प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
- ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ (एफ.डी.आई.) आर्थिक विकास का एक प्रमुख वाहक है। यह भारत के आर्थिक विकास के गैर-ऋण वित्तीयन का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
- एक सक्षम तथा निवेशकों के अनुकूल एफ.डी.आई. नीति लागू करने का मुख्य उद्देश्य एफ.डी.आई. नीति को निवेशकों के लिये और अधिक अनुकूल बनाना तथा देश में निवेश के प्रवाह में बाधा डालने वाली नीतिगत अड़चनों को दूर करना है।
- एफ.डी.आई. के उदारीकरण और सरलीकरण के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए, सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में एफ.डी.आई. से सम्बंधित सुधार किये हैं।
- एफ.डी.आई. में नीतिगत सुधारों, निवेश सुगमता और व्यापार करने में सुगमता जैसे मोर्चों पर किये गए विभिन्न उपायों के कारण देश में एफ.डी.आई. का प्रवाह बढ़ा है।
पिछले 6 वर्षों की अवधि (2014-15 से 2019-20) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
- कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 55% की वृद्धि, अर्थात् 2008-14 में 231.37 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2014-20 में 358.29 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
- एफ.डी.आई. इक्विटी प्रवाह भी 2008-14 के दौरान 160.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर57% की वृद्धि के साथ 252.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2014-20) हो गया है।
वित्तीय वर्ष 2020 –21 (अप्रैल से अगस्त, 2020) में
- अप्रैल से अगस्त, 2020 के दौरान कुल 35.73 बिलियन अमेरिकी डॉलर एफ.डी.आई. प्राप्त हुआ है। यह किसी वित्तीय वर्ष के पहले 5 महीनों में सर्वाधिक है और 2019-20 के पहले पांच महीनों (31.60 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की तुलना में यह13% अधिक है।
- वित्तीय वर्ष 2020-21 (अप्रैल से अगस्त, 2020) के दौरान प्राप्त एफ.डी.आई. इक्विटी प्रवाह 27.10 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। यह भी किसी वित्तीय वर्ष के पहले 5 महीनों के लिये अधिकतम है और 2019-20 के पहले पांच महीनों (23.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की तुलना में 16% अधिक है।