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गंगा नदी डॉल्फिन टैगिंग

(प्रारम्भिक परीक्षा, सामान्य अध्ययन 3: जैव विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण।)

संदर्भ 

  • भारत ने असम में गंगा नदी डॉल्फिन को पहली बार टैग करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है । 
  • एक स्वस्थ नर नदी डॉल्फिन को टैग किया गया और अत्यधिक पशु चिकित्सा देखभाल और निगरानी में उसे छोड़ दिया गया।

  • परियोजना : पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत प्रोजेक्ट डॉल्फिन का हिस्सा है। 
  • सहयोग : भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) द्वारा असम वन विभाग और आरण्यक के सहयोग से।
  • वित्तपोषण : राष्ट्रीय कैम्पा (CAMPA) प्राधिकरण द्वारा।
  • टैगिंग प्रक्रिया: सैटेलाइट टैग का इस्तेमाल इसलिए किया गया क्योंकि वे हल्के होते हैं और आर्गोस सैटेलाइट सिस्टम के साथ संगत सिग्नल उत्सर्जित कर सकते हैं, तब भी जब डॉल्फ़िन थोड़े समय के लिए सतह पर होती है।
  • यह तकनीक शोधकर्ताओं को डॉल्फ़िन के प्राकृतिक व्यवहार में हस्तक्षेप किए बिना उसकी गतिविधि और आवास के उपयोग को ट्रैक करने की अनुमति देगी।
  • टैगिंग का उद्देश्य : टैगिंग अभ्यास का मुख्य लक्ष्य डॉल्फ़िन के मौसमी और प्रवासी पैटर्न , इसकी सीमा, वितरण और यह अपने आवास का उपयोग कैसे करती है - विशेष रूप से खंडित या अशांत नदी प्रणालियों में - के बारे में महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करना है। 
  • यह जानकारी वैज्ञानिक रूप से ठोस संरक्षण रणनीतियों को विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

आर्गोस सैटेलाइट सिस्टम

आर्गोस एक वैश्विक उपग्रह-आधारित प्रणाली है जो दुनिया भर में स्थिर और मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म से पर्यावरण डेटा एकत्र करती है, संसाधित करती है और प्रसारित करती है। 

गंगा नदी डॉल्फिन के बारे में 

  • गंगा नदी डॉल्फिन दुनिया में पाई जाने वाली चार मीठे पानी की डॉल्फिन प्रजातियों में से एक है। 
    • अन्य तीन, चीन में यांग्त्ज़ी नदी (अब विलुप्त), पाकिस्तान में सिंधु नदी और दक्षिण अमेरिका में अमेज़न नदी में पाई जाती हैं। 
  • यह भारत का राष्ट्रीय जलीय पशु है, जिसकी 90% आबादी भारत में पाई जाती है।
  • वैज्ञानिक नाम : प्लैटनिस्टा गैंगेटिका
  • वितरण : ऐतिहासिक रूप से गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्णफुली नदी के साथ- साथ घाघरा, कोसी, गंडक, चंबल, और यमुना आदि नदियों में वितरित है। 
    • यह भारत, नेपाल और बांग्लादेश में पाई जाती है।

विशेषताएं

  • डॉल्फिन लगभग अंधी होती है और भोजन खोजने और नेविगेट करने के लिए इकोलोकेशन पर निर्भर करती है। 
  • यह जल में सांस नहीं ले सकती इसीलिए कुछ समय के लिए सतह पर आती है (केवल 5-30 सेकंड के लिए)। 
  • साँस लेते समय निकलने वाली ध्वनि के कारण इसे 'सुसु' भी कहा जाता है।

संरक्षण स्थिति

  • यह वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 : अनुसूची-I में सूचीबद्ध 
  • प्रकृति के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) : संकटग्रस्त (Endangered)
  • लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) :  परिशिष्ट-I में। 

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य 

  • वर्ष 2009 में भारत सरकार ने गंगा डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय पशु के रूप में मान्यता दी।
  • बिहार के भागलपुर जिले में विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य स्थापित किया गया है।
  • प्रत्येक वर्ष के 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय गंगा नदी डॉल्फिन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • प्रोजेक्ट टाइगर (1973) की तर्ज पर वर्ष 2020 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रोजेक्ट डॉल्फिन की शुरूआत की गई। 
    • यह गंगा नदी डॉल्फिन के संरक्षण के लिए एक राष्ट्रीय पहल है। 
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