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जेनेटिक स्क्रीनिंग (Genetic Screening)

(प्रारंभिक परीक्षा- सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : स्वास्थ्य, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।)

चर्चा में क्यों

  • दुनिया भर में एथलीट बेहतर प्रदर्शन के लिए जेनेटिक स्क्रीनिंग सहारा ले रहे हैं और अपने शरीर में खाद्य एलर्जी और आवश्यक खनिजों और विटामिनों की कमी की जाँच करवाकर प्रतिपूरकों की मदद से अपने प्रदर्शन को बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं।
  • 2017 में, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने कथित तौर पर भारतीय पुरुष क्रिकेट खिलाडियों में गति बढ़ाने, वसा को कम करने, पुनर्प्राप्ति समय और मांसपेशियों के निर्माण में सुधार करने में मदद करने के लिए जेनेटिक स्क्रीनिंग शुरू किया था।

क्या है जेनेटिक स्क्रीनिंग 

  • जेनेटिक स्क्रीनिंग या आनुवंशिक परीक्षण की शुरुआत बीमारियों या प्रवृत्तियों का पता लगाने के लिए की गई थी। 
    • खेल जगत में इसका उपयोग 1990 के दशक के उत्तरार्ध में शुरू हुआ, जब वैज्ञानिकों ने एथलेटिक प्रदर्शन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करने में जीन की भूमिका के प्रमाण जुटाने शुरू किए।
  • आनुवंशिक परीक्षण में कोशिकाओं में मौजूद डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) में संग्रहीत निर्देशों को डी-कोड किया जाता है।
    • डीएनए में मौजूद कोड शरीर के काम करने के तरीके से लेकर रूप-रंग तक को निर्धारित करता है
    • इसके अलावा यह कुछ बीमारियों के विकसित होने की संभावनाओं को भी प्रभावित करता है।
  • यह आनुवंशिक डाटा में चार अक्षरों या रसायनों (नाइट्रोजन बेस) - एडेनिन, गुआनिन, साइटोसिन और थाइमिन के विशिष्ट अनुक्रमों के रूप में संगृहीत होता है।
    • इन अनुक्रमों को कोशिकीय मशीनरी द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे शरीर में प्रोटीन की आपूर्ति के लिए सहायक अमीनो एसिड का निर्माण होता है।
  • वैज्ञानिक विशिष्ट डीएनए अनुक्रमों में उत्परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले आनुवंशिक वेरिएंट का अध्ययन करके अद्वितीय एथलेटिक विशेषताओं और लक्षणों में योगदान करने वाले उत्परिवर्तनों की पहचान करते हैं।
    • अंततः एथलीटों में ऐसे उत्परिवर्तनों को लागू करके उनके प्रदर्शन को बेहतर करने का प्रयास किया जाता है।

उदाहरण

  • फिनलैंड के स्कीइंग एथलीट ईरो एंटेरो मंतिरंता की लाल रक्त कोशिका गणना अन्य एथलीटों की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक थी, जबकि सभी अन्य एथलीटों प्रशिक्षण उनके ही समान ही था। 
    • 1990 के दशक में, वैज्ञानिकों ने इस एथलीट सहित उनके परिवार के 200 सदस्यों में से 50 के जीन में एक दुर्लभ उत्परिवर्तन की पहचान की थी, जिससे उनकी लाल रक्त कोशिकाओं की ऑक्सीजन-वहन क्षमता 25-50 प्रतिशत बढ़ गई और उनके प्रदर्शन में वृद्धि हुई।
    • इस एथलीट ने 1960 के दशक में चार ओलंपिक खेलों में सात पदक जीते थे।

डीएनए को डी-कोड करना

  • अक्टूबर 1990 में शुरू की गई मानव जीनोम परियोजना के हिस्से के रूप में, मानव जीनोम के प्रारंभिक अनुक्रमण की घोषणा वर्ष 2000 में की गई थी।
    • सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इस जानकारी के बाद दुनिया भर के वैज्ञानिकों को मानव जीव विज्ञान के रहस्यों को समझने में मदद मिली।
  • वर्ष 1998 में, वैज्ञानिकों ने पहली बार रक्तचाप और कंकाल की मांसपेशियों के कार्य के नियंत्रण में शामिल एंजियोटेंसिन-कंवर्टिंग एंजाइम (angiotensin-converting enzyme : ACE) जीन की पहचान की।
    • इस जीन का एक प्रकार, ACE-I, धीरज प्रदर्शन (endurance performance) से जुड़ा है जो धावकों, नाविकों और पर्वतारोहियों को दूसरों पर बढ़त देता था।
    • इस जीन का एक अन्य प्रकार, ACE-D ताकत बढ़ाने से जुड़ा है, जो भारोत्तोलन के लिए आवश्यक है।
  • इसीप्रकार, जीन अल्फा-एक्टिनिन 3 (ACTN3) भी खेल प्रदर्शन को बेहतर करता है। 
    • यह जीन ACTN3 प्रोटीन का उत्पादन करता है, जो कंकालीय मांसपेशी ऊतक में पाया जाता है, विशेष रूप से टाइप 2 या “फास्ट-ट्विच” मांसपेशी फाइबर में।
    • ये मांसपेशी फाइबर छोटी, शक्तिशाली गतिविधियां उत्पन्न करने के लिए जाने जाते हैं।
  • आनुवंशिक परीक्षण से लैक्टोज़ असहिष्णुता (Lactose intolerant) का भी पता लगाया जाता है। 
    • यह परीक्षण विशिष्ट खाद्य एलर्जी की पहचान भी कर सकते हैं और प्रदर्शन में सुधार के लिए आहार समायोजन में मदद करते हैं।
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