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आकस्मिक बाढ़ से जुड़ी मार्गदर्शन सेवाएँ (Flash Flood Guidance Services – FFGS)

(प्रारंभिक परीक्षा : WMO, IMD, NDMC तथा CWC)
(मुख्य परीक्षा, प्रश्नपत्र – 3 : आपदा प्रबंधन )

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा बेहतर समन्वय, विकास और कार्यान्वयन हेतु दक्षिण एशिया फ़्लैश फ्लड गाईडेंस सर्विसेज़ (आकस्मिक बाढ़ सम्बंधी मार्गदर्शन सेवाएँ) के क्षेत्रीय केंद्र की ज़िम्मेदारी भारत (भारतीय मौसम विज्ञान विभाग) को सौंपी गई है।

आकस्मिक बाढ़ सम्बंधी मार्गदर्शन प्रणाली परियोजना

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन की 15वीं कांग्रेस द्वारा आकस्मिक बाढ़ सम्बंधी मार्गदर्शन प्रणाली परियोजना (फ़्लैश फ्लड गाइडेंस सिस्टम प्रोजेक्ट) के कार्यान्वयन हेतु स्वीकृति दी गई थी।
  • यह प्रणाली डब्ल्यू.एम.ओ. कमीशन फॉर हाइड्रोलॉजी द्वारा डब्ल्यू.एम.ओ. कमीशन फॉर बेसिक सिस्टम तथा यू.एस. नेशनल वेदर सर्विस, यू.एस. हाइड्रोलॉजिकल रिसर्च सेंटर (एच.आर.सी.) एवं यू.एस.ऐड/ओ.एफ.डी.ए. के सहयोग से विकसित की गई थी।
  • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा दक्षिण एशियाई क्षेत्र हेतु 23 अक्तूबर, 2020 को इस प्रणाली की शुरुआत की गई। भारत के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMC) तथा केंद्रीय जल आयोग (CWC) भी इस प्रणाली में भागीदार हैं।

प्रणाली की विशेषताएँ

  • यह प्रणाली दक्षिण एशियाई देशों भारत, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका में जल तथा मौसम सम्बंधी खतरों का पूर्वानुमान लगाने हेतु क्षमता निर्माण (Capacity Building) के क्षेत्र में सहयोगात्मक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करेगी।
  • दक्षिण एशियाई क्षेत्र के देशों में जन-धन की हानि को कम करने हेतु आवश्यक राहत उपायों सम्बंधी मार्गदर्शन सेवाएँ क्षेत्रीय केंद्रों की सहायता से राष्ट्रीय एवं राज्य के आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों और अन्य सभी हितधारकों को उपलब्ध कराई जाएँगी।
  • इस प्रणाली द्वारा दक्षिण एशियाई देशों के बाढ़ सवेंदनशील क्षेत्रों के लिये वास्तविक समय में चेतावनी प्रणाली (Real Time Warning) उपलब्ध कराई जाएगी।
  • प्रणाली द्वारा सम्बंधित क्षेत्र में जल स्तर में अचानक उतार-चढ़ाव (बाढ़ उत्पन्न करने सम्बंधी) के पूर्वानुमानों पर आधारित चेतावनी भी दी जाएगी।
  • ध्यातव्य है कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आई.एम.डी.) ने पूर्व संचालित प्रणाली (Pre-operational System) के विकास हेतु गत मानसूनी मौसम के दौरान इस मार्गदर्शन प्रणाली का परीक्षण किया तथा सत्यापन हेतु दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिये आकस्मिक बाढ़ हेतु बुलेटिन जारी किये गए थे।

भारत को महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारी सौंपने का कारण

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग अत्याधुनिक कम्प्यूटिंग तकनीक, मौसम की संख्यात्मक आधारित पूर्वानुमानों तथा अवलोकन सम्बंधी विस्तृत नेटवर्क (धरती, वायु और अन्तरिक्ष आधारित) जैसी क्षमताओं से सुसज्जित है। इसीलिये विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा बेहतर समन्वय, विकास और कार्यान्वयन हेतु दक्षिण एशिया फ्लैश फ्लड गाइडेंस सिस्टम के क्षेत्रीय केंद्र का उत्तरदायित्व भारत को सौंपा गया है।
हाल ही में, भारत सरकार के जहाज़रानी मंत्रालय द्वारा समुद्री यातायात सेवा और पोत निगरानी व्यवस्था (वी.टी.एम.एस.) हेतु स्वदेशी सॉफ्टवेयर समाधानों के विकास की शुरुआत की गई थी। समुद्री सुरक्षा से सम्बंधित समाधानों की दिशा में भारत तेज़ी से विकास कर रहा है।

आवश्यकता

  • दुनिया भर के देशों में आकस्मिक बाढ़ से सम्बंधित वास्तविक समय आधारित चेतावनी प्रणाली का अभाव है।
  • आकस्मिक बाढ़ से व्यापक स्तर पर जानमाल की क्षति होती है। अतः इस प्रकार की मार्गदर्शन सेवाओं से जोखिमों को कम किया जा सकता है।

मार्गदर्शन प्रणाली में सुधार हेतु सुझाव

  • जल विज्ञान से सम्बंधित व्यवस्था के प्रदर्शन में सुधार हेतु वर्षा तथा मिटटी के अवलोकन से जुड़े नेटवर्क को उन्नत करने की आवश्यकता है।
  • सोशल मीडिया के उपयोग से सभी हित धारकों के लिये सूचनाओं के आदान-प्रदान का एक स्वचालित माध्यम निर्मित किया जाना चाहिये। ताकि आपदा सम्बंधी सूचनाएँ सम्बंधित अधिकारियों तक समय रहते पहुँच सके।
  • दक्षिण एशियाई क्षेत्र में आंकड़ों, विशेषज्ञता के विकास और सेवाओं की निरंतरता बनाए रखने हेतु हाइड्रोलॉजिकल अनुसंधान केंद्र तथा विश्व मौसम विज्ञान संगठन के साथ क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय को मज़बूत करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

वर्तमान में बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की आवृति में वृद्धि हुई है तथा इसके अधिकांश कारण मानव जनित हैं। अतः विकास सम्बंधी गतिविधियों तथा पर्यावरण संरक्षण के मध्य बेहतर संतुलन स्थापित करते हुए संधारणीय भविष्य की राह तय करने की आवश्यकता है।

प्री फैक्ट्स :

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization-WMO)की स्थापना वर्ष 1947 की संधि के आधार पर वर्ष 1950 में की गई थी। यह सयुंक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो वायुमंडल विज्ञान, जल विज्ञान, जलवायु विज्ञान तथा भू-भौतिकी से सम्बंधित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने हेतु कार्य करती है। वर्तमान में इसके भारत सहित 193 सदस्य देश हैं।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department  - IMD )भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत मौसम सम्बंधी अवलोकन कर पूर्वानुमान तथा भूकम्प गतिविधियों का अध्ययन कर जानकारी प्रदान करने वाली एक एजेंसी है। इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है तथा यह भारत एवं अंटार्कटिका के सैंकड़ों अवलोकन स्टेशनों (observation stations) का संचालन करता है।
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