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कृषि में ई-प्रौद्योगिकी का भविष्य एवं अपेक्षित बदलाव

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र: 3, विषय – कृषि उत्पाद का भण्डारण, परिवहन तथा विपणन तथा सम्बंधित विषय तथा बाधाएँ, किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी)

देशव्यापी लॉकडाउन तथा उसके बाद की अड़चनों के कारण बाज़ारों में चल रही मंदी के मध्य केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक कृषि बाज़ार मंच (e-NAM) में कुछ नईं सुविधाओं को शामिल करने का फैसला किया था। लेकिन इनके प्रभावों को लेकर एक बड़ा सवाल उठ रहा था कि क्या ये विशेषताएँ किसानों की समस्याओं को हल करने में सफल होंगीं?

विगत् कुछ दिनों से कृषि-विपणन आधारित आपूर्ति शृंखला तथा किसानों से जुड़े तमाम मुद्दे जैसे- खाद्यान्नों का भण्डारण, सब्ज़ियों की आपूर्ति तथा ई-नाम (e-NAM) के बेहतर प्रबंधन से सम्बंधित मुद्दे चर्चा में रहे। इससे यह बात स्पष्ट है कि भारत को अपनी विपणन प्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है। वर्तमान महामारी के समय में सरकार के पास बेहतर मौका है कि वह कृषि बाज़ार को और बेहतर तरीके से विनियमित करे और कुछ ठोस बदलाव करने का प्रयास करे।

कृषि-बाज़ार (Agri-market)प्रणाली को पुनर्जीवित करने के लिये निम्न उपाय सुझाए गए थे-

1.  कृषि उत्पाद विपणन समिति (Agricultural Produce Marketing Committee -APMC) अधिनियम को समाप्त करना या पुनर्विनियमित करना :

  • ए.पी.एम.सी. अधिनियम को समाप्त करने या पुनर्विनियमित करने के साथ-साथ किसानों या किसान उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) से कृषि-उपज की प्रत्यक्ष खरीद को प्रोत्साहित करने की तत्काल आवश्यकता है।
  • यदि कम्पनियाँ, संगठित खुदरा विक्रेता,निर्यातक एवं उपभोक्ता समूह सीधे एफ.पी.ओ. से खरीदारी करते हैं तो इसके लिये किसी भी प्रकार के बाज़ार शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता को समाप्त किया जाए क्योंकि वे ए.पी.एम.सी. की सुविधाओं का लाभ नहीं उठाते हैं।
  • ध्यातव्य है कि ए.पी.एम.सी.अधिनियम किसानों को अपनी उपज, बाज़ार के बाहर भेजने से प्रतिबंधित करता है।

2. गोदामों को बाज़ार के रूप में नामित करना :

  • छोटे शहरों में गोदामों को बाज़ार के रूप में नामित किया जा सकता है ताकि बाज़ार की अनुपस्थिति में किसान गोदामों में ही उपज को खरीद या बेच सकें।
  • गोदाम रसीद प्रणाली को सुदृढ़ किया जाना चाहिए।
  • निजी क्षेत्र को आधुनिक बुनियादी ढाँचे से युक्त मंडियों को खोलने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

3. फ्यूचर ट्रेडिंग या वायदा कारोबार को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। फ्यूचर ट्रेडिंग भविष्य में एक निर्दिष्ट समय पर तथा पूर्व निर्धारित मूल्य पर कुछ खरीदने या बेचने के लिये एक प्रकार का मानकीकृत कानूनी समझौता है। इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलने का आश्वासन मिलता है। इससे किसानों को मूल्यों के उतार चढ़ाव के आधार पर अगली फसल बोने के लिये निर्णय लेने में भी मदद मिलती है।

4. ई-नाम(e-NAM) को और अधिक बढ़ावा देने, उपज की बेहतर ग्रेडिंग करने और एक सशक्त विवाद निपटान तंत्र स्थापित करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाये जाने चाहिए। साथ ही, माल के वितरण के लिये समस्त निकायों और समूहों के बीच सामंजस्य स्थापित करना भी प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए।

5. पी.एम. किसान योजना के तहत दी जाने वाली राशि को 6,000 रुपए से बढ़ाकर कम से कम 10,000 रुपए प्रति कृषक परिवार कर दिया जाना चाहिए, जिससे आंशिक रूप से उनके नुकसान की भरपाई की जा सके।

ई-नाम (e-NAM) प्लेटफॉर्म :

  • e-NAM प्लेटफॉर्म भारत में कृषि उत्पादों एवं कृषि से सम्बंधित वस्तुओं के लिये एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है।
  • 14 अप्रैल 2016 को इसे सभी राज्यों में कृषि उपज बाज़ार समितियों (ए.पी.एम.सी.) को जोड़ने वाले पैन-इंडिया इलेक्ट्रॉनिक ट्रेड पोर्टल के रूप में लॉन्च किया गया था।
  • यह किसानों, व्यापारियों और खरीदारों को उत्पादों के ऑनलाइन व्यापार की सुविधा प्रदान करता है।
  • यह किसानों एवं व्यापारियों को उनके उत्पाद के लिये बेहतर मूल्य दिलाने में मदद करता है और उनकी उपज के सुचारू रूप से विपणन के लिये आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करता है।
  • वर्तमान समय में खाद्यान्नों, सब्जियों और फलों सहित 90 से अधिक वस्तुओं तथा कृषि उत्पादों को व्यापार के लिये उपलब्ध वस्तुओं की सूची में e-NAM पर सूचीबद्ध किया गया है।
  • किसान को अपनी उपज का विवरण और फसल की एक तस्वीर को प्लेटफॉर्म पर अपलोड करना होता है। यह व्यवस्था वास्तव में उपज के मूल्यांकन हेतु शामिल की गई है।

ई-नाम (e-NAM) प्लेटफॉर्म के समक्ष चुनौतियाँ :

  • अभी भी भारत में दूरस्थ गाँवों या सामान्य जगहों पर इंटरनेट की पहुँच एक बड़ा मुद्दा है जिससे किसानों के लिये इस पोर्टल के द्वारा व्यापार कर पाना सुगम नहीं हो पाता।
  • किसान ऑनलाइन व्यापार की बजाय भौतिक व्यापार के साथ अधिक सहज महसूस करते हैं। स्वयं अपनी उपज को ले जाकर बेचने में किसानों को अधिक आसानी होती है।
  • केवल 8.42% मंडियाँ ही ई-नाम प्लेटफॉर्म के माध्यम से जुड़ी हुई हैं। इस वजह से इनकी देशव्यापी पहुँच नहीं है।

आगे की राह :

  • वर्तमान स्थिति को देखते हुए सरकार द्वारा प्रेस वार्ताओं के माध्यम से किसानों को उनके हितों के लिये किये जा रहे उपायों और कृषिगत सुधारों से अवगत कराया जाना चाहिए। साथ ही, किसानों में फैलते देशव्यापी रोष पर सरकार द्वारा अपनी जवाबदेही प्रस्तुत की जानी चाहिए।
  • कृषि क्षेत्र हेतु सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 8-10% तक का राहत पैकेज घोषित किया जाना चाहिए।
  • विपणन प्रणाली को दुरुस्त करने के लिये महाराष्ट्र के वैकल्पिक बाज़ार चैनल जैसे उदाहरणों को और अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में हो रहे कृषिगत नुकसान के लिये वैश्विक स्तर पर भविष्य में ज़िम्मेदारी सुनिश्चित करने की भी ज़रुरत है। भारत को डब्ल्यू.एच.ओ, डब्ल्यू.टी.ओ. सहित संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्य प्रणाली में मूलभूत सुधारों की बात उठानी चाहिए, जिससे इसे अधिक पारदर्शी, सक्षम और जवाबदेह बनाया जा सके। अतः उपरोक्त प्रयासों को लागू किये जाने की आवश्यकता है, जिससे भारत जैसे कृषि प्रधान देश में कृषि ढाँचा न सिर्फ सुदृढ़ हो सके बल्कि उचित मुनाफा भी मिल सके और किसानों को वैश्विक स्तर पर उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
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