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जी.ई.एम. प्लेटफॉर्म पर सहकारी समितियाँ

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, केंद्र सरकार ने गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) प्लेटफॉर्म पर सहकारी समितियों को खरीदार के रूप में पंजीकरण की मंजूरी दी है।  

जी.इ.एम. प्लेटफॉर्म 

यह एक राष्ट्रीय पोर्टल है जो पारदर्शी और कुशल तरीके से सामान्य उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद हेतु केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रालयों/विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों आदि के लिये एक समग्र ऑनलाइन बाज़ार उपलब्ध कराता है। 

जी.इ.एम.  के माध्यम से खरीदारी के लाभ 

  • सहकारी समितियों को पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से प्रतिस्पर्धी मूल्य प्राप्त होगा जो  उनके सदस्यों के लिये आर्थिक रूप से लाभदायक होगा। 
  • इस पोर्टल पर मानक प्रक्रियाओं का पालन करने से समय की बचत होगी और प्रशासनिक बोझ में कमी आएगी।   
  • इससे सहकारी समितियों की विश्वसनीयता बढ़ेगी तथा धन के कुप्रबंधन की समस्याओं में कमी आएगी। 
  • यह सहकारी समितियों को एक ही मंच पर 45 लाख से अधिक विक्रेताओं तक पहुँचने तथा पारदर्शी एवं कुशल खरीद प्रणाली के लिये सक्षम बनाएगा। 

सहकारी समितियाँ  

  • वर्तमान में, भारत में लगभग 29 करोड़ सदस्यता के साथ करीब 8.54 लाख सहकारी समितियाँ विद्यमान हैं।
  • सहकारी समिति आमतौर पर वंचितों या कमजोर वर्गों द्वारा गठित एक स्वैच्छिक संगठन है जिसका निर्माण समान लक्ष्य वाले व समान विचारधारा वाले लोगों द्वारा किया जाता है। 
  • ये किसी को भी उनकी सामाजिक या धार्मिक पृष्ठभूमि के आधार पर प्रतिबंधित नहीं कर सकती है तथा इनकी प्रकृति लोकतांत्रिक होती है। 
  • इन समितियों को अपने सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने होते हैं जिसका ऑडिट किया जा सकता है। 
  • संविधान के अनुच्छेद 19(1)(C)के तहत कुछ युक्तियुक्त निर्बंधनों के साथ संघ या सहकारी समितियाँ बनाने की स्वतंत्रता दी गई है जबकि अनुच्छेद 43-B के अंतर्गत राज्य द्वारा सहकारी समितियों के स्वैच्छिक गठन, स्वायत्त कामकाज, लोकतांत्रिक नियंत्रण और पेशेवर प्रबंधन को बढ़ावा देने का उल्लेख किया गया है।
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