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विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2: विषय- विकास प्रक्रिया तथा विकास उद्योग- गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दानकर्ताओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका। शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और सम्भावनाएँ; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत तथा अन्य उपाय।)

भारत सरकार द्वारा इस वर्ष 13 गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के लाइसेंस को विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (Foreign Contribution (Regulation) Act-FCRA), 2010 के तहत निलम्बित कर दिया गया है।

एफ.सी.आर.ए.क्या है?

  • एफ.सी.आर.ए. विदेशी दान को नियंत्रित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि ऐसे योगदान आंतरिक सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव न डालें।
  • इसे पहली बार वर्ष 1976 में अधिनियमित किया गया तथा वर्ष 2010 में इसे संशोधित किया गया,जब विदेशी दान को विनियमित करने के लिये नए सुधारात्मक उपायों को अपनाया गया था।
  • एफ.सी.आर.ए.उन सभी संघों,समूहों और गैर- सरकारी संगठनों पर लागू होता है, जिन्हें विदेशों से दान मिलता है। ऐसे सभी गैर-सरकारी संगठनों के लिये एफ.सी.आर.ए. के तहत खुद को पंजीकृत करना अनिवार्य है।
  • पंजीकरण शुरू में पाँच साल के लिये वैध है और इसे बाद में नवीनीकृत किया जा सकता है यदि वे सभी मानदंडों का पालन करते हैं।

एक बार पंजीकृत होने पर क्या होता है?

  • पंजीकृत संघ/संगठन सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिये विदेशी योगदान/दान प्राप्त कर सकते हैं।
  • पंजीकृत होने के बाद आयकर के तर्ज़ पर इन सगठनों को वार्षिक रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है।
  • वर्ष 2015 में, गृह मंत्रालय ने नए नियमों को अधिसूचित किया, जिसमें गैर-सरकारी संगठनों को विदेशी निधियाँ प्राप्त करने के लिये एक उद्घोषणा पत्र देने की आवश्यकता की बात की गई थी।
  • इन नियमों में यह कहा गया कि यह दान या इस दान का प्रयोग भारत की सम्प्रभुता और अखंडता को प्रभावित करने या किसी विदेशी राज्य के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बंधों को प्रभावित करने या किसी प्रकार के साम्प्रदायिक सद्भाव को बाधित करने के लिये नहीं होना चाहिये।
  • नियमों में यह भी कहा गया है कि ऐसे सभी गैर-सरकारी संगठनों को उन राष्ट्रीयकृत या निजी बैंकों में खातों को खोलना होगा, जिनके पास इस प्रकार की कोर बैंकिंग सुविधाएँ हों, जिनके द्वारा सुरक्षा एजेंसियाँ ज़रूरत पड़ने पर वास्तविक समय पर इन खातों तक पहुँच सकें या इनकी जाँच कर सकें।

विदेशी दान कौन नहीं प्राप्त कर सकता है?

  • विधायिका और राजनीतिक दलों के सदस्य, सरकारी अधिकारी, न्यायाधीश और मीडियाकर्मी आदि को किसी भी प्रकार के विदेशी योगदान/दान/निधियों को प्राप्त करने से प्रतिबंधित किया गया है।
  • हालाँकि, वर्ष 2017 में गृह मंत्रालय ने वर्ष 1976 के एफ.सी.आर.ए. कानून में संशोधन किया, जिससे राजनीतिक दलों के लिये किसी विदेशी कम्पनी (जिसमें किसी भारतीय के पास 50% या अधिक शेयर हों) या किसी विदेशी कम्पनी की भारतीय सहायक कम्पनी से धन प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

विदेशी धन कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

  • ध्यातव्य है कि विदेशी योगदान प्राप्त करने का दूसरा तरीका यह है कि इसकी पूर्व अनुमति के लिये आवेदन किया जाए।
  • यह विशिष्ट गतिविधियों या परियोजनाओं को पूरा करने के लिये एक विशिष्ट दाता द्वारा विशिष्ट राशि के रूप में दिया जाता है।
  • लेकिन ऐसे संघों /संगठनों को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860, भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 या कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 जैसे क़ानून के तहत पंजीकृत होना चाहिये।
  • विदेशी दाता से दानराशि और यह राशि देने के उद्देश्य को निर्दिष्ट करने के लिये एक प्रतिबद्धता पत्र भी आवश्यक है।

पंजीकरण कब निलम्बित या रद्द किया जाता है?

  • खातों के निरीक्षण के दौरान या संगठन के कामकाज के खिलाफ किसी भी प्रकार की प्रतिकूल जानकारी प्राप्त होने पर गृह मंत्रालय एफ.सी.आर.ए. पंजीकरण को शुरू में 180 दिनों के लिये निलम्बित कर सकता है।
  • तत्पश्चात जब तक कोई निर्णय नहीं लिया जाता तब तक संगठन को किसी भी प्रकार का नया दान नहीं मिल सकता है और वह गृह मंत्रालय की अनुमति के बिना नामित बैंक खाते में उपलब्ध राशि के 25% से अधिक का उपयोग भी नहीं कर सकता है।
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