New
IAS Foundation Course (Prelims + Mains): Delhi & Prayagraj | Call: 9555124124

असम के विदेशी ट्रिब्यूनल

(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय राज्यतंत्र और शासन)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 व 3: शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका)

संदर्भ

  • असम सरकार ने राज्य पुलिस की सीमा शाखा को वर्ष 2014 से पहले अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वाले गैर-मुस्लिमों के मामलों को विदेशी न्यायाधिकरणों (Foreigners Tribunals : FTs) में न भेजने के लिए निर्देशित किया है।
  • इसे नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के अनुरूप माना जा रहा है। यह हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन एवं बौद्ध के लिए नागरिकता आवेदन का अवसर प्रदान करता है, जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश एवं पाकिस्तान से उत्पीड़न के कारण भागकर आए हैं।

क्या हैं विदेशी न्यायाधिकरण

  • विदेशी न्यायाधिकरण एक अर्ध-न्यायिक निकाय हैं जो यह निर्धारित करने के लिए स्थापित किए गए हैं कि भारत में अवैध रूप से रह रहा कोई व्यक्ति ‘विदेशी’ है या नहीं।
  • इनकी स्थापना विदेशी (अधिकरण) आदेश, 1964 के प्रावधानों के तहत की गई है।
    • विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 पूरे भारत में लागू है किंतु अभी केवल असम में ही विदेशी न्यायाधिकरण है।
    • अन्य राज्यों में, यदि कोई अवैध आप्रवासी पाया जाता है, तो उसके विरुद्ध विदेशी अधिनियम, 1946 के तहत स्थानीय न्यायालय में सुनवाई की जाती है।
  • न्यायाधिकरणों के पास गवाहों को बुलाने, दस्तावेज की मांग करने तथा साक्ष्य की जांच करने के लिए सिविल न्यायालय के समान शक्तियां होती हैं।

विदेशी न्यायाधिकरणों की न्याय-निर्णयन की प्रक्रिया

  • न्यायाधिकरणम को संदर्भित करना : विदेशी अधिनियम, 1946 किसी राज्य में स्थानीय प्राधिकारियों को किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसके विदेशी होने का संदेह हो, न्यायाधिकरणों में भेजने की अनुमति देता है।
    • यह संदर्भ विभिन्न कारकों पर आधारित हो सकता है, जिसमें दस्तावेज़ की कमी या संदिग्ध मतदाता स्थिति शामिल है।
  • नोटिस जारी करना : किसी ट्रिब्यूनल को संबंधित प्राधिकारी से संदर्भ प्राप्त होने के 10 दिनों के भीतर कथित तौर पर विदेशी होने वाले व्यक्ति को अंग्रेजी या राज्य की आधिकारिक भाषा में नोटिस देना आवश्यक है।
    • ऐसे व्यक्ति के पास नोटिस का जवाब देने के लिए 10 दिन और अपने मामले के समर्थन में सबूत प्रस्तुत करने के लिए 10 दिन का समय होता है।
  • साक्ष्य प्रस्तुत करना : संदिग्ध व्यक्ति को अपनी भारतीय नागरिकता सिद्ध करने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करने होते हैं। 
    • इसमें जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल प्रमाण पत्र, भूमि रिकॉर्ड या अन्य आधिकारिक रिकॉर्ड जैसे दस्तावेज़ शामिल हो सकते हैं।
  • सत्यापन : न्यायाधिकरण उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों एवं साक्ष्यों की जांच करता है और यदि आवश्यक हो तो गवाहों को बुला सकता है या अतिरिक्त जानकारी मांग सकता है।
    • न्यायाधिकरण सिविल न्यायालय की शक्तियों के साथ काम करता है और उसे 60 दिनों के भीतर मामले का निपटान करना होता है।
  • निर्णय : यदि प्रस्तुत साक्ष्य नागरिकता साबित करने के लिए अपर्याप्त पाए जाते हैं, तो व्यक्ति को विदेशी घोषित किया जा सकता है और यदि साक्ष्य पर्याप्त हैं तो व्यक्ति को भारतीय नागरिक माना जाएगा।
    • यदि किसी को विदेशी घोषित कर दिया जाता है और वह सफलतापूर्वक अपील करने में असमर्थ होता है, तो उसे निर्वासन के लिए हिरासत केंद्र (ट्रांजिट कैम्प) भेजा जा सकता है।
    • अगस्त 2019 में जारी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के पूर्ण मसौदे से बाहर रखे गए लोग अपनी नागरिकता साबित करने के लिए संबंधित विदेशी न्यायाधिकरण में अपील कर सकते हैं।

सीमा पुलिस की भूमिका

  • अवैध विदेशियों का पता लगाने और संदिग्ध मामलों को विदेशी न्यायाधिकरण को भेजने के लिए सीमा संगठन जिम्मेदार है।
  • असम पुलिस भारत-बांग्लादेश सीमा पर गश्त करती है और सीमा सुरक्षा बल के साथ रक्षा की दूसरी पंक्ति के रूप में काम करती है।
  • ये अवैध विदेशियों के प्रवेश की जाँच करने और नदी एवं चार (रेतीले) क्षेत्रों में बसे लोगों की निगरानी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • ये संदिग्ध नागरिकता वाले लोगों को दस्तावेजों के आधार पर विदेशी न्यायाधिकरण के पास जांच के लिए भेजते हैं। 
    • इसके अलावा भारत के निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार ‘डी’ (संदिग्ध) मतदाताओं (D Voter) के मामलों को भी विदेशी न्यायाधिकरण को संदर्भित करते हैं।

चुनौतियाँ और आलोचना

  • कई मामलों में सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय की गंभीर चूक का हवाला देते हुए विदेशी न्यायाधिकरण के आदेशों को रद्द किया है। 
    • उदाहरण के लिए मृतक किसान रहीम अली को विदेशी घोषित करने के निर्णय को सर्वोच्च ने रद्द किया है।
  • कुछ मामलों में विदेशी न्यायाधिकरण ने ‘भ्रष्टाचार’ को लेकर भी टिप्पणी की है। विदेशियों के मामलों ने एक उद्योग का रूप ले लिया है, जहां इसमें शामिल हर कोई अनुचित तरीके से पैसा कमाने की कोशिश कर रहा है।

निष्कर्ष 

निष्पक्षता एवं कानूनी प्रक्रियाओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए विदेशी न्यायाधिकरणों की सख्त निगरानी और लेखा परीक्षा लागू करने की आवश्यकता है। नियमित समीक्षा एवं निगरानी से भ्रष्टाचार को रोकने में मदद मिल सकती है और यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि उचित नोटिस जारी किए जाए तथा न्यायाधिकरण की प्रक्रिया पारदर्शी हो।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X