(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
संदर्भ
हाल ही में, गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) वेबसाइट से गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के वार्षिक रिटर्न, लाइसेंस रद्द किये गए एन.जी.ओ. की सूची आदि से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण डाटा को हटा दिया है।
क्या है एफ.सी.आर.ए.
- आपातकाल के दौरान वर्ष 1976 में एफ.सी.आर.ए. को इस आशंका के बीच अधिनियमित किया गया था कि विदेशी शक्तियाँ स्वतंत्र संगठनों के माध्यम से भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही हैं।
- इस कानून का उद्देश्य व्यक्तियों और संघों को मिलने वाले विदेशी दान (चंदा) को विनियमित करना है ताकि वे ‘एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के मूल्यों के अनुरूप’ कार्य कर सकें।
- विदेशी चंदा प्राप्त करने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति या एन.जी.ओ. को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी आवश्यक हैं-
- इस अधिनियम के तहत पंजीकरण
- विदेशी धन की प्राप्ति के लिये भारतीय स्टेट बैंक, दिल्ली में एक बैंक खाता
- निधियों का उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिये करना जिसके लिये उन्हें प्राप्त किया गया है।
- साथ ही, एन.जी.ओ. के लिये वार्षिक रिटर्न दाखिल करने तथा उन्हें प्राप्त धन किसी अन्य एन.जी.ओ. को हस्तांतरित करने की मनाही होती है।
- वर्ष 2020 में इस कानून में संशोधन किया गया जिससे सरकार को एन.जी.ओ. द्वारा विदेशी धन की प्राप्ति और उपयोग पर सख्त नियंत्रण तथा जाँच का अधिकार मिल गया।
- यह अधिनियम चुनाव उम्मीदवारों, पत्रकारों, समाचार-पत्रों व मीडिया प्रसारण कंपनियों, न्यायाधीशों एवं सरकारी कर्मचारियों, विधायिका और राजनीतिक दलों के सदस्यों या उनके पदाधिकारियों तथा राजनीतिक प्रकृति के संगठनों द्वारा विदेशी धन की प्राप्ति पर रोक लगाता है।
- एफ.सी.आर.ए. नियमों में हुए हालिया बदलावों के अनुसार इस अधिनियम के तहत कंपाउंडेबल अपराधों की संख्या 7 से 12 कर दी गई है और 10 लाख रुपए (पूर्व सीमा 1 लाख रूपए) से कम के अंशदान के लिये सरकार को सूचना देने से छूट दी गई है। साथ ही, बैंक खाते खोलने की सूचना के लिये समय-सीमा में भी वृद्धि की गई है।
एफ.सी.आर.ए. पंजीकरण प्रक्रिया
- पंजीकरण के लिये व्यक्तियों या एन.जी.ओ. के पास निश्चित सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम होने चाहिये।
- आवेदक काल्पनिक या बेनामी नहीं होना चाहिये और प्रलोभन या बलपूर्वक मतांतरण गतिविधियों में शामिल होने का आरोपी या दोषी नहीं होना चाहिये।
- निधियों के दुरूपयोग, राजद्रोह में संलिप्त होने की संभावना और सांप्रदायिक तनाव या वैमनस्य पैदा करने का आरोपित या दोषी नहीं पाया जाना चाहिये। गृह मंत्रालय को 90 दिनों के भीतर आवेदन को स्वीकृत या अस्वीकृत करना आवश्यक है।
- एक बार एफ.सी.आर.ए. पंजीकरण प्रदान किये जाने के बाद यह पाँच वर्ष के लिये वैध होता है और पंजीकरण की समाप्ति की तिथि से छह महीने के भीतर नवीनीकरण के लिये आवेदन किया जा सकता है।
पंजीकरण रद्द करने के आधार
- इस अधिनियम का उल्लंघन करने पर सरकार किसी भी एन.जी.ओ. के एफ.सी.आर.ए. पंजीकरण को रद्द कर सकती है।
- किसी जाँच में आवेदन का विवरण गलत पाए जाने पर।
- एन.जी.ओ. को प्रमाण-पत्र या नवीनीकरण के किसी भी नियम या शर्तों का उल्लंघन करते पाए जाने पर।
- लगातार दो वर्षों तक अपनी निर्धारित सामाजिक कल्याण गतिविधियों से निष्क्रिय रहने पर।
- केंद्र सरकार की राय में यदि जनहित में यदि उसका प्रमाण-पत्र रद्द करना आवश्यक हो।
- किसी ऑडिट में विदेशी धन के दुरुपयोग के मामले में वित्तीय अनियमितता पाए जाने पर।
अन्य बिंदु
- प्रमाणपत्र रद्द करने का कोई आदेश तब तक नहीं दिया जा सकता जब तक संबंधित व्यक्ति या एन.जी.ओ. को सुनवाई का उचित अवसर नहीं दिया जाता है।
- एक बार पंजीकरण रद्द होने के बाद वह तीन वर्ष के लिये पुन: पंजीकरण के लिये पात्र नहीं होता है।
- मंत्रालय को 180 दिनों से लंबित जाँच के लिये पंजीकरण को निलंबित करने की शक्ति प्राप्त है तथा उसके फंड को फ्रीज किया जा सकता है। सरकार के सभी आदेशों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।