केरल के विभिन्न भागों में गरुड़न पर्व का आयोजन किया गया। यह केरल के मध्य भाग में लोकप्रिय एक आनुष्ठानिक कला है।
विशेष रूप से कोट्टायम, अलाप्पुझा, एर्नाकुलम व इडुक्की जिलों में भद्रकाली मंदिरों में इसका आयोजन किया जाता है।
एक मिथक के अनुसार देवी काली द्वारा युद्ध में राक्षस राजा दारिका के वध के बाद भगवान विष्णु ने देवी काली की प्यास बुझाने के लिए गरुड़ को भेजा था।
‘गरुड़’ भगवान विष्णु की सवारी है।
यह अनुष्ठान देवी काली को उनके भक्तों द्वारा भेंट के रूप में आयोजित किया जाता है।
इसमें पुरुष चेंडा, इलाथलम, कोम्बू इत्यादि जैसे पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों की संगत में एक आनुष्ठानिक नृत्य करते हैं। इसके प्रदर्शन में 18 थलवट्टम (लयबद्ध पैटर्न) शामिल होते हैं।
इसमें चेहरे के मेकअप के लिए केवल वेल्लामनायोला, पाचा, चुवप्पु व माशी जैसे प्राकृतिक रंगद्रव्य का उपयोग किया जाता है।