(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - विक्रम-एस रॉकेट, स्काईरूट एयरोस्पेस, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:3 - अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी)
संदर्भ
- भारत में निजी क्षेत्र के लिए अंतरिक्ष नियामक संस्था, IN-SPACe से तकनीकी लॉन्च अनुमति प्राप्त होने के बाद, भारत का पहला निजी तौर पर विकसित रॉकेट, विक्रम-एस लॉन्च के लिए तैयार है।
- विक्रम का विकास, हैदराबाद स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा किया गया है।
- विक्रम-एस एक सिंगल-स्टेज सबऑर्बिटल टेस्ट रॉकेट है, जो भारत के पहले कार्बन-फाइबर-निर्मित ठोस ईंधन इंजन द्वारा संचालित होगा।
- सबऑर्बिटल स्पेसफ्लाइट, पृथ्वी की सतह से लगभग 100 किमी की ऊंचाई को संदर्भित करता है, और एक कक्षीय उड़ान की तुलना में कम ऊंचाई पर जाता है।
- स्काईरूट एयरोस्पेस का पहला मिशन, जिसका नाम 'प्रंभ' (शुरुआत) है, के तहत तीन पेलोड को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा, जो अंतरिक्ष लॉन्च वाहनों की विक्रम श्रृंखला में अधिकांश तकनीकों का परीक्षण और सत्यापन करने में मदद करेगा।
- तीन पेलोड में से एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी अंतरिक्ष अनुसंधान प्रयोगशाला के लिए है, जो छात्रों द्वारा निर्मित अपने शैक्षिक पेलोड को लॉन्च करना चाहता है।
- अन्य दो पेलोड भारत से है, जिनमें से एक भारतीय एयरोस्पेस स्टार्टअप स्पेस किड्ज इंडिया के लिए है।
- ऑल-कार्बन फाइबर संरचना का उपयोग करके निर्मित, विक्रम श्रृंखला के रॉकेट 800 किलोग्राम तक के पेलोड को, लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) तक ले जाने में सक्षम है।
- विक्रम, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर, विशेष रूप से छोटे उपग्रह बाजार के लिए तैयार किए गए, मॉड्यूलर स्पेस लॉन्च वाहनों की एक श्रृंखला है।
- स्काईरूट, विक्रम-एस श्रृंखला के तहत रॉकेट के तीन वेरिएंट विकसित कर रहा है - विक्रम-I, विक्रम-II और विक्रम-III।
- इस मिशन के साथ, स्काईरूट एयरोस्पेस अंतरिक्ष में रॉकेट लॉन्च करने वाली भारत की पहली निजी अंतरिक्ष कंपनी बन जाएगी।
- स्काईरूट ने भारत के पहले निजी तौर पर विकसित क्रायोजेनिक, हाइपरगोलिक-लिक्विड और सॉलिड फ्यूल-आधारित रॉकेट इंजन का भी सफलतापूर्वक निर्माण और परीक्षण किया है।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe)
- IN-SPACe, निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए, भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के तहत स्थापित एक एकल खिड़की स्वायत्त एजेंसी है।
- IN-SPACe, निजी क्षेत्र की विभिन्न अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देने, अधिकृत करने और पर्यवेक्षण करने के लिए जिम्मेदार है, जिसमें शामिल है -
- लॉन्च वाहनों और उपग्रहों का निर्माण।
- अंतरिक्ष के बुनियादी ढांचे और डीओएस/इसरो के नियंत्रण में परिसर को साझा करना।
- नए अंतरिक्ष बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की स्थापना।
- अंतरिक्ष-आधारित अन्य सेवाएं प्रदान करना।
- यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और निजी क्षेत्र की कंपनियों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करेगा।
- निजी संस्थाओं की सभी अंतरिक्ष क्षेत्र की गतिविधियों के लिए नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित, IN-SPACe भारत में निजी अंतरिक्ष क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इसके प्रमुख उद्देश्यों में, अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को सक्षम करने के लिए, देश के भीतर अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और एक पुनरुत्थान, आत्म निर्भर भारत के लिए अंतरिक्ष बल की सीमाओं का विकास करना शामिल है।
निजी कंपनियों के लिए लॉन्च साइटों (प्रक्षेपण स्थलों) के लिए प्रमुख मानदंड
- राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिवहन नीति-2020 (National Space Transportation Policy-NSTP, 2020) के तहत, निजी कंपनियों को देश के अंदर और बाहर रॉकेट लॉन्च साइट स्थापित करने और संचालित करने की अनुमति होगी।
- भारतीय या विदेशी क्षेत्र से किसी भी रॉकेट का प्रक्षेपण (कक्षीय या उप-कक्षीय) केवल भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (Indian National Space Promotion & Authorization Center -IN-SPACe) से अनुमोदित होने के उपरांत ही किया जा सकता है।
- IN-SPACe अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी उद्योग की सहायता, प्रोत्साहन और मार्गदर्शन करने के लिए अंतरिक्ष विभाग के तहत एक स्वतंत्र निकाय है।
- भारत के क्षेत्र के बाहर से प्रक्षेपण करने के लिए संबंधित राष्ट्र/क्षेत्र पर लागू कानूनों के अनुसार अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
- प्रक्षेपण स्वयं या पट्टे पर लॉन्च साइट से तथा सचल प्लेटफॉर्म (भूमि, समुद्र या वायु) से भी हो सकता है।