
- फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR) एक विशेष प्रकार का nuclear reactor (नाभिकीय रिएक्टर) होता है, जो बिजली उत्पादन के दौरान जितना nuclear fuel (नाभिकीय ईंधन) उपयोग करता है, उससे अधिक ईंधन उत्पन्न करता है।
- इसी विशेषता के कारण इसे "ब्रीडर" (breeder - पालक) कहा जाता है, क्योंकि यह खुद ही नया ईंधन तैयार कर सकता है।
Fast Neutrons (तेज़ न्यूट्रॉन):
- FBR में fast neutrons (तेज़ न्यूट्रॉन) का उपयोग किया जाता है।
- ये thermal neutrons (धीमे न्यूट्रॉन) की तुलना में अधिक ऊर्जा वाले न्यूट्रॉन होते हैं।
- ये तेज न्यूट्रॉन Uranium-238 को Plutonium-239 में परिवर्तित (convert) कर देते हैं।
- Plutonium-239 एक fissile material (विखंडनीय पदार्थ) है, जिसका उपयोग फिर से रिएक्टर में ईंधन के रूप में किया जा सकता है।
- इस प्रक्रिया से रिएक्टर ज्यादा कुशल (fuel-efficient) हो जाता है क्योंकि यह उपयोग से अधिक ईंधन तैयार करता है।
Fuel Type (ईंधन का प्रकार):
FBR में Uranium-Plutonium Mixed Oxide (MOX) fuel का प्रयोग किया जाता है।
- MOX फ्यूल एक मिश्रण (mixture) होता है Uranium और Plutonium का।
यह मिश्रण रिएक्टर के लिए स्थायी और पुनः उपयोग योग्य ईंधन प्रदान करता है।
Fuel Conversion (ईंधन रूपांतरण):
- FBR के कोर (core) के चारों ओर Uranium-238 की परत (blanket) लगाई जाती है।
- जब तेज न्यूट्रॉन इस परत से टकराते हैं, तो nuclear transmutation (नाभिकीय रूपांतरण) की प्रक्रिया होती है।
- इस प्रक्रिया में Uranium-238, Plutonium-239 में परिवर्तित हो जाता है, जो एक नया fissile fuel होता है।
PFBR (प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर) का परिचयPFBR (Prototype Fast Breeder Reactor)
- भारत का पहला स्वदेशी (indigenous) Fast Breeder Reactor है। यह भारत के तीन-स्तरीय नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम (Three-Stage Nuclear Power Program) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- इसे भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (BHAVINI) द्वारा संचालित किया जाता है, जो Department of Atomic Energy (DAE) के अंतर्गत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (Public Sector Enterprise) है।
- मुख्य जानकारी (Key Details):
- स्थान (Location): कलपक्कम, तमिलनाडु (Kalpakkam, Tamil Nadu)
- संचालन (Operation): BHAVINI द्वारा, परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के तहत
- उद्देश्य: विद्युत उत्पादन के साथ-साथ नया नाभिकीय ईंधन (nuclear fuel) तैयार करना
PFBR का महत्व (Significance of PFBR):
ऊर्जा उत्पादन (Energy Generation):
- PFBR भारत को ऊर्जा संसाधनों (energy resources) का अधिकतम उपयोग करने में सक्षम बनाता है।
- यह न केवल बिजली उत्पन्न करता है, बल्कि साथ में नया नाभिकीय ईंधन भी तैयार करता है, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा (energy security) बढ़ती है।
तीन-स्तरीय परमाणु कार्यक्रम का दूसरा चरण (Second Stage of Nuclear Program):
- PFBR की शुरुआत भारत के तीन-स्तरीय परमाणु कार्यक्रम के दूसरे चरण की शुरुआत को दर्शाती है।
- इस चरण में Plutonium-239 और Uranium-238 का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
- FBR तकनीक के ज़रिए Uranium-238 को Plutonium-239 में बदला जाता है, जो फिर से उपयोग किया जा सकता है।
थोरियम आधारित ऊर्जा की दिशा में पहला कदम (Towards Thorium-Based Energy):
- भारत के पास Thorium (थोरियम-232) के विशाल भंडार हैं।
- PFBR का संचालन थोरियम आधारित तीसरे चरण की तैयारी के रूप में देखा जा सकता है।
- तीसरे चरण में Thorium-232 को Uranium-233 में परिवर्तित किया जाएगा, जो आगे reactor fuel के रूप में उपयोग होगा।
भारत का तीन-स्तरीय नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम(India’s Three-Stage Nuclear Power Program)
- परिकल्पना (Designed by): डॉ. होमी जे. भाभा (Dr. Homi J. Bhabha)
- उद्देश्य (Objective): भारत के सीमित यूरेनियम (Uranium) भंडार का अधिकतम उपयोग करना और थोरियम (Thorium) के विशाल भंडार को ऊर्जा उत्पादन में लाना।
- तीन चरणों की संरचना (Structure of the 3 Stages):
- चरण 1:प्रकार: Pressurized Heavy Water Reactors (PHWRs)
ईंधन (Fuel): प्राकृतिक यूरेनियम (Natural Uranium – U-235 & U-238)
उद्देश्य: प्रारंभिक नाभिकीय ऊर्जा ढांचे का निर्माण (Establish initial nuclear infrastructure)प्लूटोनियम-239 (Plutonium-239) का उत्पादन करना (through reprocessing of spent fuel)
- चरण 2: प्रकार: फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (Fast Breeder Reactors - FBRs)
ईंधन: प्लूटोनियम-239 (Plutonium-239) + यूरेनियम-238 (Uranium-238)
प्रक्रिया (Process):
- FBRs तेज न्यूट्रॉन (Fast Neutrons) का उपयोग करते हैं
- यूरेनियम-238 को पुनः उपयोग योग्य ईंधन (Fissile Fuel) – प्लूटोनियम-239 में बदलते हैं
- ईंधन का उत्पादन (Breeding of Fuel) इस चरण का मुख्य उद्देश्य है
- चरण 3:प्रकार: थोरियम आधारित रिएक्टर (Thorium-Based Reactors)
ईंधन: यूरेनियम-233 (Uranium-233), जो थोरियम-232 (Thorium-232) से उत्पन्न होता है
महत्त्व:
- भारत के विशाल थोरियम भंडार का उपयोग (Utilization of India’s vast Thorium reserves)
- परमाणु ईंधन में आत्मनिर्भरता (Self-sufficiency in nuclear fuel)
परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (Atomic Energy Regulatory Board - AERB)
- स्थापना (Established): वर्ष 1983, परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962 (Atomic Energy Act, 1962) के तहत
- उद्देश्य (Mission): सुरक्षित और नियंत्रित तरीके से परमाणु ऊर्जा और विकिरण (Radiation) का उपयोग सुनिश्चित करना, जिससे लोगों और पर्यावरण पर कोई अनावश्यक जोखिम (Undue Risk) न हो।
AERB की मुख्य भूमिकाएं (Key Roles of AERB):
- नियमन (Regulation): सभी परमाणु संयंत्रों (Nuclear Installations) और विकिरण स्रोतों की सुरक्षा मानकों के अनुसार निगरानी
- मानक तय करना (Setting Safety Standards): परमाणु सुरक्षा के लिए सख्त दिशा-निर्देश (Stringent Guidelines) तैयार करना
- सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना (Public Safety):
आयनीकरण विकिरण (Ionizing Radiation) से लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
विशेष बिंदु (Key Points):
- AERB, परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के अंतर्गत कार्य करता है, लेकिन इसके पास स्वतंत्र निगरानी शक्तियाँ (Independent Regulatory Powers) हैं।
- यह परमाणु संयंत्रों के निर्माण, संचालन और बंद करने (Construction, Operation & Decommissioning) की पूरी प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
भारत में थोरियम भंडार(Thorium Reserves in India)
- भारत के पास विश्व के कुल थोरियम अयस्क (Thorium Ores) का लगभग 25% हिस्सा है।
- थोरियम मुख्य रूप से कोस्टल इलाकों (Coastal Areas) और नदी के किनारे (Riverbeds) की रेत में पाया जाता है।
- भारत में थोरियम युक्त रेत को मोनाज़ाइट (Monazite) कहा जाता है।
थोरियम की प्रमुख उपस्थिति (Major States with Thorium Reserves):
- केरल (Kerala)
- तमिलनाडु (Tamil Nadu)
- ओडिशा (Odisha)
- आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh)
- पश्चिम बंगाल (West Bengal)
- झारखंड (Jharkhand)
ये राज्य तटीय क्षेत्रों (Coastal States) में स्थित हैं और वहाँ की समुद्री रेत (Beach Sand) थोरियम में समृद्ध है।
थोरियम का भविष्य में उपयोग (Future Use of Thorium):
- भारत के पास मौजूद विशाल थोरियम भंडार (Vast Thorium Reserves), भविष्य की नाभिकीय ऊर्जा सुरक्षा (Nuclear Energy Security) सुनिश्चित करने में सहायक हो सकते हैं।
- भारत का लक्ष्य है कि थोरियम आधारित रिएक्टर्स (Thorium-Based Reactors) का विकास कर ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता (Energy Self-Sufficiency) प्राप्त की जाए।
- यह कदम भारत को वैश्विक ऊर्जा स्थिरता (Global Energy Sustainability) में योगदान देने वाला देश बना सकता है।
काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र(Kakrapar Nuclear Power Plant - KAPP)
स्थान (Location): गुजरात (Gujarat)
यूनिट-4 (KAPP-4):यह भारत का अत्याधुनिक नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र (Nuclear Power Plant) है।
- इसकी उत्पादन क्षमता (Power Capacity) 700 मेगावाट (MW) है और यह पूरी क्षमता से कार्य कर रहा है।
- यह स्वदेशी तकनीक (Indigenously Designed) पर आधारित है, जो भारत की वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
रिएक्टर का प्रकार (Type of Reactor):
- Pressurized Heavy Water Reactor (PHWR)
- इसमें ईंधन के रूप में प्राकृतिक यूरेनियम (Natural Uranium) का उपयोग किया जाता है और मॉडरेटर (Moderator) के रूप में भारी जल (Heavy Water - D₂O) का प्रयोग होता है।
प्रमुख विशेषताएँ (Key Advantages):
- KAPP-4 में थर्मल मार्जिन (Thermal Margin) को बढ़ाया गया है, जिससे रिएक्टर अधिक सुरक्षित और स्थिर ढंग से कार्य करता है।
- थर्मल मार्जिन वह अंतर (Difference) होता है जो रिएक्टर के वास्तविक तापमान और अधिकतम अनुमत तापमान के बीच होता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि संयंत्र सुरक्षित संचालन (Safe Operation) करे, भले ही अचानक तापमान में वृद्धि हो।