प्रारंभिक परीक्षा
(पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन; समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय)
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संदर्भ
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने 16 अक्तूबर, 2024 को नई दिल्ली में ‘अनुचित जलवायु; ग्रामीण गरीबों, महिलाओं एवं युवाओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मापन’ (The unjust climate; Measuring the impacts of climate change on rural poor, women, and youth) रिपोर्ट प्रस्तुत की।
रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु
- इस रिपोर्ट का उद्देश्य विविध ग्रामीण आबादी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का विश्लेषण करना है।
- इस रिपोर्ट में 24 देशों के 1,09,341 ग्रामीण परिवारों से एकत्रित सामाजिक-आर्थिक डाटा को मिलाकर एक नया एवं विशाल डाटासेट तैयार किया हैं, जो 950 मिलियन से अधिक व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- आय क्षति : वैश्विक स्तर पर गरीब (Poor) परिवार को ग्रीष्म जनित तनाव के कारण एक औसत वर्ष में अपनी कुल आय की 5% और बाढ़ के कारण 4.4% की क्षति होती है, जबकि तुलनात्मक रूप से अमीर या गैर-गरीब (Non-poor) परिवार के साथ ऐसा नहीं होता है।
- आय अंतर में वृद्धि : वैश्विक स्तर पर बाढ़ के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब एवं गैर-गरीब परिवारों के बीच आय का अंतर लगभग प्रतिवर्ष $21 बिलियन बढ़ गया है और गर्मी के कारण होने वाला आय का अंतर प्रतिवर्ष $20 बिलियन से अधिक हो गया है।
- तापमान वृद्धि का प्रभाव : औसत दीर्घकालिक तापमान में 1°C की वृद्धि से गरीब परिवारों की कृषि आय में 53% की वृद्धि होती है और गैर-गरीब परिवारों की तुलना में उनकी गैर-कृषि आय में 33% की कमी आती है।
- भारतीय संदर्भ : इस रिपोर्ट में भारत में कृषि आबादी पर जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों के बारे में चेतावनी दी गई है।
- जलवायु तनाव के प्रकार के आधार पर भारत में ग्रामीण गरीबों की कृषि आय स्रोत अलग-अलग तरीकों से प्रभावित होते हैं।
- सूखे या बाढ़ जैसी घटनाओं के मामले में गरीब परिवार जीवन-यापन के लिए कृषि उत्पादन में अधिक समय एवं संसाधन समर्पित करते हैं क्योंकि कृषि से बाहर रोजगार के अवसर कम हो जाते हैं।
- गरीब परिवारों की जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता संरचनात्मक असमानताओं में निहित होने की संभावना रहती है।
रिपोर्ट में सुझाए गए उपाय
- रिपोर्ट में सरकार से सामाजिक सुरक्षा तंत्र का विस्तार करने जैसे नीतिगत उपाय करने को कहा गया है।
- रिपोर्ट में सुझाव है कि चरम मौसम की घटना की आशंका में पूर्वानुमानित सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को बढ़ाकर अधिक लाभार्थियों तक पहुँचाया जाना चाहिए।
- चरम मौसम की घटनाओं से पूर्व प्रभावी आजीविका सहायता प्रदान करने से प्रतिकूल मुकाबला रणनीतियों पर निर्भरता कम करने और इन घटनाओं के कारण गरीबी में जाने वाले लोगों की संख्या को सीमित करने में मदद मिल सकती है।
- इस रिपोर्ट में कार्यबल विविधीकरण में सुधार और गैर-कृषि रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
- आधुनिक कार्यबल में प्रभावी भागीदारी के लिए सामाजिक-भावनात्मक कौशल को मजबूत करने के लिए मेंटरशिप कार्यक्रम एवं पहल आवश्यक हैं।
- नीति-निर्माताओं से गैर-कृषि रोजगार में ‘लिंग आधारित बाधाओं’ को दूर करने का आग्रह किया गया है।
भारत का पक्ष
- भारत जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से निपटने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है।
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षणों के अनुसार, भारतीय कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- भारत ने जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए फरवरी 2011 में ही राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि नवाचार को लागू कर दिया था।
- इस परियोजना ने किसानों को गंभीर जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल ढलने में मदद की। भारत सभी फसलों के लिए ऐसा करने वाले दुनिया का पहला देश था।
- भारत के पास सभी कृषि जिलों के लिए आकस्मिक योजना भी है।
- सामाजिक सुरक्षा तंत्र के रूप में रोजगार गारंटी योजना मनरेगा को लागू करने वाला भारत पहला देश था।
FAO के बारे में
- क्या है : भूख का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी
- स्थापना : कनाडा के क्यूबेक शहर में 16 अक्तूबर, 1945 को
- इसे नव निर्मित संयुक्त राष्ट्र के पहले सत्र में स्थापित किया गया था।
- आदर्श वाक्य : सभी के लिए रोटी उपलब्ध हो (Let There Be Bread)
- मुख्यालय : रोम (इटली) (वर्ष 1951 में वाशिंगटन DC से स्थानांतरित)
- लक्ष्य : सभी के लिए खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना और लोगों को सक्रिय व स्वस्थ जीवन जीने के लिए पर्याप्त उच्च गुणवत्ता वाले भोजन तक नियमित पहुंच सुनिश्चित करना
- सदस्यता : 195 सदस्य (194 देश और यूरोपीय संघ)
- वर्तमान महानिदेशक : डॉ. कू डोंग्यू (चीन)
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