चर्चा में क्यों
हाल ही में, ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत कृषि मंत्रालय ने ‘किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी’ अभियान का आयोजन किया।
किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी अभियान
- सप्ताह भर चले इस अभियान के अंतर्गत कृषि मंत्रालय, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (DARE) और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कृषक समुदाय के लिये विभिन्न योजनाओं और उनके लाभों के बारे में व्यापक जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया।
- इस अभियान के अंतर्गत विभिन्न मंत्रालय और विभागों ने जैव-फोर्टिफिकेशन, पोषक अनाज, बाजरा की खेती तथा फसल विविधीकरण पर अनेक कार्यकलापों का आयोजन भी किया। साथ ही, किसानों को नकदी फसलों की खेती के लाभ के बारे में जागरूक करने के लिये किसान गोष्ठी कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
- इसके अलावा, ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’ (PM Formalisation of Micro Food Processing Enterprises Scheme : PM-FME) के तहत जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले में अखरोट के प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन पर ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ओ.डी.ओ.पी.) आधारित कार्यशाला का आयोजन भी किया गया। विदित है कि ओ.डी.ओ.पी. कार्यशाला, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की एक विशेष पहल है।
पी.एम.एफ.एम.ई. योजना
यह आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत शुरू की गई एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
उद्देश्य
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित वर्ग में मौजूदा वैयक्तिक सूक्ष्म-उद्यमों की प्रतिस्पर्धा क्षमता को बढ़ाना तथा इस क्षेत्र के औपचारिकीकरण को प्रोत्साहन देना है। साथ ही किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों व उत्पादक सहकारिताओं सहित पूरी मूल्य शृंखला को समर्थन देना है।
वित्तीय प्रावधान
- इस संबंध में वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक की पाँच वर्ष की अवधि के लिये 10 हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
- योजना के तहत दो लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को सीधे मदद मिलेगी, जिसमें वित्तीय, तकनीकी और व्यापारिक मदद शामिल है। यह मदद मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिये ही दी जाएगी।