प्रारम्भिक परीक्षा – जैव विविधता, पर्यावरण सुरक्षा, फ्लोरा ,फौना और ‘फंगा’ मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन पेपर-3 |
सन्दर्भ
- संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता ने एक अभियान शुरू किया है जिसमें वैश्विक समुदाय से कवक के महत्व पर जोर देने के लिए “वनस्पतियों और जीवों”( फ्लोरा और फौना) के साथ-साथ “कवक” (‘फंगा’) शब्द को शामिल करने का आग्रह किया गया है।
- पारिस्थितिक तंत्र में कवक की आवश्यक भूमिका को पहचानते हुए, संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य संरक्षण प्रयासों में पौधों और जानवरों के समान कवक के महत्व को बढ़ाना है।
- दो साल पहले, इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने भी अपने संचार में “माइकोलॉजिकली इनक्लूसिव” भाषा का समर्थन किया था।
- कवक पृथ्वी पर जीवन का अभिन्न अंग हैं, जो अपघटन, वन पुनर्जनन और पोषक चक्रण जैसी प्रक्रियाओं का समर्थन करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता के “FUNGA” अभियान का उद्देश्य
- इस अभियान का उद्देश्य लोगों को चर्चाओं और शैक्षिक सामग्रियों में “वनस्पतियों और जीवों” के साथ-साथ Funga (कवक) शब्द का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करके कवक के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
संरक्षण प्रयासों में कवक को शामिल करना क्यों महत्वपूर्ण है?
- कवक विभिन्न पारिस्थितिक प्रक्रियाओं जैसे अपघटन, वन पुनर्जनन और पोषक चक्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें संरक्षण रणनीतियों में शामिल करने से पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा के लिए अधिक समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित होता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- सभी जीवित जीवों को छह जगतों में वर्गीकृत किया गया है जैसे - कवक (Fungus /Funga), एनिमेलिया (जानवर), प्लांटे (पौधे), प्रोटिस्टा, आर्किया/आर्कबैक्टीरिया और बैक्टीरिया या यूबैक्टेरिया ।
- कुछ जीव ऐसे होते हैं जिन्हें हम बिना यंत्र की सहायता से केवल आँखों से नहीं देख सकते हैं इन्हें सूक्ष्मजीव कहते हैं। उदाहरण - कवक या फंजाई।
- ब्रेड (डबल रोटी) के टुकड़े पर रोएँ या रुई के धागों के समान जैसी संरचना को कवक या फंजाई कहते हैं।
- इनकी पोषण प्रणाली अथवा पोषण विधि भिन्न प्रकार की होती है। ये मृत एवं विघटनकारी (सड़नेवाली) वस्तुओं (जैव पदार्थों) की सतह पर कुछ पाचक रसों का स्राव करते हैं तथा उसे साधारण व विलेय के रूप में परिवर्तित कर देते ।
- तत्पश्चात् वे इस विलयन का भोजन के रूप में अवशोषण करते हैं। इस प्रकार की पोषण प्रणाली को जिसमें जीव किसी मृत एवं विघटित जैविक पदार्थों से पोषक तत्त्व प्राप्त करते हैं, मृतजीवी पोषण कहलाती है। मृतजीवी पोषण प्रणाली का उपयोग करने वाले जीव मृतजीवी कहलाते हैं।
- कवक (फंजाई) अचार, चमड़े, कपड़े,पेड़-पौधे एवं अन्य पदार्थों पर उगते हैं। ये उन स्थानों में भी उगते हैं, जो नम एवं उष्ण हों।
- कवकों की वृद्धि के लिए वर्षा ऋतु सबसे अच्छी परिस्थितियाँ प्रदान करती हैं। इसी कारण वर्षा ऋतु के दौरान अनेक वस्तुएँ कवकों की वृद्धि के कारण नष्ट अथवा अनुपयोगी हो जाती हैं।
कवक से पारिस्थितिकी लाभ
- कुछ जीव एक-दूसरे के साथ रहते हैं तथा अपना आवास एवं पोषक तत्त्व एक-दूसरे के साथ बाँटते हैं। इसे सहजीवी संबंध कहते हैं। उदाहरणतः कुछ कवक वृक्षों की जड़ों में रहते हैं।
- वृक्ष कवक को पोषण प्रदान करते हैं, बदले में उन्हें जल एवं पोषकों के अवशोषण में सहायता मिलती है। वृक्ष के लिए इस संबंध का विशेष महत्व है।
- लाइकेन कहे जाने वाले कुछ जीवों में दो भागीदार होते हैं। इनमें से एक शैवाल होता है तथा दूसरा कवक । शैवाल में क्लोरोफ़िल उपस्थित होता है जबकि कवक में क्लोरोफ़िल नहीं होता।
- कवक शैवाल को रहने का स्थान (आवास), जल एवं पोषक तत्त्व उपलब्ध कराता है तथा बदले में शैवाल प्रकाश संश्लेषण द्वारा संश्लेषित खाद्य कवक को देता है।
प्रारम्भिक परीक्षा प्रश्न : निम्नलिखित में से संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता किस शब्द के महत्त्व को बढ़ाने पर जोर दिया गया है?
(a) लाईकेन
(b) कवक
(c) फ़्लोरा
(d) फौना
उत्तर (b)
मुख्य परीक्षा प्रश्न: कवक (Fungus) क्या है? पारिस्थितिक तंत्र में इसके योगदान की व्याख्या कीजिए?
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