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एफ.आई.आई. को ग्रीन बांड में निवेश की अनुमति

संदर्भ 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) को देश के सॉवरेन ग्रीन बांड (SGrBs) में निवेश की अनुमति दी है।

ग्रीन बांड के बारे में 

  • ग्रीन बांड किसी भी संप्रभु इकाई, अंतर-सरकारी समूहों या गठबंधनों एवं निगमों द्वारा जारी किए गए ऐसे बांड होते हैं, जिनसे प्राप्त आय का उपयोग पर्यावरणीय दृष्टि से धारणीय परियोजनाओं के लिए किया जाता है। 
  • इनका उपयोग हरित परियोजनाओं, जैसे- नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन, ऊर्जा दक्षता, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, स्थायी जल एवं अपशिष्ट प्रबंधन, प्रदूषण रोकथाम व नियंत्रण तथा हरित भवनों के वित्तीयन के लिए किया जाता है। 

ग्रीन बांड के उदाहरण

  • विश्व बैंक ग्रीन बांड का एक प्रमुख जारीकर्ता है। 2008 के बाद से, इसने 28 मुद्राओं में 220 से अधिक बांड के माध्यम से लगभग 19 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर ग्रीन बांड जारी किए हैं।
    • इन निधियों का उपयोग दुनिया भर में विभिन्न हरित परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए किया जा रहा है, मुख्यतः नवीकरणीय ऊर्जा और दक्षता, स्वच्छ परिवहन और कृषि एवं भूमि उपयोग में।
  • आर.बी.आई. ने भी पिछले साल जनवरी और फरवरी में दो किश्तों में 2028 और 2033 में परिपक्वता अवधि के साथ 16,000 करोड़ के एसजीआरबी जारी किए थे।

हरित परिवर्तन में सहायक 

  • एफ.आई.आई. को भारत की हरित परियोजनाओं में निवेश करने की अनुमति देने से देश के 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए उपलब्ध पूंजी पूल में वृद्धि होगी।
    • इससे देश की अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45% तक कम करने और भारत की 50% ऊर्जा गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से सुनिश्चित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद होगी।
  • इसके अलावा, इन हरित सरकारी-प्रतिभूतियों (जी-सेक) को वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) के तहत वर्गीकृत किया गया है। 
    • एस.एल.आर. रिजर्व बैंक द्वारा तय की गई एक तरलता दर है जिसे वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों को उधार देने से पहले अपने पास रखना होता है।
  • ग्रीन बांड पर पारंपरिक सरकारी प्रतिभूतियों की तुलना में कम ब्याज मिलता है। बैंक द्वारा उनमें निवेश करने पर छोड़ी गई राशि को 'ग्रीनियम' कहा जाता है। 
    • दुनिया भर में केंद्रीय बैंक और सरकारें वित्तीय संस्थानों को हरित भविष्य की ओर तेजी से बदलाव के लिए ग्रीनियम अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
  • जलवायु वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि हरित सरकारी प्रतिभूतियों में एफ.आई.आई. को अनुमति देने से भारत को लाभ होगा। एफ.आई.आई. निवेशक भी भारत जैसे विकसित देशों में पर्याप्त नियामक समर्थन के चलते हरित निवेश के अपने पूल में विविधता लाना चाहते हैं।
    • साथ ही भारत द्वारा 2022 में प्रस्तुत सॉवरेन ग्रीन बांड फ्रेमवर्क ने ग्रीनवाशिंग आशंकाओं को भी सफलतापूर्वक संबोधित किया है।

सॉवरेन ग्रीन बांड फ्रेमवर्क 

  • ग्रीन टैक्सोनॉमी अंतराल को कम करने के लिए वित्त मंत्रालय ने 9 नवंबर, 2022 को भारत का पहला सॉवरेन ग्रीन बांड फ्रेमवर्क जारी किया था। 
    • वस्तुतः 2022-23 के केंद्रीय बजट में अपतटीय पवन, ग्रिड-स्केल सौर ऊर्जा उत्पादन, या बैटरी संचालित इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को प्रोत्साहित करने जैसी सरकारी परियोजनाओं के वित्तपोषण में तेजी लाने के लिए सॉवरेन ग्रीन बांड जारी करने की घोषणा की गई थी।
    • लेकिन आरबीआई ने परियोजनाओं की ग्रीनवॉशिंग का प्रयास रोकने  के संदर्भ में ग्रीन बांड के हरित वर्गीकरण अथवा निवेश के पर्यावरण या उत्सर्जन प्रमाण-पत्रों का आकलन करने के संदर्भ में कोई विनियमन तैयार नहीं किया था। 
  • सॉवरेन ग्रीन बांड फ्रेमवर्क में शामिल है- 
    • सौर/पवन/बायोमास/जलविद्युत ऊर्जा परियोजनाओं (25 मेगावाट से कम) में निवेश जो ऊर्जा उत्पादन और भंडारण को एकीकृत करता है;
    • सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था में सुधार (उदाहरण के लिए एलईडी के साथ प्रतिस्थापन);
    • नई निम्न-कार्बन इमारतों के निर्माण के साथ-साथ मौजूदा इमारतों में ऊर्जा-दक्षता वाले रेट्रोफिट का समर्थन करना;
    • बिजली ग्रिड घाटे को कम करने की परियोजनाएँ;
    • सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, ईवी अपनाने के लिए सब्सिडी और चार्जिंग बुनियादी ढांचे का निर्माण। 
  • अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजार संघ (ICMA) के हरित सिद्धांतों के साथ तुलना करते हुए नॉर्वे स्थित सत्यापनकर्ता सिसरो (Cicero) ने भारत के सॉवरेन ग्रीन बांड फ्रेमवर्क को "सुशासन" के स्कोर के साथ "हरित माध्यम" का दर्जा दिया है।

सॉवरेन ग्रीन बांड (SGrB) के निर्गमन की विशेषताएं 

  • जारी करने का तरीका: एसजीआरबी को समान मूल्य नीलामी के माध्यम से जारी किया जाता है।
  • पुनर्खरीद संबंधी लेनदेन (रेपो) के लिए पात्रता: रिज़र्व बैंक के नियमों और शर्तों के अनुसार, एसजीआरबी पुनर्खरीद संबंधी लेनदेन (रेपो) के लिए पात्र होंते हैं।
  • वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) के लिए पात्रता: एसजीआरबी को एसएलआर उद्देश्यों के लिए पात्र निवेश के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • व्यापार संबंधी योग्यता: एसजीआरबी द्वितीयक बाजार (स्टॉक मार्केट) में ट्रेडिंग के लिए पात्र होते हैं।
  • अनिवासियों द्वारा निवेश: एसजीआरबी को अनिवासियों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के तहत निर्दिष्ट प्रतिभूतियों के रूप में नामित किया गया है।

विदेशी संस्थागत निवेशक (Foreign Institutional Investors)

  • एफ.आई.आई. ऐसे संगठन या संस्थाएं हैं जो अपने देश के अलावा किसी अन्य देश के वित्तीय बाजारों में मौद्रिक निवेश करती हैं।
    • इन निवेशकों में पेंशन फंड, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां, बैंक और विदेशों के अन्य बड़े वित्तीय संस्थान शामिल हो सकते हैं।
  • एफ.आई.आई. अपने निवेश के माध्यम से तरलता प्रदान करके, ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ाकर और स्टॉक की कीमतों को प्रभावित करके किसी देश के वित्तीय बाजारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • ये अपनी निवेश रणनीतियों और बाजार दृष्टिकोण के आधार पर स्टॉक, बॉन्ड और डेरिवेटिव सहित कई वित्तीय साधनों में निवेश करते हैं।
  • एफ.आई.आई. से धन का प्रवाह स्थानीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूप से प्रभावित कर सकता है। 
    • यह वहां के बाजार की स्थितियों, सरकारी नीतियों और वैश्विक आर्थिक रुझानों जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है।
  • भारत में एफ.आई.आई. के निवेश को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा विनियमित किया जाता है, जबकि ऐसे निवेश की सीमा रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित की जाती है।
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