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जी-20 एंटी-करप्शन वर्किंग ग्रुप की बैठक

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 : विषय - महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश)

हाल ही में, सऊदी अरब ने जी-20 देशों के एंटी-करप्शन वर्किंग ग्रुप (ACWG) की अपनी तरह की पहली मंत्री-स्तरीय बैठक की मेजबानी की।

वर्तमान में, सऊदी अरब जी-20 का अध्यक्ष है और जी-20 की अध्यक्षता करने वाला यह पहला अरब राष्ट्र है।

प्रमुख बिंदु

§ जी-20 एंटी-करप्शन वर्किंग ग्रुप: G-20 Anti-Corruption Working Group (ACWG):

  • इसकी स्थापना जून 2010 में जी -20 के टोरंटो शिखर सम्मेलन में की गई थी। वर्ष 2020 में इसकी 10वीं वर्षगांठ है।
  • उद्देश्य: "भ्रष्टाचार से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में जी-20 देशों द्वारा प्रदत्त व्यावहारिक और मूल्यवान योगदान जारी रखने के लिये और उस पर विचार के लिये व्यापक स्तर पर सिफारिशें देना”।
  • ACWG ने G-20 के सदस्यों द्वारा किये गए सामूहिक और राष्ट्रीय कार्यों में समन्वय स्थापित करते हुए समूह के भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों का नेतृत्व प्रदान किया है।
  • यह विश्व बैंक समूह, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओ.ई.सी.डी), संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime- UNODC), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.), वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफ.ए.टी.एफ.) आदि के साथ मिलकर कार्य करता है।
  • विश्व बैंक और यू.एन.ओ.डी.सी. स्टोलेन एसेट रिकवरी इनिशिएटिव (स्टार) नामक पहल में सक्रिय भागीदारी और योगदान के माध्यम से ए.सी.डब्ल्यू.जी. के कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भी शामिल हैं। यह सम्पत्ति की वसूली, धन-शोधन रोधी (anti-money laundering)/आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण, पारदर्शिता लाभकारी स्वामित्व आदि विषयों पर एक सलाहकार की भूमिका निभाता है।

§ भ्रष्टाचार पर जी -20 दृष्टिकोण :

  • हाल के वर्षों में जी -20 ने वैश्विक स्तर पर अनेक देशों के भ्रष्टाचार-रोधी प्रयासों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • जी -20 ने भ्रष्टाचार के उन नकारात्मक प्रभावों के खिलाफ अपनी आवाज़ मुखर की है, जिनसे 'बाज़ारों की अखंडता खतरे में आती है, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा कम होती है, संसाधनों का आवंटन विकृत होता है तथा सार्वजनिक विश्वास कम होता है या विधि के शासन (rule of law) में रुकावटें उत्पन्न होती हैं।
  • जी -20 यह सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध है कि सदस्य देश सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ते रहें और मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं में मूल्यवृद्धि करते रहें।
  • G-20 ने वर्ष 2018 में ब्यूनस आयर्स में भ्रष्टाचार-रोधी कार्य योजना, 2019-2021 पर अपनी सहमति व्यक्त की थी। ध्यातव्य है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को बढ़ावा देने के लिये यह कार्य योजना शुरू की गई थी।

भारत में इससे जुड़ी पहलें

केंद्रीय सतर्कता आयोग :

  • यद्यपि इसे वर्ष  1964 में स्थापित किया गया था लेकिन वर्ष 2003 में यह एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय बना।
  • इसका कार्य सावधानीपूर्वक प्रशासन की देख-रेख करना और भ्रष्टाचार से सम्बंधित मामलों में प्रशासन को सलाह देना और उसकी सहायता करना है।

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 ( Prevention of Corruption Act)

  • इस अधिनियम का उद्देश्य बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की जाँच करना और कॉर्पोरेट रिश्वतखोरी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना है। इसमें ईमानदार कर्मचारियों को संरक्षण देने का प्रावधान भी है।
  • कई नए प्रावधानों को जोड़ने के लिये इसे वर्ष 2018 में संशोधित किया गया था, जैसे घूस लेने और देने को अपराध घोषित करना आदि।

लोकपाल तथा लोकायुक्त:

  • लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013 द्वारा संघ (केंद्र) के लिये लोकपाल और राज्यों के लिये लोकायुक्त  की व्यवस्था की गई है। इन संस्थाओं को अभी संवैधानिक दर्जा नहीं प्राप्त है। ये एक प्रशासनिक शिकायत जाँच अधिकारी अथवा लोकपाल (Ombudsman) के रूप में कार्य करते हैं एवं निश्चित श्रेणी के कुछ सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करते हैं।
  • ये संस्थाएँ देश में अधिक पारदर्शिता, अधिक नागरिक-केंद्रिता और शासन में जवाबदेही लाने के लिये कार्य कर रही हैं।

भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (Fugitive Economic Offenders Act, 2018)

  • इस कानून के तहत, अधिकृत विशेष अदालत को किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने और उसकी बेनामी व अन्य सम्पत्ति ज़ब्त करने का अधिकार होगा। ज़ब्त करने के आदेश की तारीख से सभी सम्पत्तियों का अधिकार केंद्र सरकार के पास चला जाएगा।

धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002 )

  • इसके प्रावधानों के तहत निदेशालय द्वारा धन-शोधन के अपराधियों के विरूद्ध, तालाशी, छापेमारी, गिरफ्तारी, जांच आदि से प्रमाण जुटाकर अवैध रूप से अर्जित सम्पत्ति की ज़ब्ती तथा मुकद्दमे कायम करके उन्हें सज़ा दिलवाने की कार्यवाही की जाती है।
  • अवैध तरीके से कमाये गये काले धन को, वैध तरीके से कमाये गये धन के रूप दिखाना धन-शोधन या मनी लॉन्ड्रिंग कहलाता है।
  • अन्य सम्बंधित कानून :
    • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
    • व्हिसिल ब्लोअर्स संरक्षण अधिनियम, 2014
    • बेनामी लेन-देन (निषेध) अधिनियम, 2016

प्री फैक्ट्स

संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime- UNODC)

  • यू.ए.ओ.डी.सी. की स्‍थापना वर्ष 1997 में संयुक्‍त राष्‍ट्र मादक पदार्थ नियंत्रण कार्यक्रम और अंतर्राष्‍ट्रीय अपराध रोकथाम केंद्र को मिलाकर संयुक्‍त राष्‍ट्र सुधारों के तहत‍की गई थी। इसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में है।
  • इस कार्यालय का अधिकार क्षेत्र संयुक्‍त राष्‍ट्र समझौतों में निहित है, जैसे मादक पदार्थों के बारे में तीन समझौते, यूएन कन्‍वेंशन अगेंस्‍ट ट्रांस नेशनल ऑर्गेनाइज़्ड क्राइम और व्‍यक्तियों की तस्‍करी के बारे में, थल, जल और वायु के रास्‍ते प्रवासियों की तस्‍करी के बारे में तथा आग्‍नेय अस्‍त्रों को अवैध रूप से बनाने और तस्‍करी के बारे में उसके तीन प्रोटोकॉल, भ्रष्‍टाचार के विरुद्ध संयुक्‍त राष्‍ट्र समझौता, आतंकवाद के विरुद्ध सार्वभौम समझौते और अपराधों की रोकथाम तथा दंड न्‍याय सम्बंधी संयुक्‍त राष्‍ट्र मानकों एवं नियमों में निहित है।
  • इन समझौतों की मदद से यू.एन.ओ.डी.सी, सदस्‍य देशों को अवैध मादक पदार्थों, अपराध एवं आतंकवाद के मुद्दों का समाधान देने में मदद करता है।
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