नीति आयोग ने ‘राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक, 2025’ शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें वर्ष 2022-23 के आधार पर राज्यों को रैंकिंग प्रदान की गयी है।
राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (FHI)
- इसमें भारत के सकल घरेलू उत्पाद, जनसांख्यिकी, कुल सार्वजनिक व्यय, राजस्व एवं समग्र राजकोषीय स्थिरता में उनके योगदान के संदर्भ में भारतीय अर्थव्यवस्था को संचालित करने वाले 18 प्रमुख राज्यों को शामिल किया गया है।
- राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक की गणना के लिए प्रयुक्त डाटा को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) से प्राप्त किया जाता है।
राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक के मुख्य निष्कर्ष
- रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा ने 67.8 के सर्वोच्च समग्र सूचकांक स्कोर के साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। ओडिशा, छत्तीसगढ़, गोवा एवं झारखंड को शीर्ष प्रदर्शन करने वाले ‘एचीवर्स’ श्रेणी में रखा गया है।
- शीर्ष पांच एचीवर्स राज्यों में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के 4% तक का उच्च पूंजीगत परिव्यय, गैर-कर राजस्व का प्रभावी संग्रहण एवं राजस्व अधिशेष है। इनका ब्याज भुगतान कम है जोकि राजस्व प्राप्तियों का 7% तक है।
- इसमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, कर्नाटक को ‘अग्रणी’ (Front-runners) श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
- फ्रंट रनर्स राज्यों ने कुल विकास व्यय को 73% तक बढ़ाया है तथा अपने स्वयं के कर राजस्व में लगातार वृद्धि की है। संतुलित राजकोषीय प्रबंधन और बेहतर ऋण वहनीयता के साथ इनका ऋण-जी.एस.डी.पी. अनुपात 24% था।
- रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं केरल राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं। इन्हें ‘आकांक्षी’ (Aspirational) श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
- आकांक्षी राज्य राजकोषीय एवं राजस्व घाटे के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संघर्ष का सामना कर रहे हैं। इनका राजस्व संग्रहण कम है और इन राज्यों पर ऋण का बढ़ता बोझ तथा ऋण वहनीयता चिंता का विषय है।
- तमिलनाडु, बिहार, राजस्थान एवं हरियाणा राज्यों को परफॉर्मर (Performer) की श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
- वर्ष 2014-15 से 2021-22 की अवधि के लिए ओडिशा, गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ का औसत एफ.एच.आई. स्कोर उच्चतम रहा।