GM फसलें क्या हैं?
आनुवंशिक रूप से परिवर्तित (Genetically Modified - GM) फसलें वे पौधे हैं जिनके डीएनए (DNA) को आनुवंशिक अभियांत्रिकी (Genetic Engineering) तकनीकों द्वारा संशोधित किया गया है। इसका उद्देश्य फसलों में कीट प्रतिरोध, शाकनाशी सहिष्णुता (Herbicide Tolerance) और पोषण सुधार जैसी उपयोगी विशेषताओं को विकसित करना है।
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GM फसलों की मुख्य विशेषताएँ
- कीट प्रतिरोध (Pest Resistance) – कुछ GM फसलों में Bacillus thuringiensis (Bt) नामक बैक्टीरिया के जीन होते हैं, जो कीटनाशक प्रोटीन उत्पन्न करके कीटों से बचाव करते हैं और रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता को कम करते हैं।
- शाकनाशी सहिष्णुता (Herbicide Tolerance) – कुछ GM फसलें विशेष प्रकार के शाकनाशियों (Herbicides) को सहन करने में सक्षम होती हैं, जिससे किसान बिना फसल को नुकसान पहुँचाए खरपतवार को नियंत्रित कर सकते हैं।
- सूखा और रोग प्रतिरोध (Drought and Disease Resistance) – आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें चरम जलवायु परिस्थितियों, जैसे सूखा और बीमारियों के प्रति अधिक सहनशील होती हैं।
- पोषण संबंधी सुधार (Improved Nutritional Content) – कुछ GM फसलों, जैसे गोल्डन राइस (Golden Rice), में विटामिन और अन्य आवश्यक पोषक तत्व बढ़ाए गए हैं, जिससे कुपोषण की समस्या का समाधान हो सके।
GM फसलों के उदाहरण
- ???? Bt कपास (Bt Cotton) – इसमें Bt जीन होता है, जो इसे गुलाबी सूँडी (Bollworm) के प्रति प्रतिरोधी बनाता है।
- ???? गोल्डन राइस (Golden Rice) – इसमें विटामिन A का उत्पादन करने की क्षमता होती है, जिससे यह पोषण संबंधी लाभ प्रदान करता है।
- ???? GM मक्का और सोयाबीन (GM Maize & Soybean) – इन्हें शाकनाशी सहिष्णुता और कीट प्रतिरोधी विशेषताओं के लिए विकसित किया गया है।
- ???? GM बैंगन (Bt Brinjal) – इसमें फलों और तनों को नुकसान पहुँचाने वाले कीटों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता होती है।
GM फसलों के लाभ
- उच्च उत्पादन (Higher Yield) – फसल नुकसान कम होने से उत्पादकता में वृद्धि होती है।
- कीटनाशकों का कम उपयोग (Reduced Pesticide Use) – GM फसलें स्वाभाविक रूप से कीट प्रतिरोधी होती हैं, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता कम होती है।
- पर्यावरणीय लाभ (Environmental Benefits) – कम कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी और जल स्रोतों में प्रदूषण की मात्रा कम होती है।
- पोषण सुधार (Nutritional Enhancement) – GM फसलों में आवश्यक विटामिन और पोषक तत्व बढ़ाकर कुपोषण की समस्या को हल करने में मदद मिलती है।
- जलवायु सहनशीलता (Climate Resilience) – ये फसलें सूखा, अधिक तापमान और विभिन्न रोगों के प्रति अधिक सहनशील होती हैं।
चिंताएँ और चुनौतियाँ
- पर्यावरणीय जोखिम (Environmental Risks) – GM फसलों से जैव विविधता (Biodiversity) पर संभावित प्रभाव पड़ सकता है और परागण करने वाले जीवों पर नकारात्मक असर हो सकता है।
- स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ (Health Concerns) – GM फसलों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों को लेकर अभी भी शोध जारी हैं।
- प्रतिरोधक क्षमता का विकास (Resistance Development) – समय के साथ कीट और खरपतवार GM फसलों के विरुद्ध प्रतिरोधी हो सकते हैं, जिससे उनकी प्रभावशीलता कम हो सकती है।
- आर्थिक और नैतिक मुद्दे (Economic & Ethical Issues) – किसानों की बड़ी जैव प्रौद्योगिकी कंपनियों पर निर्भरता बढ़ सकती है, जिससे बीजों से संबंधित पेटेंट और अधिकारों को लेकर विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
नियमन और स्वीकृति (Regulation & Approval)
विभिन्न देशों में GM फसलों को लेकर अलग-अलग नियम हैं।
- अमेरिका, ब्राज़ील और कनाडा जैसे देशों में GM फसलें बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं।
- यूरोपीय संघ (EU) में GM फसलों पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं।
- भारत में Bt Cotton को स्वीकृति दी गई है, लेकिन अन्य GM फसलों पर अभी भी विवाद जारी है।
जीएम सरसों
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- इसे धारा मस्टर्ड हाइब्रिड -11 (dhara Mustard Hybrid-11) के नाम से जाना जाता है।
- इसका विकास, दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है।
- इसके लिए सरसों की भारतीय किस्म वरुणा की क्रॉसिंग पूर्वी यूरोप की किस्म अर्ली हीरा - 2 से कराई गयी।
- डीएमएच -11 को ट्रांसजेनिक तकनीक के माध्यम से बनाया गया है, जिसमें मुख्य रूप से बार, बार्नेस और बारस्टार जीन शामिल हैं।
- बार जीन इसे हर्बीसाइड टालरेंट बनाता है।
- बार्नेस जीन, बाँझपन प्रदान करता है, जिससे यह स्व-परागण नहीं करती है
- जबकि बारस्टार जीन डीएमएच - 11 की उपजाऊ बीज पैदा करने की क्षमता को पुनर्स्थापित करता है।
- डीएमएच -11 एक कीट और रोग रोधी किस्म है, जिससे इसकी खेती करने पर कीटनाशकों पर होने वाले खर्च में कमी सकती है।
लाभ
- भारत को अपनी खाद्य तेल की 70% घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पाम, सोयाबीन और सनफ्लावर समेत विभिन्न किस्म के तेलों का आयात करना पड़ता है।
- भारत में सरसों की उत्पादकता लगभग एक टन प्रति हेक्टेयर है, जो कनाडा, चीन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की तुलना में एक तिहाई है।
- डीएमएच -11 एक पारंपरिक सरसों की किस्म से लगभग 30% अधिक उपज प्रदान करती है।
- DMH-11 का कई स्थानों पर तीन वर्षों के लिए किये गए सीमित क्षेत्र परीक्षणों के दौरान इसने राष्ट्रीय चेक वरुण की तुलना में लगभग 28% अधिक उपज और जोनल चेक RL1359 की तुलना में 37% अधिक उपज प्रदान की।
- जीएम सरसों की खेती से उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे खाद्य तेल के लिए भारी आयात बिल को कम किया जा सकेगा।
- जीएम सरसों मधुमक्खियों की परागण की आदतों को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं करती है।
- परीक्षण के दौरान रिकॉर्ड किए गए आंकड़ों के अनुसार ट्रांसजेनिक लाइनों में मधुमक्खियों का आना गैर-ट्रांसजेनिक समकक्षों के समान ही है।
- निर्धारित दिशानिर्देशों के तहत, मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव का आकलन करने के लिए किये गए फील्ड परीक्षण के अनुसार जीएम सरसों, भोजन और फ़ीड के उपयोग के लिए सुरक्षित है।
हानि
- जीएम सरसों से जैव सुरक्षा, पर्यावरण, मानव और पशु स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- डीएमएच -11 में बाहरी जीन है, जो पौधे को दवाओं के प्रति प्रतिरोधी बनाता है।
- इस तरह यह किसानों को कृषि रसायनों के चुनिंदा ब्रांडों का ही इस्तेमाल करने के लिए मजबूर करेगा।
- इससे फसलों की स्थानीय किस्मों को खतरा हो सकता है।
जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee: GEAC)
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उत्पत्तिः-
- यह एक वैधानिक समिति है। इसका गठन "खतरनाक सूक्ष्मजीवों, आनुवंशिक रूप से इंजीनियर्ड जीवों या कोशिकाओं के निर्माण / उपयोग/ आयात / निर्यात और भंडारण के नियम 1989 के तहत किया गया है।
- ये नियम पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत बनाए गए हैं।
- संबंधित मंत्रालयः पयर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEF&CC)
- कार्य:
- आनुवंशिक रूप से इंजीनियर्ड (GE) जीवों और उत्पादों के प्रायोगिक रूप से फिल्ड ट्रायल्स सहित पर्यावरणीय मंजूरी से संबंधित प्रस्तावों का मूल्यांकन करना।
- पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अनुसंधान और औद्योगिक उत्पादन में खतरनाक सूक्ष्मजीवों और रिकॉम्बिनेंट के बड़े पैमाने पर उपयोग से जुड़ी गतिविधियों का मूल्यांकन करना।
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