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IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

खाद्य असमानता का समाधान : पादप आधारित आहार

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी और जैव-विविधता)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : गरीबी एवं भूख से सम्बंधित विषय)

भूमिका

वन्य जीव कोष की ‘बेंडिंग द कर्व: द रिस्टोरेटिव पावर ऑफ प्लेनेट-बेस्ड डाइट्स’ रिपोर्ट के अनुसार अस्वस्थ आहार, अल्प-उपभोग और अति-उपभोग के कारण कम तथा मध्यम आय वाले देशों में समय से पूर्व मौतें एक उभरती हुई चिंता का विषय है। इस रिपोर्ट में वर्तमान खपत पैटर्न का भी मूल्यांकन किया गया और पाया गया की विश्व स्तर पर यह काफी असंतुलित है।

आहार पैटर्न का मूल्यांकन

इसके अंतर्गत निम्नलिखित का मूल्यांकन किया गया :

  • वर्तमान आहार : वर्तमान में किसी देश के नागरिकों द्वारा उपभोग किया जाने वाला औसत आहार।
  • आहार सम्बंधी राष्ट्रीय दिशा-निर्देश : प्रत्येक देश से सम्बंधित सरकारी विभाग द्वारा दिये गए आहार सम्बंधी दिशानिर्देश।
  • फ्लेक्सिटेरियन (Flexitarian) : पादप-आधारित आहार के साथ मांस को शामिल करते हुए मध्यम जंतु-आधारित भोजन के खपत की अनुमति।
  • पेसकैटारियन (Pescatarian) : मांस की जगह दो-तिहाई मछली और समुद्री खाद्य-पदार्थ तथा एक तिहाई फल व सब्जियाँ।
  • शाकाहारी (Vegetarian) : मांस की जगह दो-तिहाई फलियाँ और एक-तिहाई फल और सब्जियाँ।
  • शुद्ध शाकाहारी (Vegan) : सभी जंतु-आधारित खाद्य पदार्थों की जगह दो-तिहाई फलियां और एक तिहाई फल व सब्जियाँ।

असंतुलन का कारण

  • भोजन की खपत के पैटर्न में व्यापक भिन्नता, जो विषमता की सबसे बड़ी विशेषता हो सकती है।
  • सर्वाधिक अमीर और सर्वाधिक गरीब देशों में विभिन्न उपभोग पैटर्न। यूरोपीय देशों (1,800 ग्राम/दिन) में अफ्रीकी देशों की तुलना में लगभग 600 ग्राम प्रति दिन अधिक भोजन का सेवन किया जाता है।
  • अन्य देशों की तुलना में सर्वाधिक गरीब देशों में कम वज़न वाले लोगों की दर 10 गुना अधिक है, जबकि सर्वाधिक अमीर देशों में अधिक वजन/मोटापे से ग्रस्त लोगों की दर पांच गुना अधिक है।
  • प्रत्येक तीन में से एक व्यक्ति या तो बहुत कम या बहुत अधिक खाता है।

समाधान

  • विश्व वन्यजीव कोष (WWF) के अनुसार, देशों को भोजन का उपभोग करने में संतुलन बनाने की आवश्यकता है। साथ ही वनस्पति-आधारित आहार की ओर स्थानांतरण भी समय की मांग है।
  • कुछ देशों को वर्तमान आहार के मौलिक स्वरूप को बदलने की आवश्यकता है, जबकि अन्य को पारम्परिक आहार पैटर्न पर काम करने और पश्चिमी आहार की ओर अधिक झुकाव का विरोध करने की आवश्यकता है।
  • वनस्पति-आधारित आहार के अधिक उपयोग से पर्यावरणीय नुकसान को कम करने में मदद मिल सकती है। एक स्थाई वातावरण और मानव स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिये जीवनशैली में किये जाने वाले कुछ परिवर्तन :
    • सतत् खाद्य का अधिक उपयोग।
    • पादप-आधारित खाद्य-पदार्थों का अधिक और पशु-आधारित खाद्य-पदार्थों का कम उपयोग।
    • स्वस्थ और स्थानीय रूप से उगाए गए तथा कम से कम संसाधित भोजन का सेवन करना।
    • सिर्फ एक तरह के भोजन की बजाय विविधतापूर्ण भोजन का सेवन करना।

प्रभाव

  • आहार स्थानांतरण के कारण समय पूर्व मौतों में लगभग 20% की कमी आ सकती है।
  • यह स्थानांतरण न केवल किसी भी भोजन की अधिक खपत को रोककर मानव स्वास्थ्य में सुधार करेगा, बल्कि अब तक हुए जैविक क्षति को भी उलट देगा और पर्यावरण में सुधार करेगा।
  • कुछ देशों में ग्रीनहाउस गैस (जी.एच.जी.) उत्सर्जन में कमी देखी जा सकती है। वनस्पति-आधारित आहार की ओर अधिक स्थानांतरण से कार्बन उत्सर्जन में 30%, वन्यजीवों को होने वाले क्षति में 46% और कृषि भूमि के उपयोग में 41% की कमी आने का अनुमान है।

नई पहल

  • WWF ने एक नया प्लेटफ़ॉर्म भी लॉन्च किया है, जिसे ‘पादप-आधारित आहार प्रभाव और कार्रवाई कैलकुलेटर’ के नाम से जाना जाता है।
  • यह विश्व में कहीं भी रहने वाले लोगों को यह पता लगाने में मदद करेगा कि क्या उनका आहार उनके साथ-साथ उनके पर्यावरण के लिये उपयुक्त है।
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