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एफएटीएफ पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट

सदंर्भ 

मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण पर नजर रखने वाली वैश्विक वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force : FATF) ने भारत के लिए पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की है।
इस रिपोर्ट से पहले, एफएटीएफ ने जून 2010 में भारत के लिए एक मूल्यांकन किया था और भारत को "नियमित अनुवर्ती" श्रेणी में रखा गया था, लेकिन बाद में जून 2013 में एक अनुवर्ती रिपोर्ट के बाद इसे हटा दिया गया।

एफएटीएफ और भारत

  • वित्तीय कार्रवाई कार्य बल पेरिस स्थित एक अंतरसरकारी संगठन हैं, जिसका गठन 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के उपायों की जांच और विकास के लिए G7 पहल के रूप में किया गया था। 
  • एफएटीएफ मुख्य रूप से वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण की निगरानी करने का कार्य करता है। 
    • 2001 में, एफएटीएफ ने आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिए अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार किया।
  • 40 सदस्यीय इस निकाय ने देशों को अवैध वित्तीय प्रवाह से निपटने में मदद करने के लिए उपायों की एक रूपरेखा तैयार की है। इस रूपरेखा में शामिल 40 अनुशंसाओं को सात अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित किया गया है:
    •  मनी-लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद-वित्तपोषण विरोधी (AML/CFT) नीतियां और समन्वय
    • मनी लॉन्ड्रिंग और जब्ती
    • आतंकवादी और आतंक के प्रसार का वित्तपोषण
    • निवारक उपाय
    • कानूनी व्यक्तियों और व्यवस्थाओं की पारदर्शिता और लाभकारी स्वामित्व
    • सक्षम अधिकारियों की शक्तियां और जिम्मेदारियां और अन्य संस्थागत उपाय
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।
  • गैरतलब है कि, भारत 2020 में एफएटीएफ का सदस्य बना था। 

एफएटीएफ पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट

  • एफएटीएफ यह सुनिश्चित करने के लिए देशों की निगरानी करता है कि वे एफएटीएफ मानकों को पूरी तरह और प्रभावी ढंग से लागू करें।
  • पारस्परिक मूल्यांकन, देश की गहन रिपोर्ट हैं, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के प्रसार के वित्तपोषण के खिलाफ उठाए गए उपायों के कार्यान्वयन और प्रभावशीलता का विश्लेषण प्रस्तुत किया जाता है।
  • यह रिपोर्ट पारस्परिक समीक्षा प्रस्तुत करती है, जिसमें विभिन्न सदस्य देशों का परस्पर मूल्यांकन किया जाता है। 
    • विश्लेषण के बाद, पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट में किसी देश की धन शोधन निरोधक और आतंकवाद निरोधक वित्तपोषण प्रणाली को और मजबूत करने के लिए सिफारिशें भी प्रस्तुत की जाती हैं।

भारत की रैंकिंग का महत्व

  • इस रिपोर्ट में भारत को “नियमित अनुवर्ती” (regular follow-up) रैंकिंग प्रादान की गई है, जो भारत के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है।
  • वर्तमान में नियमित अनुवर्ती रैंकिंग केवल चार अन्य G20 देशों - यूके, फ्रांस, इटली और रूस (फरवरी 2023 में FATF से निलंबित) द्वारा साझा की जाती है। 
  • अधिकांश विकासशील देश “बढ़ी हुई अनुवर्ती” श्रेणी में हैं, जिसके लिए वार्षिक आधार पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है, जबकि “नियमित अनुवर्ती” श्रेणी में तीन साल में एक बार रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है। 

भारत के लिए चुनौतियां 

  • एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के मुख्य स्रोत देश के भीतर से ही आते हैं और देश को पूर्वोत्तर और उत्तर में क्षेत्रीय विद्रोह और वामपंथी उग्रवादी समूहों से आतंकवाद के “अलग-अलग प्रकार” के खतरों का सामना करना पड़ रहा है। 
  • “सबसे अधिक” आतंकी खतरे जम्मू और कश्मीर में और उसके आसपास सक्रिय इस्लामिक स्टेट या अल-कायदा से जुड़े समूहों से संबंधित प्रतीत होते हैं।
  • भारत में धन शोधन का सबसे बड़ा जोखिम साइबर-सक्षम धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और मादक पदार्थों की तस्करी सहित धोखाधड़ी से संबंधित है।

सुधार के क्षेत्र 

  • एफएटीएफ ने सुधार के लिए कई क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया: 
    • सीमित संख्या में अभियोजन और दोषसिद्धि, 
    • वित्तीय संस्थानों के ग्राहकों की जोखिम-प्रोफाइलिंग, 
    • सटीक स्वामित्व जानकारी की उपलब्धता के लिए कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) रजिस्ट्री की निगरानी, ​​
    • मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी के बीच संबंध 
  • गैर-लाभकारी संगठनों की निगरानी :  भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस क्षेत्र को आतंकी वित्तपोषण के लिए दुरुपयोग से बचाने के उपायों को लागू किया जाए।
  • अभियोजन और दोषसिद्धि : 2018 से 2023 के बीच में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) केवल 28 मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में दोषसिद्धि सुनिश्चित करने में सक्षम हुआ है। मामलों की शिकायत दर्ज करने और उसका निपटान करने में देरी नही होनी चाहिए 
    • भारत को मनी लोंड्रिंग मामलों में लंबित परीक्षणों की संख्या को नए परीक्षणों और बैकलॉग दोनों के लिए कम करने का लक्ष्य रखना चाहिए, अदालत की क्षमता बढ़ाने के लिए बड़े बदलाव करके मनी लॉन्ड्रिंग मामलों से जुड़े दोषसिद्धि की कम संख्या को संबोधित करना और दोषसिद्धि-आधारित जब्ती को बढ़ाना चाहिए।   
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