले सभी घरों में वर्षा जल संचयन प्रणाली या ‘पटनाला’ लगा होता था जो भूजल स्तर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण होता था।
- अन्य कारण : वनों की कटाई, झील के जलग्रहण क्षेत्र में अनियमित निर्माण और प्राकृतिक पुनर्भरण क्षेत्रों में कंक्रीट और बारिश में कमी जैसी स्थितियाँ भी इसके लिए जिम्मेदार है।