वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में वित्तीय क्षेत्र सुधारों के तहत बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को मौजूदा 74% से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव रखा था।
इसका अर्थ है कि अब विदेशी कंपनियां भारतीय बीमा कंपनियों में 100% तक हिस्सेदारी खरीद सकती हैं।
इसके लिए विधेयक के मसौदे को मंजूरी के लिए जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजेगा।
यह बढ़ी हुई सीमा उन कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी जो अपना पूरा प्रीमियम भारत में निवेश करेंगी।
FDI से जुड़ी मौजूदा बाधाओं और शर्तों की समीक्षा की जाएगी तथा उन्हें सरल बनाया जाएगा।
इसका उद्देश्य:
विदेशी निवेश आकर्षित करना
बाज़ार की पहुंच बढ़ाना
वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना
FDI सीमा बढ़ाने के लिएअधिनियमों में आवश्यक संशोधन:
बीमा अधिनियम 1938
जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956
बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999
बीमा क्षेत्र में FDI सीमा में अब तक हुए प्रमुख बदलाव:
2015 में, सरकार ने बीमा क्षेत्र में FDI सीमा 26% से बढ़ाकर 49% कर दी थी।
2021 में, यह सीमा 49% से बढ़ाकर 74% कर दी गई थी।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI):
यह एक देश से दूसरे देश में पूंजी का प्रवाह है।
इसमें निवेशक अपने देश के बाहर स्थित कंपनियों या परियोजनाओं में निवेश करते हैं।
बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने के लाभ:
FDI की सीमा बढ़ने से बीमा कंपनियों को अधिक पूंजी उपलब्ध होती है।
इसका उपयोग वे अपने व्यवसाय का विस्तार करने, नई तकनीकें अपनाने आदि में कर सकती हैं।
विदेशी कंपनियों के आने से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है।
इससे ग्राहकों को बेहतर सेवाएं और कम कीमतों पर उत्पाद उपलब्ध होते हैं।
विदेशी कंपनियां अपने साथ नई तकनीकें और बेहतर व्यवसायिक रणनीतियां लाती हैं।
बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में भी मदद करता है।
प्रश्न. हाल ही के बजट भाषण में बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा को 74% से बढ़ाकर कितना करने का प्रस्ताव किया गया है?