प्रारंभिक परीक्षा – आर्कटिक क्षेत्र में भारतीय अभियान मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3 |
चर्चा में क्यों
18 दिसंबर, 2023 को केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने भारत के सर्दियों के मौसम में पहले आर्कटिक अभियान को हरी झंडी दिखाई।
प्रमुख बिंदु
- इस अभियान का उद्देश्य नॉर्वे के स्वालबार्ड में स्थित भारतीय अनुसंधान स्टेशन हिमाद्रि को पूरे वर्ष संचालित रखना है।
- केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि आर्कटिक वैज्ञानिक, जलवायु और सामरिक महत्व का क्षेत्र है।
- भारतीय वैज्ञानिकों को इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व को प्रभावित करने वाले क्षेत्रों को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
- यह अभियान वैश्विक जलवायु और जैव विविधता पर आर्कटिक में होने प्रभाव पर अध्ययन में अहम भूमिका निभा सकता है।
- इस अभियान के तहत भारतीय वैज्ञानिकों की टीम 30-45 दिनों तक नाय-एलेसुंड (Ny-Ålesund) रिसर्च स्टेशन पर रहकर रिसर्च करेगी।
- भारत का रिसर्च स्टेशन नाय-एलेसुंड (Ny-Ålesund) में स्थित है, जो दुनिया के सुदूर उत्तरी छोर पर स्थित एक बस्ती है।
- यहां भारत समेत दुनिया के 10 देशों के रिसर्च स्टेशन मौजूद हैं।
- यहां सर्दियों के मौसम में सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती है और तापमान -15 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है।
- पहले आर्कटिक शीतकालीन अभियान के पहले बैच में मेजबान राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशियन रिसर्च- NCPOR), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ ट्रॉपिकल मैट्रोलोजी – IITM ), पुणे और रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु के शोधकर्ता शामिल हैं।
- राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR), गोवा, 19 दिसंबर, 2023 और 15 जनवरी, 2024 के बीच निर्धारित अभियान का नेतृत्व करने वाली नोडल एजेंसी है।
- भारत आर्कटिक में 2008 से हिमाद्रि नामक एक अनुसंधान आधार केंद्र संचालित कर रहा है, जो ज्यादातर गर्मियों (अप्रैल से अक्टूबर) के दौरान वैज्ञानिकों की मेजबानी करता रहा है।
- भारत सरकार ने वर्ष 2022 आर्कटिक नीति का अनावरण किया था, जिसका उद्देश्य आर्कटिक में अधिक अनुसंधान स्टेशन और सैटेलाइट ग्राउंड स्टेशन बनाना है।
महत्त्व
- इससे आर्कटिक जलवायु परिवर्तन, अंतरिक्ष के मौसम, समुद्री-बर्फ और महासागर परिसंचरण गतिशीलता (सी सर्कुलेशन डायनेमिक्स), इकोसिस्टम अनुकूलन आदि ऐसे कारकों की समझ बढ़ाने में मदद मिलेगी
- इसके साथ ही मानसून सहित उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मौसम और जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों का ज्ञान प्राप्त होगा।
- यह पहली बार होगा कि शोधकर्ता आर्कटिक के स्वालबार्ड क्षेत्र में रेडियो फ्रीक्वेंसी पर्यावरण के लक्षण की जांच करेंगे।
आर्कटिक सर्कल
- आर्कटिक सर्कल के ऊपर का क्षेत्र आठ देशों का हिस्सा है जो आर्कटिक परिषद बनाते हैं।
- इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और रूस शामिल हैं।
- इस क्षेत्र में अनुसंधान 1920 की स्वालबार्ड संधि, समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन और आर्कटिक देशों के व्यक्तिगत क्षेत्राधिकारों द्वारा शासित होता है।
भारत और आर्कटिक
- भारत ने स्वालबार्ड संधि पर हस्ताक्षरकर्ता है।
- आर्कटिक क्षेत्र में पहला भारतीय अभियान 2007 में शुरू किया गया था।
- भारत के स्थायी स्टेशन हिमाद्रि ने जुलाई 2008 में परिचालन शुरू किया।
- यह स्टेशन आर्कटिक में वैज्ञानिक अध्ययन को आगे बढ़ाने में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा दिखाई गई निरंतर रुचि को ध्यान में रखते हुए खोला गया था।
- राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (National Centre for Polar and Ocean Research,NCAOR) के अनुसार हिमाद्रि आर्कटिक में अनुसंधान गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक व्यापक क्षेत्र और प्रयोगशाला सहायता प्रदान करता है।
भारत की आर्कटिक नीति (India's Arctic Policy):
- मार्च 2022 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भारत की आर्कटिक नीति का अनावरण किया था, जिसका शीर्षक ‘भारत और आर्कटिक: सतत् विकास हेतु साझेदारी का निर्माण’ था।
- भारत, आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक का दर्जा रखने वाले 13 देशों में से एक है।
भारत की आर्कटिक नीति के उद्देश्य:
- आर्कटिक में विज्ञान एवं अन्वेषण, जलवायु तथा पर्यावरण संरक्षण, समुद्री व आर्थिक सहयोग में राष्ट्रीय क्षमताओं को मज़बूती प्रदान करना।
- आर्कटिक में भारत के हित में अंतर-मंत्रालयी समन्वय के माध्यम से सरकार और शैक्षणिक, अनुसंधान तथा व्यावसायिक संस्थानों के अंतर्गत संस्थागत एवं मानव संसाधन क्षमताओं को मज़बूत करना ।
- जलवायु, आर्थिक विकास और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर आर्कटिक क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की समझ को बढ़ाने का प्रयास करना।
- वैश्विक शिपिंग मार्गों, ऊर्जा सुरक्षा और खनिज संपदा के दोहन से संबंधित भारत के आर्थिक, सैन्य और रणनीतिक हितों को बढ़ावा देना।
- आर्कटिक में बर्फ पिघलने के प्रभावों के बेहतर विश्लेषण, भविष्यवाणी कर समन्वित नीति निर्माण को बढ़ावा देना।
- वैज्ञानिक और पारंपरिक ज्ञान के साथ विशेषज्ञता प्राप्त करते हुए विभिन्न आर्कटिक मंचों के तहत ध्रुवीय क्षेत्रों एवं हिमालय के बीच संबंधों का अध्ययन करने व भारत तथा आर्कटिक क्षेत्र के देशों के बीच सहयोग को मज़बूत करने का प्रयास करना ।
- आर्कटिक परिषद में भारत की भागीदारी बढ़ाने तथा आर्कटिक में जटिल शासन संरचनाओं, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों व भू-राजनीतिक समझ में सुधार करने का भी प्रयास करना।
आर्कटिक की प्रासंगिकता:
- आर्कटिक नौवहन मार्गों के कारण महत्त्वपूर्ण है।
- आर्कटिक का प्रतिकूल प्रभाव न केवल खनिज और हाइड्रोकार्बन संसाधनों की उपलब्धता को प्रभावित कर रहे हैं बल्कि वैश्विक नौवहन/शिपिंग मार्गों में भी परिवर्तन ला रहे हैं।
- भारत स्थिर आर्कटिक को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- भू-राजनीतिक दृष्टि से यह क्षेत्र अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वर्ष 2050 तक आर्कटिक के बर्फ मुक्त होने का अनुमान है,जिसके कारण विश्व शक्तियाँ प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध इस क्षेत्र का दोहन करने के लिये आगे बढ़ रही हैं।
- इस क्षेत्र में कोयला, जिप्सम और हीरे के समृद्ध भंडार हैं और जस्ता, सीसा, प्लसर सोना एवं क्वार्ट्ज के भी पर्याप्त भंडार हैं।
- इसलिए आर्कटिक संभावित रूप से भारत की ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और रणनीतिक तथा दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की कमी को पूरा कर सकता है।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ।
- 18 दिसंबर, 2023 को केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने भारत के सर्दियों के मौसम में पहले आर्कटिक अभियान को हरी झंडी दिखाई।
- आर्कटिक क्षेत्र में कोयला, जिप्सम और हीरे के समृद्ध भंडार हैं और जस्ता, सीसा, प्लसर सोना एवं क्वार्ट्ज के भी पर्याप्त भंडार हैं।
- आर्कटिक क्षेत्र में अनुसंधान 1920 की स्वालबार्ड संधि, समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन और आर्कटिक देशों के व्यक्तिगत क्षेत्राधिकारों द्वारा शासित होता है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न: – आर्कटिक क्षेत्र क्या है? आर्कटिक क्षेत्र के महत्व पर प्रकाश डालिए।
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स्रोत:the hindu