(प्रारम्भिक परीक्षा के लिए - जी-20)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)
चर्चा में क्यों
भारत पहली बार 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करने जा रहा है।
जी-20
- जी 20, दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर सरकारी मंच है।
- इसमें 19 देश ( अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका) और यूरोपीय संघ शामिल हैं।
- जी-20 वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85%, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 75% और विश्व की दो- तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, जो इसे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच बनाता है।
- इस समूह की स्थापना 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के लिए वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा के मंच के रूप में की गई थी।
- बाद में इसे राज्य / सरकार के प्रमुखों के स्तर तक उन्नत किया गया और इसे 'अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रीमियर फोरम' नामित किया गया।
- शुरूआत में G20 ने व्यापक व्यापक आर्थिक नीति पर ध्यान केंद्रित किया, परंतु बाद में इसने व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, भ्रष्टाचार विरोधी आदि मुद्दों को भी शामिल करके अपने दायरे का विस्तार किया है।
- जी-20 का कोई स्थायी सचिवालय या मुख्यालय नहीं है।
- G20 की अध्यक्षता प्रतिवर्ष रोटेशन के आधार पर सदस्यों द्वारा की जाती है।
- अध्यक्ष पद धारण करने वाला देश, पिछले अध्यक्ष और भावी अध्यक्ष के साथ मिलकर 'ट्रोइका' नामक समूह बनता है, जो G20 एजेंडे की निरंतरता सुनिश्चित करता है।
- पहला G20 शिखर सम्मेलन 2008 में अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में हुआ था।
- जी-20 शिखर सम्मेलन को औपचारिक रूप से "वित्तीय बाजारों और विश्व अर्थव्यवस्था पर शिखर सम्मेलन" के रूप में जाना जाता है।
- G20 प्रक्रिया का नेतृत्व सदस्य देशों के शेरपाओं द्वारा किया जाता है, जो नेताओं के व्यक्तिगत दूत होते हैं।
- शेरपा वर्ष के दौरान वार्ता की देखरेख करते हैं, शिखर सम्मेलन के लिए एजेंडा पर चर्चा करते हैं तथा G20 के मूल कार्य का समन्वय करते हैं।
- G20 के कार्य को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है - वित्त ट्रैक और शेरपा ट्रैक।
G20 के उद्देश्य –
- मध्यम आय वाले देशों को शामिल करके वैश्विक वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करना।
- आर्थिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए इसके सदस्यों के बीच नीतिगत समन्वय बनाना
- सतत वृद्धि सुनिश्चित करना।
- जोखिम कम करने और भविष्य के वित्तीय संकटों को रोकने वाले वित्तीय नियमों को बढ़ावा देना।
G20 का महत्व
- यह G7 जैसे अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में एक अधिक प्रतिनिधि समूह है, जिसमें केवल औद्योगिक अर्थव्यवस्थाएं शामिल थीं, और वैश्विक दक्षिण के हितों को नजरअंदाज कर दिया गया था।
- 2007 के वित्तीय संकट के दौरान, G20 सदस्यों ने अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने के लिए खर्च को बढ़ावा देने और व्यापार बाधाओं को कम करने सहित ठोस कार्रवाई की।
- जी 20 का आर्थिक और वित्तीय समूह दुनिया के महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मामलों जैसे कि जलवायु परिवर्तन, डेटा विकेंद्रीकरण आदि में के बारे मे चर्चा के लिए देशों को एक मंच प्रदान करता है।
- जी 20 ने कोविड-19 महामारी के दौरान देशों को राहत प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- G20 देशों ने दुनिया के कुछ सबसे गरीब देशों द्वारा उन पर बकाया ऋण भुगतान को निलंबित करने पर सहमति व्यक्त की, जिससे उन देशों को अरबों डॉलर की राहत प्रदान की गयी।
जी-20 से संबंधित चुनौतियाँ
- रूस-यूक्रेन संकट वर्तमान समय में जी 20 के लिए सबसे बड़ा अवरोध है, जो कामकाज को बाधित कर रहा है।
- क्योंकि अमेरिका और उसके सहयोगी रूस और उसके सहयोगियों के साथ एक ही मंच पर बैठने के लिए तैयार नहीं हैं।
- यह समूह के कामकाज में एक गंभीर गतिरोध पैदा कर सकता है और इसकी प्रगति को बाधित कर सकता है।
- G20 समूह सदस्य देशों के भीतर चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम नहीं है।
- व्यापार पर अमेरिका-चीन मुद्दे, अमेरिका-रूस परमाणु हथियारों पर विभाजन, आदि जैसे मुद्दों को हल करने में यह समूह सफल साबित नहीं हुआ है।
- बढ़ते संरक्षणवाद के कारण अन्य वैश्विक समूहों सहित जी 20 की प्रासंगिकता भी कम हो रही है।
- G20 का कोई स्थायी सचिवालय नहीं है। अध्यक्षता करने वाले राष्ट्र की प्राथमिकताओं के अनुसार इसका एजेंडा प्रतिवर्ष बदलता रहता है।
- यह छोटे देशों के निर्णय लेने को प्रभावित करता है छोटे-छोटे देश, जो G20 के सदस्य नहीं हैं उन्हे G20 देशों द्वारा उनके विकास और अवसर के लिए सहमत घोषणाओं और प्रतिबद्धताओं को लागू करना होता है।
- G20 देशों ने कोयला बिजली संयंत्रों के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषण को समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की, जिसके कारण एक छोटा राष्ट्र नये कोयला बिजली संयंत्र के लिए G20 देशों से कोई वित्त प्राप्त नहीं कर सकता है।
- उसे अपने स्वयं के सीमित वित्तीय संसाधनों का उपयोग करना होगा, या कोयले के प्रयोग को चरणबद्ध रूप से समाप्त करना होगा और अन्य विकल्पों की तलाश करनी होगी।
- G20 की घोषणाएं कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, तथा इसके निर्णयों को लागू करने के लिए कोई स्थायी तंत्र नहीं है।
- दक्षिण अफ्रीका को छोड़कर किसी भी अन्य अफ्रीकी देश का इस समूह का सदस्य नहीं होना, इसके वैश्विक तथा प्रतिनिधिक समूह होने के दावे पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
आगे की राह
- जी- 20 को पर्याप्त भोजन, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, जल और स्वच्छता सुनिश्चित करने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का मार्गदर्शन करना चाहिए।
- जी 20 समूह को डिजिटल सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति की क्षमता का उपयोग करने की आवश्यकता है।
- जी 20 को जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्राकृतिक आपदाओं, कृषि नवाचार को समर्थन देने से लेकर शहरी और बुनियादी ढांचागत नियोजन तक प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य को विशेष रूप से कोविड-19 के घातक प्रभाव के बाद एक प्रमुख एजेंडा बनाया जाना चाहिए।
- एक प्रमुख वैश्विक चुनौती के रूप में तेजी से बढ़ रहे रोगाणुरोधी प्रतिरोध के लिए नई एंटीबायोटिक दवाओं और मौजूदा जैव प्रौद्योगिकी सुविधाओं के बीच सहयोग किए जाने की आवश्यकता है।
- पश्चिमी आर्थिक प्रतिबंधों के कारण वैश्विक आर्थिक व्यवधान और वैश्विक आर्थिक मंचों पर रूस के जारी बहिष्कार के लिए भारत, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को पहल करने की आवश्यकता है।
- G20 को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं की जगह पर घरेलू प्रतिबद्धताओं पर ज्यादा ध्यान देना और उनका कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिये।
- उदाहरण के लिए, बिजली बनाने के लिये प्रयोग किए जाने वाले कोयले के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण को समाप्त करने की जगह पर, G20 राष्ट्रों को घरेलू कोयले की खपत को समाप्त करना चाहिए।
- यह एक महत्वपूर्ण प्रभाव पैदा करेगा, क्योंकि G20 राष्ट्र दुनिया के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 75% से अधिक का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- 2011 की एक रिपोर्ट ने G20 की विशिष्टता की आलोचना की थी, इसलिए G20 को अन्य देशों विशेष रूप से अफ्रीकी देशों को शामिल करके खुद को और अधिक प्रतिनिधिक बनाना होगा।