(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1:पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे) (मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।) |
संदर्भ
भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य में भारत की पहली फिशिंग कैट कलरिंग परियोजना (Fishing Cat Collaring Project) के अंतर्गत फिशिंग कैट की दूसरी जनगणना संपन्न की जा रही है।
फिशिंग कैट कलरिंग परियोजना (Fishing Cat Collaring Project)
- यह देश की पहली फिशिंग कैट कलरिंग परियोजना है जिसे भारतीय वन्यजीव संस्थान (देहरादून) द्वारा कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य में क्रियान्वित किया जा रहा है।
- समयावधि : तीन वर्ष
- उद्देश्य :कलरिंग परियोजना का उद्देश्य फिशिंग कैट प्रजातियों के घरेलू क्षेत्र, व्यवहार, आवास पारिस्थितिकी, भोजन की आदतों और स्थान के उपयोग का अध्ययन करना है।
- फिशिंग कैट के पहले सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2018 तक, फिशिंग कैट की आबादी 115 थी, हालाँकि, पिछले पाँच वर्षों में इस प्रजाति की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्तमान में अभयारण्य और उसके आस-पास इस प्रजाति के देखे जाने की आवृत्ति दर्ज की गई है।
फिशिंग कैट(Fishing Cat) के बारे में
- वैज्ञानिक नाम : प्रियोनैलुरस विवरिनस(Prionailurus viverrinus)
- वंश (Genus): प्रियनैलुरस(Prionailurus)
- कुल (Family):फेलिडे(Felidae)
- संरक्षण स्थिति :
- IUCN रेड लिस्ट : संकटग्रस्त(endangered)
- (CITES) के परिशिष्ट II में सूचीबद्ध
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में शामिल
- विस्तार एवं निवास स्थान : यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में विस्तारित है।यह मुख्य रूप से दलदली भूमि जैसे- धीमी गति से बहने वाले जल निकायों के आसपास घनी वनस्पतियों वाले आर्द्रभूमि में निवास करती है।
- भारत में,यह मुख्य रूप से सुंदरबन के मैंग्रोव जंगलों, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी घाटियों के साथ हिमालय के तराई क्षेत्रों और पश्चिमी घाट में पाई जाती हैं।
- खतरे :
- आवास विखंडन
- मानव बस्ती का विस्तार
- कृषि के लिए जल निकासी
- प्रदूषण एवं वनोंन्मूलन
- अस्थिर मत्स्य आखेट के कारण भोजन की कमी
- खाल के लिए अवैध शिकार
- आर्द्रभूमि आवासों के नुकसान के कारण फिशिंग कैट की तेजी से घटती संख्या को उलटने के लिए मजबूत संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता है।
प्रमुख विशेषताएँ :
- फिशिंग कैट ,एक सामान्य घरेलू बिल्ली के आकार से लगभग दोगुने आकार कीहोती है।
- यह कुशल तैराक होती है।
- यह मछलियों का शिकार करने के लिए जानी जाती है। इसके मछली पकड़ने वाले पंजे आंशिक रूप से जालदार होते हैं।
- यह एक प्रकार का रात्रिचर जीव है ।
- इसकी औसतन आयु 12 वर्ष है।
इसे भी जानिए
कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य :
- कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव है। इसका विस्तार 235 वर्ग किमी. है।
- यह अभयारण्य गोदावरी नदी के मुहाने का हिस्सा है, जहां कोरिंगा नदी आंध्र प्रदेश के काकीनाडा जिले में बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
- यह अभयारण्य फिशिंग कैट के महत्वपूर्ण प्रमुख आवासों में से एक है। अभयारण्य में फिशिंग कैट की आबादी में वृद्धि का श्रेय स्वस्थ मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को दिया जा सकता है, जिसका संरक्षण स्थानीय समुदायों द्वारा किया जा रहा है।
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