(प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय अर्थव्यवस्था) (मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3; भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।) |
चर्चा में क्यों
हालिया आर्थिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में भारतीय स्टार्टअप विंटर फंडिंग के दौर से गुजर रहे हैं, जिससे भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की संख्या में 55% की गिरावट आई है।
फंडिंग विंटर के बारे में
- फंडिंग विंटर, एक ऐसी लंबी अवधि को संदर्भित करता है जिस दौरान स्टार्टअप में वेंचर कैपिटल के प्रवाह में उल्लेखनीय गिरावट देखी जाती है।
- सामान्य शब्दों में स्टार्टअप्स में कम पूंजी प्रवाह की एक लंबी अवधि एवं वित्तीय अनिश्चितता के दौर को फंडिंग विंटर कहा जाता है।
फंडिंग विंटर के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारक
- वैश्विक आर्थिक मंदी : बढ़ती ब्याज दरों और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी ने निवेशकों की भावना को कमजोर कर दिया।
- लाभप्रदता पर अधिक ध्यान : निवेशक अधिक सतर्क हो गए तथा उन्होंने उच्च वृद्धि की अपेक्षा लाभप्रदता को प्राथमिकता दी।
- अधिक मूल्यांकित स्टार्टअप : फंडिंग में तेजी के दौरान कुछ स्टार्टअप के अधिक मूल्यांकित होने के बारे में चिंताएं उत्पन्न हुईं।
- बढ़ती ब्याज दरें : अमेरिकी फेडरल रिजर्व और आरबीआई समेत दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने मुद्रास्फीति से निपटने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि की। ऐसे में ऋण लागत में वृद्धि से वेंचर कैपिटल फर्मों के लिए स्टार्टअप में निवेश करने के लिए उपलब्ध पूंजी राशि कम हो गई।
- हालाँकि अमेरिकी फेड रिज़र्व द्वारा ब्याज दर में हालिया कटौती से इस पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
- भू-राजनीतिक अनिश्चितता: रूस-यूक्रेन एवं इज़रायल-हमास संघर्ष जैसी वैश्विक घटनाओं ने वित्तीय बाजारों में अस्थिरता एवं अनिश्चितता उत्पन्न कर दी है, जिससे निवेशकों को अधिक जोखिम-विरोधी दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया है।
- मौजूदा स्टार्टअप का प्रदर्शन: तेजी के दौरान वित्त पोषित स्टार्टअप की सफलता (या विफलता) भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में निवेशकों के विश्वास को प्रभावित कर रही है।
फंडिंग विंटर के भारतीय स्टार्ट अप्स पर प्रभाव
- फंडिंग विंटर चक्रीय और अस्थायी होते हैं, लेकिन वे शुरुआती चरण की कंपनियों या स्टार्ट अप्स के लिए पूंजी की कमी के कारण महत्वपूर्ण चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकते हैं।
- वर्ष 2021 में भारतीय स्टार्टअप्स ने 38 बिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई थी, जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है।
- इसके बाद भारतीय स्टार्टअप्स की फंडिंग में बदलाव आया और फंडिंग विंटर की शुरुआत हुई।
- दिसंबर 2023 तक, भारतीय स्टार्टअप्स ने वर्ष 2021 और वर्ष 2023 की तुलना में फंडिंग में 33% से अधिक की उल्लेखनीय गिरावट का अनुभव किया और वर्ष 2023 में केवल 11.3 बिलियन डॉलर जुटाए। यह पिछले पांच वर्षों में सबसे कम फंडिंग राशि है।