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सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड में विदेशी निवेश की सीमा पर पर कोई प्रतिबंध नहीं 

प्रारंभिक परीक्षा – सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड
मुख्य परीक्षा : समान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय, समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय

सन्दर्भ 

  • हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कहा गया, कि भारत सरकार द्वारा जारी सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड में विदेशी निवेश पर पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।
  • RBI के अनुसार ऐसी प्रतिभूतियां, पूरी तरह से सुलभ मार्ग (FAR) के तहत निर्दिष्ट प्रतिभूतियों के रूप में शामिल होंगी। 
    • पूरी तरह से सुलभ मार्ग में ऐसी प्रतिभूतियां शामिल होती हैं, जिसमें विदेशी निवेशकों द्वारा निवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है।
  • केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट 2022-23 में सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड जारी करने की घोषणा की थी। 

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महत्वपूर्ण तथ्य 

  • आर.बी.आई. मौजूदा वित्त वर्ष में 16,000 करोड़ रुपए के सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड जारी करेगा, इन्हें 8,000 करोड़ रुपए की दो किस्तों में जारी किया जाएगा।  
  • ग्रीन बॉण्ड को एकसमान मूल्य नीलामी के माध्यम से जारी किया जाएगा। 
  • बिक्री की अधिसूचित राशि का 5% खुदरा निवेशकों के लिये आरक्षित होगी। 
  • इन बॉण्ड्स को वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) उद्देश्यों के लिये एक योग्य निवेश माना जाएगा।
  • ये बॉण्ड्स पुनर्खरीद लेनदेन (Repurchase Transactions : Repo) के लिये पात्र होंगे और द्वितीयक बाजार में इन बॉण्ड्स का व्यापार किया जा सकता है।

ग्रीन बॉण्ड

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  • ग्रीन बॉण्ड किसी भी संप्रभु इकाई, अंतर-सरकारी समूहों या गठबंधनों एवं निगमों द्वारा जारी किये गए ऐसे बॉण्ड होते हैं, जिनसे प्राप्त आय का उपयोग पर्यावरणीय दृष्टि से धारणीय परियोजनाओं के लिये किया जाता है। 
  • इनका उपयोग हरित परियोजनाओं, जैसे- नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन, ऊर्जा दक्षता, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, स्थायी जल एवं अपशिष्ट प्रबंधन, प्रदूषण रोकथाम व नियंत्रण तथा हरित भवनों के वित्तीयन के लिये किया जाता है। 
  • ग्रीन बांड से प्राप्त आय का उपयोग जीवाश्म ईंधन के निष्कर्षण, उत्पादन एवं वितरण के लिये या जहां मुख्य ऊर्जा स्रोत जीवाश्म ईंधन आधारित है, के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं के लिये नहीं किया जा सकता।

ग्रीन बॉण्ड का महत्त्व

  • विगत कुछ वर्षों में ग्रीन बॉण्ड जलवायु परिवर्तन एवं संबंधित चुनौतियों के खतरों से निपटने के लिये एक महत्त्वपूर्ण वित्तीय साधन के रूप में उभरा है। 
  • ये निवेशकों के लिये अपने निवेश पर लगभग समान प्रतिफल के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के जोखिमों से बचाव का साधन प्रदान करते हैं। 
  • आई.एफ.सी. के अनुसार, ग्रीन बॉन्ड (हरित बॉन्ड) एवं ग्रीन फाइनेंस (हरित वित्त) में वृद्धि भी अप्रत्यक्ष रूप से उच्च कार्बन उत्सर्जक परियोजनाओं को हतोत्साहित करती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से समुदायों एवं अर्थव्यवस्थाओं को खतरा है, यह कृषि, खाद्य व जल की आपूर्ति के लिये जोखिम पैदा करता है।
  • ऐसे में पर्यावरणीय परियोजनाओं को पूँजी बाज़ार एवं निवेशकों के साथ जोड़ने तथा पूँजी को सतत् विकास की ओर ले जाने में ग्रीन बॉण्ड महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  • सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड से भारत सरकार को अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को कम करने के उद्देश्य से सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं के लिये संभावित निवेशकों से अपेक्षित वित्त प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • ये ग्रीन बॉन्ड सरकार द्वारा तय किए गए महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी मदद करेंगे, उदाहरण के लिए वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता और 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने का लक्ष्य।
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