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गति शक्ति विश्वविद्यालय

चर्चा में क्यों

हाल ही में, केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक पेश किया। इसके माध्यम से राष्ट्रीय रेल एवं परिवहन संस्थान को ‘गति शक्ति विश्वविद्यालय’ नाम से स्वायत्त केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में परिवर्तित करने का प्रस्ताव किया गया है, जो वर्तमान में डीम्ड विश्वविद्यालय है।

प्रमुख बिंदु

  • यह विधेयक संपूर्ण परिवहन क्षेत्र को कवर करने तथा इस क्षेत्र के विकास और आधुनिकीकरण का समर्थन करने के लिये इस विश्वविद्यालय के दायरे का विस्तार रेलवे क्षेत्र से परे करना चाहता है।
  • यह विधेयक गति शक्ति विश्वविद्यालय को एक निगमित निकाय के रूप में स्थापित करने का उपबंध करने के लिये केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन करना चाहता है। नया विश्वविद्यालय रेल मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित और प्रशासित किया जाएगा।

गति शक्ति विश्वविद्यालय की स्थापना का कारण 

  • रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और विस्तारित परिवहन क्षेत्र में प्रतिभा की आवश्यकता को पूरा करना
  • परिवहन क्षेत्र के विकास और विस्तार को बढ़ावा देने के लिये प्रशिक्षित प्रतिभा की माँग को पूरा करना।
  • स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करने तथा उन्नत प्रौद्योगिकी, उपकरण व उत्पादों के आयात को प्रतिस्थापित करने के लिये नवीन तकनीकों का निर्माण करने के लिये आवश्यक अनुसंधान और विकास करना।
  • भारत और विदेशों में केंद्र स्थापित करने सहित परिवहन, प्रौद्योगिकी व प्रबंधन से संबंधित विविध विषयों में उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण, अनुसंधान तथा कौशल विकास को बढ़ावा देना।

नामकरण 

  • इस विश्वविद्यालय का नाम मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिये सरकार के प्रमुख ‘पी.एम. गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान’ के नाम पर रखा गया है। गति शक्ति मास्टर प्लान अनिवार्य रूप से 16 मंत्रालयों को एक साथ लाने वाला एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
  • इसमें भारतमाला, सागरमाला और अंतर्देशीय जलमार्ग, शुष्क एवं भूमि बंदरगाहों तथा उड़ान जैसी बुनियादी ढाँचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं की एकीकृत योजना व समन्वित कार्यान्वयन के लिये रेलवे के साथ-साथ सड़क मार्ग शामिल हैं।
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