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चावल में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों को जोड़ना

(प्रारंभिक परीक्षा- आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2&3 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप, भूख से संबंधित विषय, खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय)

संदर्भ

75वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने वर्ष 2024 तक विद्यालयों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और मध्याह्न भोजन (MDM) सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत वितरित चावल में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों (Fortification of Rice) को शामिल करने की घोषणा की थी।

राइस फोर्टिफिकेशन या चावल में पोषक तत्त्वों की अभिवृद्धि

  • ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण’ (FSSAI) फोर्टिफिकेशन को “विचारपूर्वक भोजन में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की सामग्री को बढ़ाने के रूप में परिभाषित करता है, ताकि भोजन की पोषण गुणवत्ता में सुधार करके सार्वजनिक स्वास्थ्य में अभिवृद्धि की जा सके”।
  • दूसरे शब्दों में, चावल फोर्टिफिकेशन नियमित चावल में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों को शामिल करने की एक प्रक्रिया है। वस्तुतः सूक्ष्म पोषक तत्त्वों को आहार आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शामिल किया जाता है।
  • चावल फोर्टिफिकेशन के लिये विभिन्न प्रौद्योगिकियाँ उपलब्ध हैं, जैसे ‘कोटिंग और डस्टिंग’।
  • भारत में चावल फोर्टिफिकेशन के लिये ‘एक्सट्रूज़न’ को सबसे अच्छी प्रौद्योगिकी माना जाता है। इसमें एक ‘एक्सट्रूडर मशीन’ का प्रयोग करके मिश्रण से ‘फोर्टीफाइड चावल के दाने’ (Fortified Rice Kernels-FRKs) का उत्पादन किया जाता है।
  • फोर्टीफाइड चावल के उत्पादन के लिये फोर्टीफाइड चावल के दाने को नियमित चावल के साथ मिश्रित किया जाता है।
  • सात देशों ने चावल के फोर्टिफिकेशन को अनिवार्य कर दिया है - संयुक्त राज्य अमेरिका, पनामा, कोस्टारिका, निकारागुआ, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस और सोलोमन द्वीप।

एफ.आर.के. उत्पादन संबंधी एक्सट्रूज़न प्रौद्योगिकी

  • ‘एक्सट्रूज़न प्रौद्योगिकी’ के अंतर्गत सूखे चावल के आटे में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों को मिश्रित करके जल को मिलाया जाता है।
  • यह मिश्रण फिर ‘हीटिंग ज़ोन’ के साथ एक ‘ट्विन-स्क्रू एक्सट्रूडर’ में चला जाता है, जो चावल के समान और आकार के दानों का उत्पादन करता है।
  • इन दानों को सूखा कर ठंडा किया जाता है, फिर प्रयोग के लिये पैक किया जाता है। एफ.आर.के की ‘शेल्फ लाइफ’ कम से कम 12 माह की होती है।
  • उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, फोर्टीफाइड चावल के दाने की आकृति और आकार “जितना संभव हो सके सामान्य मिल्ड चावल जैसा होना चाहिये”। दिशा-निर्देशों के अनुसार अनाज की लंबाई और चौड़ाई क्रमशः ‘5 मि.मी. और 2.2 मि.मी.’ होनी चाहिये।

चावल फोर्टिफिकेशन की आवश्यकता

  • भारत में महिलाओं व बच्चों में कुपोषण का स्तर बहुत अधिक है। खाद्य मंत्रालय के अनुसार देश में हर दूसरी महिला ‘एनीमिक’ तथा हर तीसरा बच्चा ‘छोटे कद’ (Stunted) का है।
  • गौरतलब है कि ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ (GHI) में भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर है, जो इसे ‘गंभीर भूख’ श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत करता है।
  • कुपोषण से निपटने के लिये ‘फ़ूड फोर्टिफिकेशन’ को सबसे उपयुक्त तरीकों में से एक माना जाता है। ध्यातव्य है कि चावल भारत के प्रमुख खाद्य पदार्थों में से एक है, जिसका उपभोग लगभग दो-तिहाई जनसंख्या करती है।
  • भारत में प्रति व्यक्ति चावल का उपभोग 6.8 कि.ग्रा. प्रति माह है। अतः सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के साथ चावल को फोर्टीफाई करके गरीबों को पूरक आहार का एक विकल्प प्रदान किया जा सकता है।

फोर्टिफिकेशन के मानक

  • सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत 10 ग्राम ‘एफ.आर.के.’ को 1 किलो नियमित चावल के साथ मिश्रित किया जाना चाहिये।
  • एफ.एस.एस.ए.आई. के मानदंडों के अनुसार, 1 किलो फोर्टिफाइड चावल में प्रमुख पोषक तत्त्व होंगे: आयरन (28-42.5 माइक्रोग्राम), फोलिक एसिड (75-125 माइक्रोग्राम), और विटामिन बी-12 (0.75-1.25 माइक्रोग्राम)।
  • इसके अतिरिक्त, जस्ता (10 -15 मिलीग्राम), विटामिन ए (500-750 माइक्रोग्राम), विटामिन बी -1 (1 -1.5 मिलीग्राम), विटामिन बी-2 (1.25-1.75 मिलीग्राम), बी-3 (12.5 -20 मिलीग्राम) तथा विटामिन बी-6 (1.5 -2.5 मिलीग्राम) प्रति किलो चावल।

पकाने की प्रक्रिया

  • फोर्टीफाइड चावल को पकाने के लिये किसी विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है। पकाने से पूर्व इस चावल को सामान्य तरीके से साफ या धोया जाना चाहिये।
  • पकाने के उपरांत फोर्टिफाइड चावल उसी ‘भौतिक गुणों और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों’ को बरकरार रखता है, जो खाना पकाने से पूर्व में विद्यमान थे।

भारत की फोर्टिफिकेशन क्षमता

  • मंत्रालय के अनुसार, लगभग 2,690 चावल मिलों द्वारा फोर्टिफाइड चावल के उत्पादन के लिये सम्मिश्रण इकाइयाँ (Blending Units) स्थापित की गई हैं, तथा वर्तमान सम्मिश्रण क्षमता 14 प्रमुख राज्यों में 13.67 लाख टन की है।
  • 2 वर्ष के अंदर एफ.आर.के. का उत्पादन 7,250 टन से बढ़कर 60,000 टन हो गया है।
  • मौजूदा चावल मिलों को फोर्टिफिकेशन सुविधाओं में अपग्रेड करने की आवश्यकता है, क्योंकि उन्नत चावल की मात्रा के आधार पर उन्नयन की लागत मिल के आधार पर भिन्न होती है।
  • मंत्रालय के अनुसार, 4-5 टन/घंटा की परिचालन क्षमता वाली चावल मिल को अपग्रेड करने के लिये लगभग 15-20 लाख रुपए के निवेश की आवश्यकता होगी।

फोर्टिफाइड चावल की लागत और पहचान चिह्न

  • मंत्रालय का अनुमान है कि तीन सूक्ष्म पोषक तत्त्वों- आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 के साथ एफ.आर.के. के उत्पादन की लागत लगभग 0.60 रुपए प्रति किलोग्राम होगी।
  • इस खर्च को केंद्र और राज्य वहन करेंगे तथा चावल मिल मालिकों को सरकार की तरफ से भुगतान किया जाएगा।
  • फोर्टिफाइड चावल को जूट बैग में पहचान चिह्न (‘+F’) के साथ पैक किया जाएगा तथा पैक पर अनिवार्य रूप से मुद्रित ‘आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 के साथ फोर्टिफाइड’ लाइन अंकित होगी।

सरकार के पूर्व के प्रयास

  • वर्ष 2019-20 में, सरकार ने 174.64 करोड़ रुपए के कुल बजट परिव्यय के साथ तीन वर्ष के लिये केंद्र प्रायोजित पायलट योजना, 'चावल फोर्टिफिकेशन और पी.डी.एस. के तहत इसका वितरण’ शुरू किया था।
  • उक्त पायलट योजना 15 राज्यों के 15 ज़िलों में केंद्रित है - आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, असम, तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश।
  • मंत्रालय के अनुसार, महाराष्ट्र और गुजरात सहित छह राज्यों ने जून 2021 तक लगभग 2.03 लाख टन फोर्टिफाइड चावल वितरित किया है। चार और राज्यों द्वारा सितंबर तक इस योजना को शुरू किये जाने की संभावना है।
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