
- वित्तीय समावेशन सूचकांक (FII) भारत में वित्तीय सेवाओं (Financial Services) की पहुँच, उपयोग और गुणवत्ता को मापने वाला एक महत्वपूर्ण सूचकांक है।
- यह यह दर्शाता है कि समाज के विभिन्न वर्गों को कितनी आसानी और प्रभावशीलता से औपचारिक वित्तीय प्रणाली (Formal Financial System) का लाभ मिल रहा है।
- यह सरकार और नीति-निर्माताओं (Policy Makers) को वित्तीय समावेशन बढ़ाने के लिए दिशा निर्देश प्रदान करता है।
FII की प्रमुख विशेषताएं (Key Features of FII)
व्यापक ढाँचा (Comprehensive Framework)
यह सूचकांक विभिन्न वित्तीय क्षेत्रों को सम्मिलित करता है:
- बैंकिंग (Banking) – बचत खाता (Savings Account), ऋण (Loan), क्रेडिट (Credit) की उपलब्धता और उपयोग।
- निवेश (Investments) – निवेश उत्पादों और वित्तीय बाजारों का उपयोग।
- बीमा (Insurance) – जीवन, स्वास्थ्य और अन्य बीमा योजनाओं की पहुँच।
- डाक सेवाएं (Postal Services) – डाक विभाग द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सेवाएं।
- पेंशन क्षेत्र (Pension Sector) – सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा देने वाली योजनाओं की पहुँच।
एकल मूल्य सूचकांक (Single Value Index)
- यह सूचकांक 0 से 100 के बीच एक अंक में व्यक्त किया जाता है:0 = पूर्ण बहिष्करण (Complete Exclusion) यानी कोई वित्तीय सेवा उपलब्ध नहीं।100 = पूर्ण समावेशन (Full Inclusion) यानी हर व्यक्ति को वित्तीय सेवाओं की पूरी पहुँच और उपयोग।
FII के तीन प्रमुख घटक (Three Broad Parameters)
घटक
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भार (Weightage)
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विवरण (Description)
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1. पहुँच (Access)
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35%
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बैंक शाखाओं, एटीएम, वित्तीय उत्पादों की भौगोलिक उपलब्धता को मापता है।
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2. उपयोग (Usage)
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45%
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बचत, ऋण, बीमा, निवेश आदि का वास्तविक उपयोग दर्शाता है।
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3. गुणवत्ता (Quality)
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20%
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ग्राहक संतुष्टि (Customer Satisfaction), सेवाओं की दक्षता (Effectiveness) और सुगमता (Ease of Access) को मापता है।
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वार्षिक प्रकाशन (Annual Publication)
- यह सूचकांक भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा प्रतिवर्ष जुलाई माह में प्रकाशित किया जाता है।
- यह देश में वित्तीय समावेशन की प्रगति (Progress) को मापने का महत्वपूर्ण साधन है और यह बताता है कि कहाँ और क्या सुधार की आवश्यकता है।
वित्तीय समावेशन सूचकांक (Financial Inclusion Index - FII) का महत्त्व
- वित्तीय समावेशन की प्रगति की निगरानी (Monitoring Financial Inclusion Progress)
- FII यह सुनिश्चित करता है कि देश में वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion – यानी सभी लोगों को वित्तीय सेवाओं की पहुँच) की निरंतर निगरानी हो सके।
- यह नीति-निर्माताओं (Policymakers) और वित्तीय संस्थानों (Financial Institutions) को यह समझने में मदद करता है कि उनके प्रयास कितने कारगर (Effective) हैं।
- इससे सरकार यह पता लगा सकती है कि कौन-से क्षेत्र और जनसंख्या वर्ग अभी भी वित्तीय रूप से पिछड़े (Underserved) हैं और उन्हें विशेष ध्यान (Targeted Intervention) देने की आवश्यकता है।
- डेटा-आधारित नीति निर्माण (Data-Driven Policy Formulation)
- FII एक प्रमाण-आधारित (Evidence-Based) उपकरण है, जो नीति-निर्माताओं को सही निर्णय लेने में सहायक होता है।
- इससे सरकार उन क्षेत्रों के लिए विशेष नीति बना सकती है जहाँ वित्तीय सेवाओं की पहुँच कम (Access Gap) है – विशेषकर ग्रामीण, दूर-दराज़ और वंचित क्षेत्रों में।
- यह समावेशी आर्थिक विकास (Inclusive Economic Growth) की दिशा में हुई प्रगति की स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत करता है।
- समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा (Promoting Inclusive Economic Growth)
- वित्तीय समावेशन सतत आर्थिक विकास (Sustainable Economic Development) के लिए अनिवार्य है।
- इससे लोग – विशेष रूप से वंचित समुदायों (Marginalized Communities) – को ऋण (Credit), बीमा (Insurance) और बचत (Savings) जैसी सेवाएँ मिलती हैं, जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा (Economic Security) बढ़ती है।
- इससे वे बेहतर वित्तीय निर्णय (Financial Decision-Making) ले सकते हैं।
- FII का उच्च स्कोर इस बात का संकेत होता है कि समावेशी विकास को बढ़ावा देने वाली योजनाएँ सफल रही हैं।
समग्र दृष्टिकोण (Holistic Approach)
- FII एक समग्र ढांचा (Comprehensive Framework) प्रस्तुत करता है जिसमें बैंकिंग, निवेश, बीमा, पेंशन और डाक सेवाएं शामिल हैं।
- यह विभिन्न प्रकार की वित्तीय सेवाओं को शामिल कर समावेशन को बहुआयामी (Multi-Dimensional) दृष्टि से मापता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि पूरा वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र (Entire Financial Ecosystem) मूल्यांकन में शामिल हो।