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खाद्य सुरक्षा तथा विश्व व्यापार संगठन

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत से संबंधित अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ

हाल ही में, भारत ने गेहूँ पर दी जाने वाली सब्सिडी को जारी रखने के लिये विश्व व्यापार संगठन (WTO) से छूट की माँग की है।

डब्ल्यू.टी.ओ. में पी.एस.एच. मुद्दा  

  • डब्ल्यू.टी.ओ. में भारत की माँग का प्रमुख कारण खाद्यान्न के सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग (Public Stockholding : PSH) के मुद्दे का स्थायी समाधान खोजना है ताकि भारत की खाद्य सुरक्षा नीति की रक्षा की जा सके।
  • भारत की पी.एस.एच. नीति किसानों से प्रशासित मूल्य (न्यूनतम समर्थन मूल्य : MSP) पर अनाज खरीदने पर आधारित है, जो सामान्यत: बाजार मूल्य से अधिक होती है।
  • पी.एस.एच. नीति के दोहरे उद्देश्य हैं : 
    • किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करना  
    • वंचित वर्गों को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना।
  • डब्ल्यू.टी.ओ. कानून के तहत किसानों से समर्थन मूल्य आधारित खरीद को व्यापार-विकृत सब्सिडी के रूप में माना जाता है। यदि अनुमेय सीमा से अधिक सब्सिडी दी जाती है, तो इससे डब्ल्यू.टी.ओ. कानून का उल्लंघन होता है। 

पीस क्लॉज़

  • वर्तमान में भारत को ‘पीस क्लॉज़’ (Peace Clause) के कारण अस्थायी राहत प्राप्त है।
  • यह क्लॉज़ देशों को खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिये समर्थन मूल्य आधारित खरीद के विरुद्ध कानूनी चुनौतियों का सामना करने से रोकता है। हालाँकि, अभी तक इस समस्या का स्थाई समाधान नहीं निकल पाया है।

डब्ल्यू.टी.ओ. का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन

  • इस वर्ष जून माह में आयोजित डब्ल्यू.टी.ओ. के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (जेनेवा) के दौरान उपरोक्त संदर्भ में कुछ सकारात्मक निर्णय लिये गए हैं।
  • खाद्य सुरक्षा पर अपनाई गई घोषणा के अनुसार, पर्याप्त खाद्य स्टॉक सदस्य देशों के घरेलू खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक हो सकते हैं।
  • साथ ही, अधिशेष स्टॉक की स्थिति में सदस्य देश डब्ल्यू.टी.ओ. के नियमों के अनुसार इसे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भी बेच सकते हैं।
  • भारत की चिंता यह है कि उसके पास एम.एस.पी. का उपयोग करते हुए सार्वजनिक खाद्य स्टॉक रखने के लिये नीतिगत अधिकार होना चाहिये, जो एक मूल्य समर्थित साधन है।  
  • हालाँकि, जेनेवा घोषणा में मूल्य सहायता से संबंधित कोई घोषणा नहीं की गई।

इस मुद्दे से संबद्ध नए आयाम

  • डब्ल्यू.टी.ओ. की मंत्रिस्तरीय बैठक और बाद में पी.एस.एच. नीति के स्थायी समाधान की भारत की माँग ने एक नया आयाम हासिल कर लिया है। 
  • भारत इस बात पर बल देता है कि उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत खरीदे गए खाद्यान्न के पूल से निर्यात (विशेष रूप से गेहूं) की भी अनुमति दी जानी चाहिये।  
  • हाल ही में इंडोनेशिया में जी-20 बैठक के दौरान भारतीय वित्त मंत्री ने इस माँग को पुन: दोहराया। 
  • रूस-यूक्रेन युद्ध से कई देशों में खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो गया है। भारत इस अवसर को भुनाने के लिये प्रयासरत है।

डब्ल्यू.टी.ओ. के नियम

  • डब्ल्यू.टी.ओ. का नियम देशों को रियायती कीमतों पर खरीदे गए खाद्यान्न का निर्यात करने से रोकता है, क्योंकि इससे उस देश को वैश्विक कृषि व्यापार में अनुचित लाभ मिलेगा। 
  • यदि कोई देश अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत कम कीमत पर खाद्यान्न का विक्रय करेगा, तो खाद्यान्न की वैश्विक कीमतें कम हो सकती हैं और अन्य देशों के कृषि व्यापार पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। 
  • डब्ल्यू.टी.ओ. समझौते के अनुसार, छूट केवल ‘असाधारण परिस्थितियों’ में ही दी जा सकती है। उदाहरण के लिये डब्ल्यू.टी.ओ. ने कोविड-19 महामारी को ‘असाधारण परिस्थिति’ के रूप में स्वीकार करते हुए दो वर्ष के लिये बौद्धिक संपदा (Intellectual Property : IP) में छूट देने का प्रावधान किया था। 

चुनौतियाँ

  • विकसित देशों ने ऐतिहासिक रूप से भारत के पी.एस.एच. कार्यक्रम का विरोध किया है, क्योंकि उन्हें आशंका है कि भारत अपने कुछ सार्वजनिक स्टॉक को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेच सकता है, जिससे वैश्विक कीमतों में गिरावट आएगी।
  • भारत अपने आधिकारिक अन्न भंडार से खाद्यान्न निर्यात पर बल दे रहा है, हालाँकि भारत को अपनी इस माँग की पुन: समीक्षा करनी चाहिये क्योंकि यह भारत की पी.एस.एच. नीति का हिस्सा नहीं है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी माँग से भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी विकसित देशों द्वारा चुनौती दी जा सकती है।
  • इसके अतिरिक्त एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार की गेहूं खरीद इस सीजन के मूल लक्ष्य से काफी कम रही है। ऐसे में सार्वजनिक स्टॉक से गेहूं निर्यात के लिये छूट की मांग करना खाद्य सुरक्षा से समझौता करने जैसा होगा।

आगे की राह 

  • सार्वजनिक स्टॉक होल्डिंग से गेहूँ निर्यात पर अत्यधिक बल देने से भारत के खाद्य सुरक्षा और किसानों को लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराने जैसे कार्यक्रम के स्थायी समाधान का भारत का मुख्य एजेंडा कमजोर हो सकता है। 
  • खाद्य संकट का सामना कर रहे देशों की मदद करने का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को पूरा कर मजबूत किया जा सकता है। 
  • यदि घरेलू स्थिति में सुधार होता है तो भारत निजी व्यापारियों पर गेहूं के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा सकता है। 
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