(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2: विषय- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से सम्बंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश)
- हाल ही में, सऊदी अरब ने कोविड-19 महामारी के दौरान सीमापार आर्थिक गति विधियों की तरफ ध्यान आकर्षित करने एवं अर्थव्यवस्थाओं को पटरी पर लाने के लियेG-20 समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक की मेज़बानी की।
- वर्तमान में सऊदी अरब G-20 समूह की अध्यक्षता कर रहा है। यह G-20 की अध्यक्षता करने वाला पहला अरब राष्ट्र है।
प्रमुख बिंदु:
- बैठक:
- सभी विदेश मंत्रियों ने सीमाएँ खोलने के महत्त्व को स्वीकार किया और कोविड-19 महामारी के लिये सुरक्षात्मक उपायों के साथ ही अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिये सम्भावित उपायों पर बात की।
- ध्यातव्य है कि, विभिन्न देशों द्वारा कोविड-19 के प्रसार से उत्पन्न जोखिम को कम करने के लिये स्वास्थ्य व सुरक्षा से जुड़े कई प्रोटोकॉल एहतियातन अपनाए गए थे, जैसे आयात-निर्यात व शिक्षा आदि के लिये सीमाओं को बंद करना आदि।
- हालाँकि, इनमें से कई प्रोटोकॉल अब विश्व में व्यापार और व्यवसायों को सुगमतापूर्वक चलाने में बहुत बड़ी बाधा बन कर उभर रहे हैं, जिसके परिणा मस्वरूप अनेक देशों में लोगों के लिये विभिन्न स्तरों परजीवन और आजीविका का संकट पैदा हो गया है।
- भारत ने वंदे भारत मिशन सहित भारत द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में G-20 देशों केविदेश मंत्रियों को अवगत कराया और भारत में फँसे विदेशी नागरिकों के देखभाल और संरक्षण के लिये किये गए विशेष उपायों के साथ-साथ विदेशों में फँसे अपने स्वयं के नागरिकों के लिये उठाए गए सुरक्षात्मक क़दमों के बारे में भी बताया।
- जी -20 द्वारा हाल ही में की गई पहल:
- इससे पहले, जुलाई,2020 में G-20 समूह के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों (FMCBG) की तीसरी बैठक में महामारी से निपटने के लिये विशेष कार्य योजना पर विस्तार से चर्चा भी की गई थी।
- इस कार्य योजना में स्वास्थ्य क्षेत्र, आर्थिक क्षेत्र, सतत विकास और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय समन्वय से जुड़े विभिन्न स्तंभों और उनसे जुड़ी सभी देशों की प्रतिबद्धता और अन्य सभी अनुलग्नक विषयों को शामिल किया गया था।
- G-20 द्वारा कोविड-19 से निपटने के लिये सभी सदस्य देशों द्वारा की गई डिजिटल कोशिशों पर बात करने के लिये वित्त मंत्रियों की एक डिजिटल आभासी बैठक का आयोजन भी किया गया था।
- भारत का प्रस्ताव: बैठक में भारत ने स्वैच्छिक'G-20 सिद्धांत' के विकास से जुड़े तीन बिंदुओंवाले 'क्रॉस-बॉर्डर मूवमेंट ऑफ़ पीपुल' को प्रस्तावित किया:
- परीक्षण प्रक्रियाओं का मानकीकरण (Standardisation of testing procedures) और परीक्षण परिणामों की सार्वभौमिक स्वीकार्यता।
- संगरोध प्रक्रियाओं (Quarantine procedures) का मानकीकरण।
- 'गतिविधि और पारगमन' प्रोटोकॉल (movement and transit’ protocols) का मानकीकरण।
- दुनिया भर की सरकारों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि विदेशी छात्रों के हितों की रक्षा की जाए और महामारी की वजह से फँसे हुए नाविकों को उनके देश वापस भेजा जाए।
- महामारी के कारण दुनिया भर के शिक्षण संस्थान महीनों से बंद हैं। सीमाओं के पुनः बंद हो जाने की वजह से विदेशी छात्र जो अपने देश में वापस आ गए थे, उनको सम्बंधित संस्थानों से पुनः जोड़ना मुश्किल हो रहा है।
G-20 समूह:
- G20 19 देशों और यूरोपीय संघ का एक अनौपचारिक समूह है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
- G-20, दुनिया की सबसे बड़ी, उन्नत और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का मिश्रण है , जो दुनिया की आबादी का लगभग दो-तिहाई, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85%, वैश्विक निवेश का 80% और वैश्विक व्यापार का 75% से अधिक का प्रतिनिधित्त्व करते हैं।
- 19 सदस्य देश अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं।
- यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व, यूरोपीय आयोग और यूरोपीय केंद्रीय बैंक द्वारा किया जाता है।
- इसका गठन वर्ष1999 में हुआ था । यह विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से शीर्ष 20 देशों की सरकारों और उनके केन्द्रीय बैंकों के गवर्नरों के लिये एक सामूहिक मंच के तौर पर काम करता है।
- जी 20 देशों की सरकारों के प्रमुख समय-समय पर दुनिया पर असर डालने वाली वैश्विक समस्याओं या ज्वलंत मुद्दों पर बात करने एवं उनसे निपटने के लिये शिखर सम्मेलन में भाग लेते हैं।
- इसके अलावा, G-20 समूह वित्त मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की अलग-अलग बैठकों की मेज़बानी भी करता है।
- उल्लेखनीय है कि इस समूह का कोई स्थाई सचिवालय या मुख्यालय नहीं है।
अभिप्राय और उद्देश्य
- G-20 समूह का गठन अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने और इससे सम्बंधित नीतिगत मुद्दों की उच्च स्तरीय चर्चा के साथ इसके अध्ययन, समीक्षा और प्रचार के लिये किया गया था।
- मंच का उद्देश्य मौद्रिक, राजकोषीय और वित्तीय नीतियों के बेहतर समन्वय द्वारा वित्तीय बाज़ारों की भुगतान समस्याओं संतुलित करना है।
G20 शेरपा:
- शेरपा, राष्ट्र या सरकार के प्रमुखों के व्यक्तिगत प्रतिनिधि होते हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलनों, विशेष रूप से वार्षिक G-7 और G-20 की तैयारियों को सम्पन्न कराते हैं।
- शिखर सम्मेलनों के बीच, कई शेरपा सम्मेलन होते हैं जहाँ सम्भावित समझौतों को अंतिम स्वरुप प्रदान किया जाता है।
- इन शेरपा सम्मेलनों की वजह से शिखर सम्मेलनों में अंतिम दौर की वार्ताओं में राष्ट्र के प्रमुखों के बीच होने वाले प्रस्तावित समझौतों के दौरान अनावश्यक समय बर्बाद नहीं होता।
- यद्यपि शेरपाओं के पास किसी भी समझौते के बारे में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार नहीं होता है।
- यह नाम नेपाली जातीय समूह के शेरपा लोगों से लिया गया, जो हिमालय में गाइड और पॉर्टर के रूप में काम करते हैं। शेरपा नाम देने का संदर्भ यह है कि ये प्रमुख शिखर सम्मेलनों में राज्य प्रमुखों के लिए रास्ता सुगम बनाते हैं।
आगे की राह:
वैश्विक स्तर पर COVID-19 महामारी से संक्रमित लोगों के आँकड़े करोड़ों में पहुँच गए हैं जो कि अत्यधिक चिंता कि बात है जिस पर विश्व स्तर के नेताओं कि निगाह लगातार बनी हुई है। G-20 वैश्विक स्तर पर अत्यधिक प्रभावशाली संगठन है, जिसके सभी नेताओं को मिलकर कोविड-19 महामारी की वजह से विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को हुए बड़े आर्थिक नुकसान और जी.डी.पी. में हुई गिरावट पर विशेष ध्यान देना चाहिये। ध्यातव्य है कि हाल ही में भारतीय जी.डी.पी. के तिमाही आँकड़ों में अब तक का सबसे बड़ा संकुचन देखा गया था, जो न सिर्फ भारत बल्कि सभी विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के तिमाही/वार्षिक आँकड़ों में भी देखा गया था और यह सभी देशों के लिये विशेष रूप से ध्यान देने वाली बात है।