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विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम

प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिकी, FCRA
मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, पेपर-2

संदर्भ:

हाल ही में दो प्रमुख गैर-सरकारी संगठनों (NGO) सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) और वर्ल्ड विजन इंडिया (WVI) का विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम, 2010 (FCRA) पंजीकरण रद्द कर दिया गया।

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  CPR और WVI के पंजीकरण रद्द करने के कारण:

  • सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च पर आरोप:
    • इस संगठन ने ‘विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और कानूनी लड़ाई’ के लिए विदेशी दान का इस्तेमाल किया और भारत के आर्थिक हितों को प्रभावित करने के लिए धन का दुरुपयोग किया। 
    • सीपीआर ने वायु प्रदूषण पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी- ‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021 पर अवलोकन, नई सरकार के लिए नीतिगत चुनौतियाँ आदि’।
    • गृह मंत्रालय के अनुसार, FCRA की धारा 3 के तहत विदेशी फंड का उपयोग करके करंट अफेयर्स कार्यक्रम का प्रकाशन निषिद्ध है।
  • वर्ल्ड विज़न इंडिया पर आरोप: 
    • NGO को 'धार्मिक' उद्देश्यों के लिए धन प्राप्त हुआ था, जो कि उनके आवेदन में घोषित वास्तविक उद्देश्यों के विपरीत है।    

प्रमुख बिंदु:

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2012 में  देश में 20 लाख से अधिक पंजीकृत NGO थे, जिसमें FCRA के तहत पंजीकृत NGO की संख्या 2% से भी कम थी।
  • वर्ष 2015 से अब तक 16,000 से अधिक NGOs का FCRA पंजीकरण ‘उल्लंघन’ के कारण रद्द किया जा चुका है।
  •  22 जनवरी, 2024 तक देश में 16,989 FCRA पंजीकृत NGO सक्रिय है।
  • गृह मंत्रालय ने 19 दिसंबर, 2023 को लोकसभा को सूचित किया कि 2021-2022 में FCRA के तहत पंजीकरण के लिए प्राप्त कुल 1,615 आवेदनों में से 722 आवेदनों को मंजूरी दी गई, जबकि 225 आवेदन खारिज कर दिए गए।
  • मंत्रालय के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-2020, 2020-21 और 2021-22 में कुल 13,520 संगठनों को 55,741.51 करोड़ का विदेशी योगदान प्राप्त हुआ।

विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA):

  • यह विदेशी अंशदान को नियंत्रित करने के लिए कानून है।
  • यह सुनिश्चित करता है कि ऐसे योगदान आंतरिक सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव न डालें।
  • भारत में NGOs मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के जोखिमों के प्रति संवेदनशील है।
  • ऐसे सभी NGOs जो विदेशी दान प्राप्त करना चाहते हैं; इसके तहत पंजीकृत होना अनिवार्य है।
  • पंजीकरण शुरू में पांच साल के लिए वैध होता है।
  • यदि वे निर्धारित मानदंडों का पालन करते हैं तो इसे पुनः नवीनीकृत किया जा सकता है।
  • पंजीकृत संगठन सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए विदेशी योगदान प्राप्त कर सकते हैं।
  • ऐसे संगठनों को आयकर की तर्ज पर वार्षिक रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है।
  • केंद्रीय गृह मंत्रालय इसके कार्यान्वयन की निगरानी करता है।

FCRA की पृष्ठभूमि:

  • इसे वर्ष 1976 में आपातकाल के दौरान अधिनियमित किया गया था।
  • विदेशी अंशदान को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में प्रयोग को प्रतिबंधित करने हेतु वर्ष 2010 में एक नए कानून के साथ बदल दिया गया। 
  • वर्ष 2015 में, गृह मंत्रालय ने नए नियमों को अधिसूचित किया, जिसके तहत-
  • NGOs को यह वचन देना आवश्यक है कि विदेशी धन की स्वीकृति से भारत की संप्रभुता और अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने या किसी विदेशी राज्य के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों पर प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है और न ही सांप्रदायिक सद्भाव बाधित होता है।
  • वर्ष 2020 में विदेशी अंशदान की प्राप्ति और उपयोग पर नियंत्रण एवं जांच हेतु कानून में संशोधन किया गया।

FCRA पंजीकरण के रद्द होने के कारण:

  • ऐसे NGOs, जिनका निर्धारित समय सीमा के बाद नवीनीकृत करने के लिए आवेदन नहीं किया गया।
  • केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनके आवेदन को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया, जो कानून के नियमों के तहत संचालित नहीं हो रहे हैं। 

प्रश्न:-  विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1.  केंद्रीय विदेश मंत्रालय इसके कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
  2. इसे सर्वप्रथम वर्ष 1976 में अधिनियमित किया गया था।

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए- 

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न 1 और ना ही 2   

उत्तर- (b)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न: विदेशी अंशदान को नियंत्रित करने की आवश्यकताओं और कानूनी प्रयासों का उल्लेख कीजिए।

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