प्रारम्भिक परीक्षा: फैक्ट चेक यूनिट। मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 - सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय। |
सुर्खियों में क्यों ?
- केंद्र सरकार द्वारा फर्जी खबरों की जांच हेतु एक फैक्ट चेक यूनिट के गठन करने की बात की जा रही है।
महत्त्वपूर्ण बिन्दु क्या हैं ?
- सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधन करके इस गठित किया जाएगा।
- वर्तमान में फैक्ट चेक का कार्य PIB के द्वारा किया जा रहा है।
- इस फैक्ट चेक यूनिट में चार सदस्य होंगे-
- आईटी मंत्रालय का एक प्रतिनिधि
- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय का एक प्रतिनिधि
- मीडिया विशेषज्ञ
- कानूनी विशेषज्ञ
- इस फैक्ट चेक यूनिट का कार्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों (फेसबुक,ट्विटर,यूट्यूब आदि) और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं(एयरटेल, Jio और वोडाफ़ोन) को फर्जी खबर से संबंधित सामग्री को होस्ट न करने के लिए दिशानिर्देश देना है।
- यदि सोशल मीडिया कंपनियां फैक्ट चेक यूनिट द्वारा घोषित फर्जी कंटेन्ट को नहीं हटाती तो उन्हे प्रदान सेफ हार्बर का दर्जा वापस ले लिया जाएगा
- दरअसल सेफ हार्बर किसी देश द्वारा सोशल मीडिया कंपनियों को दिया गया एक कानूनी प्रतिरक्षा होता है।
- इस संशोधन का उद्देश्य नकली समाचारों की पहचान करना और उन्हें फैलने से रोकना है।
इस संशोधन से उत्पन्न चिंताएं
- द इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (INS) ने हाल ही में अधिसूचित नियमों पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से मीडिया संगठनों और प्रेस निकायों के साथ परामर्श करने का आग्रह किया है।
- दरअसल INS एक Umbrella body जो देश भर के समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
- सिविल सोसायटी ग्रुप ने इस संशोधन को ऑनलाइन अभिव्यक्ति पर बाधा बताया है।
- डिजिटल राइट्स ग्रुप इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने इस संशोधन को वाक एवं अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार पर प्रतिबंध माना है।
- एडिटर गिल्ड ऑफ इंडिया ने इसे सरकार द्वारा सेंसरशिप करना बताया।
फर्जी खबरों का प्रभाव
- सामाजिक सामंजस्य में गिरावट और प्रभावी संचार की कमी का कारण बन सकता है।
- इससे हिंसा और नफरत की भावना को प्रसारित करने का प्रयास किया जाता है। जैसे 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा में फर्जी खबरों को फैलाया गया था।
- झूठी या भ्रामक जानकारी को प्रसारित करने से विभिन्न मुद्दों पर जनता की राय को बदला जा सकता है।
- यह लोगों में घबराहट और चिंता को जन्म दे सकता है, जैसे COVID टीकों के बांझपन का कारण बनने वाली नकली खबरों ने घबराहट और चिंता को जन्म दिया।
- इससे आतंकवादी भर्ती करने के लिए ISIS जैसे संगठनों द्वारा नकली समाचार के माध्यम से नकली प्रचार फैलाया जाता है।
विद्यमान कानून कौन-कौन से हैं ?
भारतीय दंड संहिता (IPC)
- इसकी कई धाराओं का उपयोग फर्जी समाचार और गलत सूचना फैलाने वाले व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए किया जा सकता है।
- धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना)
- धारा 505 (सार्वजनिक शरारत करने वाले बयान)
- धारा 500 (मानहानि)
केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995
- फर्जी समाचार या गलत सूचना प्रसारित करने वाले टीवी चैनलों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
- प्रेस परिषद अधिनियम, 1978
- इलेक्ट्रॉनिक अपराध निवारण अधिनियम, 2015
डेली अभ्यास प्रश्न
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
- वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा प्रदान किया गया है।
- संविधान द्वारा प्रदत्त वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुछ तार्किक प्रतिबंध भी लगाए गए हैं।
उपर्युक्त में से कौन से/सा कथन असत्य हैं/है ?
(A) 1 और 2 दोनों (B) केवल 2 (C) केवल 1 (D) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (C)
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