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फास्टर प्रणाली 

चर्चा में क्यों

हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना ने ‘फास्टर’ नामक एक डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। ‘फास्टर’ का पूर्ण रूप ‘इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का त्वरित एवं सुरक्षित प्रसारण' (Fast and Secured Transmission of Electronic Records : FASTER) है।

फास्टर प्रणाली

  • यह प्रणाली सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश, स्थगन आदेश, जमानत आदेश और कार्यवाही आदि के रिकॉर्ड की ई-प्रमाणित प्रतियों को एक सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक संचार चैनल के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को संप्रेषित करने के लिये एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
  • यह प्रणाली त्वरित और सुगम न्याय व्यवस्था की स्थापना में सहायक होगी। न्यायालय के आदेशों की समय पर डिलीवरी से अनावश्यक गिरफ्तारी और हिरासत को भी रोका जा सकेगा।
  • न्यायालय के आदेशों के सुचारू प्रसारण तथा अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त जीवन के अधिकार के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
  • हालाँकि, इंटरनेट कनेक्शन की समस्या इसके लिये एक चुनौती साबित हो सकती है।

फास्टर सेल 

  • इस प्रणाली के लिये देश भर में कुल 1,887 ई-मेल आई.डी. (e-mail IDs) बनाए गए हैं और सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में एक ‘फास्टर सेल’ की स्थापना की गई है। फास्टर प्रणाली को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के सहयोग से रजिस्ट्री द्वारा विकसित किया गया है।
  • यह सेल, न्यायालय द्वारा पारित जमानत एवं रिहाई से संबंधित कार्यवाही या आदेशों के डिजिटल हस्ताक्षरित रिकॉर्ड को संबंधित नोडल अधिकारियों को ई-मेल के माध्यम से प्रेषित करेगा।
  • मुख्य न्यायाधीश के अनुसार, निकट भविष्य में इस परियोजना के दूसरे चरण में सर्वोच्च न्यायालय इस प्रणाली के माध्यम से सभी रिकॉर्ड को पूरी तरह से प्रेषित करने में सक्षम होगा, जिसमें हार्ड कॉपी को भी साझा करने की आवश्यकता होती है।
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