चर्चा में क्यों
हाल ही में, उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में ‘हरेला’ लोकपर्व धूमधाम से मनाया गया।
प्रमुख बिंदु
- हरेला का अर्थ ‘हरे रंग का दिन’ होता है। यह हरियाली, शांति, समृद्धि और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा पर्व है।
- यह भगवान शिव और पार्वती की पूजा करने के लिये श्रावण मास में मनाया जाता है।
- इस पर्व के अवसर पर भगवान शिव और देवी पार्वती की मिट्टी की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं, जिन्हें डिकारे (Dikare) के नाम से जाना जाता है।
- यह पर्व बरहनाजा प्रणाली (12 प्रकार की फसलों) से भी जुड़ा हुआ है, जो इस क्षेत्र की फसल विविधीकरण तकनीक है।