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उर्वरक सब्सिडी की कार्यप्रणाली

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता)

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार किसी फसली मौसम के दौरान किसी एक किसान द्वारा व्यक्तिगत रूप से खरीदे जा सकने वाले उर्वरक के बोरों (Fertilizer Bags) की संख्या को सीमित करने की योजना पर विचार कर रही है।

उर्वरक सब्सिडी

  • किसान अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर उर्वरक खरीदते हैं। यह मूल्य उर्वरक की सामान्य आपूर्ति और मांग-आधारित बाज़ार दरों से कम या उनका उत्पादन/आयात करने में होने वाले खर्च से कम होता है।
  • उदाहरणस्वरूप, नीम-कोटेड यूरिया के संदर्भ में केंद्र द्वारा उसके मूल्य को निश्चित कर दिया जाता है, जबकि इसके घरेलू निर्माताओं और आयातकों का ‘औसत लागत-सह-मूल्य’ इसके निर्धारित मूल्य से अधिक होता है। इस प्रकार होने वाले अंतर को केंद्र द्वारा सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जाता है। संयंत्र-आधारित उत्पादन लागत और आयात मूल्य के अनुसार यह अंतर भिन्न-भिन्न होता है।
  • गैर-यूरिया उर्वरकों की एम.आर.पी. कम्पनियों द्वारा विनियंत्रित या तय की जाती है। हालाँकि, केंद्र द्वारा इन पोषक तत्वों पर एक प्रकार से सीधी सब्सिडी (Flat Subsidy) का भुगतान यह सुनिश्चित करने के लिये किया जाता है कि उनकी कीमत ‘उचित स्तर’ पर बनी रहे।

सब्सिडी के भुगतान का तरीका और पात्र

  • सब्सिडी उर्वरक कम्पनियों को प्रदान की जाती है, हालाँकि इसका अंतिम लाभार्थी किसान है, जो बाजार निर्धारित दरों से कम एम.आर.पी. का भुगतान करता है।
  • हाल के समय तक, कम्पनियों को उनके द्वारा बैग्ड सामग्री (Bagged Material) को किसी ज़िले के रेलहेड पॉइंट या स्वीकृत गोदाम में भेजे जाने के बाद भुगतान किया जाता था।
  • मार्च 2018 से ‘प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण’ (डी.बी.टी.) प्रणाली के प्रारंभ के साथ कम्पनियों को सब्सिडी का भुगतान खुदरा विक्रेताओं द्वारा किसानों को वास्तविक बिक्री के बाद ही होगा।
  • प्रत्येक रिटेलर के पास अब एक ‘पॉइंट-ऑफ-सेल’ (PoS) मशीन होती है, जिसमें बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ खरीदार का नाम और उर्वरकों की खरीदी गई मात्रा को दर्ज़ किया जाता है। यह ‘पॉइंट-ऑफ-सेल’ (PoS) मशीन उर्वरक विभाग के ‘ई-उर्वरक DBT पोर्टल’ से जुड़ी होती है।
  • सब्सिडाइज्ड उर्वरक खरीदने वाले किसानों को आधार कार्ड या किसान क्रेडिट कार्ड नम्बर की आवश्यकता होती है। ई-उर्वरक प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत होने वाली बिक्री पर ही कोई कम्पनी सब्सिडी का दावा कर सकती है।

नई भुगतान प्रणाली का अंतर्निहित उद्देश्य

  • इसका मुख्य उद्देश्य व्यपवर्तन (Diversion) पर अंकुश लगाना है। अत्यधिक सब्सिडाइज्ड होने के कारण यूरिया की हमेशा गैर-कृषि उपयोग की सम्भावना बनी रहती है।
  • नेपाल और बांग्लादेश में तस्करी किये जाने के अलावा इसका प्रयोग प्लाईवुड/पार्टिकल बोर्ड निर्माताओं द्वारा बाइंडर (ज़िल्द) के रूप में, पशु आहार निर्माताओं द्वारा सस्ते प्रोटीन स्रोत या दूध विक्रेताओं द्वारा मिलावट के लिये किया जाता है।
  • पहले की प्रणाली में लीकेज की सम्भावना अधिक थी। हालाँकि, डी.बी.टी, बॉयोमेट्रिक प्रमाणीकरण और ‘पॉइंट-ऑफ-सेल’ मशीनों के प्रयोग के कारण लीकेज में कमी आई है और बहुत कम मामलों में यह केवल खुदरे स्तर पर ही सम्भव है।

अगले प्रस्तावित कदम

  • वर्तमान नीति के अनुसार गैर-कृषकों सहित कोई भी किसी भी मात्रा में PoS मशीनों के माध्यम से उर्वरकों की खरीद कर सकता है। इससे अनपेक्षित लाभार्थी भी थोक खरीद कर सकते हैं, जो वास्तविक या पात्र किसान नहीं हैं।
  • एक समय में किसी व्यक्ति द्वारा 100 बैग खरीदे जा सकने की एक सीमा निर्धारित है परंतु खरीदारी किये जा सकने की संख्या की कोई ऊपरी सीमा नहीं है।
  • वर्तमान में खरीफ या रबी फसल के मौसम के दौरान किसी व्यक्ति द्वारा खरीदे जा सकने वाले बैगों की संख्या को निश्चित किये जाने पर विचार किया जा सकता है।

उर्वरक की आवश्यक मात्रा

  • प्राथमिक तौर पर उर्वरक की आवश्यक मात्रा फसल पर निर्भर करती है। सिंचित क्षेत्र में गेहूँ या धान उगाने वाला किसान प्रति एकड़ यूरिया के 45 किग्रा. के लगभग 3 बैग, डी.ए.पी. का 50 किग्रा. का एक बैग और पोटाश लवण (MOP) का आधा बैग (25 किग्रा.) इस्तेमाल कर सकता है।
  • इस प्रकार, उर्वरक के 100 बैग (बोरे) 20 एकड़ कृषि भूमि के लिये फसली मौसम की आवश्यकता की पूर्ति करने में सक्षम हो सकते हैं।
  • सम्भवतः यह एक उचित सीमा हो सकती है और अतिरिक्त उर्वरक की आवश्यकता की स्थिति में गैर-रियायती दरों का भुगतान करना पड़ सकता है।

कृषि उपकरणों पर कर और किसान

  • किसान इनपुट्स पर वस्तु और सेवा कर (जी.एस.टी.) का भुगतान करते हैं, जो ट्रैक्टर, कृषि उपकरणों, पम्पों और ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों पर 12% से लेकर फसल सुरक्षा रसायनों पर 18% तक है। उर्वरक पर भी 5% कर लगता है।
  • चूँकि कृषि उपज पर कोई जी.एस.टी. नहीं है, इसलिये किसान अन्य व्यापारियों की तरह अपनी बिक्री पर कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा नहीं कर सकता है।

आगे की राह

  • वर्तमान स्थिति के मद्देनज़र किसानों को फ्लैट प्रति-एकड़ नकद सब्सिडी (Flat Per-Acre Cash Subsidy) देने पर गम्भीरता से विचार किया जाना चाहिये, जिसका उपयोग वे किसी भी उर्वरक की खरीद के लिये कर सकते हैं।
  • उगाई गई फसलों की संख्या और भूमि के सिंचित या असिंचित होने में भिन्नता के आधार पर यह राशि भिन्न हो सकती है।
  • यह उर्वरकों के ग़ैर-कृषि उपयोग को रोकने का एकमात्र स्थायी समाधान होने के अतिरिक्त उचित मृदा परीक्षण एवं फसल-विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर सही पोषक तत्व संयोजन के साथ उर्वरकों के विवेकपूर्ण अनुप्रयोग को भी प्रोत्साहित करता है।

प्री फैक्ट :

  • नीम-कोटेड यूरिया का मूल्य केंद्र द्वारा निश्चित किया जाता है। यूरिया के घरेलू निर्माताओं और आयातकों के ‘औसत लागत-सह-मूल्य’ तथा निर्धारित मूल्य में होने वाले अंतर को केंद्र द्वारा सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जाता है।
  • गैर-यूरिया उर्वरकों की एम.आर.पी. कम्पनियों द्वारा विनियंत्रित या तय की जाती है। हालांकि, केंद्र इन पर भी सीधी सब्सिडी (Flat Subsidy) का भुगतान करता है।
  • प्रत्येक रिटेलर के पास अब एक ‘पॉइंट-ऑफ-सेल’ (PoS) मशीन होती है, जिसमें बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ खरीदार का नाम और उर्वरकों की खरीदी गई मात्रा को दर्ज़ किया जाता है। यह ‘पॉइंट-ऑफ-सेल’ (PoS) मशीन उर्वरक विभाग के ‘ई-उर्वरक DBT पोर्टल’ से जुड़ी होती है।
  • सब्सिडाइज्ड उर्वरक खरीदने वाले किसानों को आधार कार्ड या किसान क्रेडिट कार्ड नम्बर की आवश्यकता होती है। ई-उर्वरक प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत होने वाली बिक्री पर ही कोई कम्पनी सब्सिडी का दावा कर सकती है।
  • नेपाल और बांग्लादेश में तस्करी किये जाने के अलावा यूरिया का प्रयोग प्लाईवुड/पार्टिकल बोर्ड निर्माताओं द्वारा बाइंडर (ज़िल्द) के रूप में, पशु आहार निर्माताओं द्वारा सस्ते प्रोटीन स्रोत या दूध विक्रेताओं द्वारा मिलावट के लिये भी किया जाता है।
  • किसान इनपुट्स पर वस्तु और सेवा कर (जी.एस.टी.) का भुगतान करते हैं, जो ट्रैक्टर, कृषि उपकरणों, पम्पों और ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों पर 12% से लेकर फसल सुरक्षा रसायनों पर 18% तक है। उर्वरक पर भी 5% कर लगता है।
  • चूंकि कृषि उपज पर कोई जी.एस.टी. नहीं है, इसलिये किसान अन्य व्यापारियों की तरह अपनी बिक्री पर कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा नहीं कर सकता है।
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