(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध) |
संदर्भ
चीन की समुद्री विस्तारवादी नीतियाँ और क्षेत्रीय दावों को लेकर उसके पड़ोसी देशों के साथ तनाव वैश्विक चिंता का विषय बना हुआ है। विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर एवं पीत सागर में चीन की गतिविधियों को सलामी स्लाइसिंगके रूप में देखा जा रहा है, जो धीरे-धीरे अपने प्रभाव क्षेत्र को बढ़ाने की रणनीति पर आधारित हैं।
क्या है सलामी स्लाइसिंग रणनीति
- सलामी स्लाइसिंग (Salami Slicing) एक रणनीतिक दृष्टिकोण है जिसका उपयोग मुख्य रूप से भू-राजनीति, सैन्य रणनीति या कूटनीति में किया जाता है। इसमें कोई देश या समूह धीरे-धीरे तथा छोटे-छोटे तरीकों के जरिए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करता है ताकि प्रतिद्वंद्वी को तुरंत बड़ा खतरा महसूस न हो और वह आक्रामक प्रतिक्रिया देने से बच जाए।
- यह रणनीति प्राय: तब अपनाई जाती है जब किसी क्षेत्र पर प्रत्यक्ष सैन्य कब्जा करना जोखिमपूर्ण हो किंतु छोटे-छोटे सैन्य एवं नागरिक तरीकों से धीरे-धीरे दबाव बढ़ाया जा सकता हो।
- इसके प्रमुख तत्त्व हैं : विरोध करने लायक ‘बड़ा कारण’ न होना, प्रत्यक्ष युद्ध की स्थिति न उत्पन्न करना, धीरे-धीरे कब्ज़ा जमाना और शांत दिखने वाली आक्रामकता (Grey-Zone Warfare) अपनाना।
सलामी स्लाइसिंग रणनीति की मुख्य विशेषताएँ
- छोटे-छोटे तरीके : यह रणनीति बड़े व पूर्ण हमले के बजाय छोटे एवं कम महत्त्वपूर्ण कदमों पर आधारित होती है। उदाहरण, सीमा पर छोटे-छोटे क्षेत्रों पर कब्जा करना या प्रभाव बढ़ाना।
- प्रतिक्रिया से बचना : प्रत्येक कदम इतना छोटा होता है कि प्रतिद्वंद्वी के लिए सैन्य या कूटनीतिक प्रतिक्रिया देना अनुपयुक्त लगता है।
- लंबी अवधि में लाभ : समय के साथ ये छोटे कदम मिलकर बड़े रणनीतिक लाभ में बदल जाते हैं, जैसे- क्षेत्रीय नियंत्रण, प्रभाव विस्तार या संसाधनों पर कब्जा।
- अस्पष्टता : यह रणनीति प्राय: अस्पष्ट या छिपे हुए तरीके से लागू की जाती है ताकि इरादे स्पष्ट न हो।
सलामी स्लाइसिंग रणनीति के कुछ उदाहरण
- चीन की दक्षिण चीन सागर रणनीति : चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर में छोटे-छोटे कृत्रिम द्वीप बनाना, सैन्य अड्डे स्थापित करना और समुद्री क्षेत्र में धीरे-धीरे अपना नियंत्रण बढ़ाना।
- भारत-चीन सीमा विवाद : चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर छोटे-छोटे अतिक्रमण की कोशिश करना, जैसे- गलवान घाटी या डोकलाम या अन्य क्षेत्रों में धीरे-धीरे अग्रिम चौकियाँ बनाना, सड़क बनाना, घर बनाना आदि।
- रूस एवं क्रीमिया : रूस ने क्रीमिया में धीरे-धीरे प्रभाव बढ़ाने और फिर तेजी से कब्जा करने की रणनीति अपनाई।
चीन द्वारा इस रणनीति का उपयोग एवं निहितार्थ
- चीन ने दक्षिण चीन सागर में भी इस रणनीति का उपयोग किया है और अब यही रणनीति पीत सागर में भी प्रयोग कर रहा है।
- स्टील रिग (Steel Rig) एवं अन्य कृत्रिम संरचनाओं का निर्माण सलामी स्लाइसिंग रणनीति का उदाहरण है जिसके माध्यम से चीन इस क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ा रहा है।
भू-राजनीतिक निहितार्थ
- क्षेत्रीय विवाद एवं तनाव : चीन की सलामी स्लाइसिंग रणनीति से दक्षिण कोरिया एवं जापान के साथ तनाव बढ़ सकता है। इन देशों का दावा है कि यह क्षेत्र उनके आर्थिक विशेष क्षेत्र (EEZ) के तहत आता है और चीन का यह कदम क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करता है।
- वैश्विक प्रतिक्रिया : चीन की यह गतिविधि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानूनों के उल्लंघन के रूप में देखी जा सकती है क्योंकि चीन बिना किसी पूर्व सूचना के संरचनाएँ स्थापित कर रहा है।
- समुद्री सुरक्षा एवं प्रभाव : चीन द्वारा इस क्षेत्र में अपनी सैन्य एवं नागरिक उपस्थिति को बढ़ाना इस क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति को अधिक जटिल बना सकता है। इससे न केवल क्षेत्रीय देशों के बीच तनाव बढ़ेगा, बल्कि वैश्विक सुरक्षा पर भी प्रभाव पड़ेगा।
- ‘ग्रे जोन’ रणनीति एवं निगरानी : ‘ग्रे जोन’ रणनीति के तहत चीन अपनी सैन्य एवं नागरिक शक्ति का संयोजन कर रहा है। इसके तहत चीन के कोस्टल गार्ड एवं नागरिक नौकाएँ मिलकर एक संयुक्त उपस्थिति दिखा रही हैं जो ‘माइट बी राइट’ (Might is Right) की मानसिकता पर आधारित है। इस स्थिति में चीन अपनी सैन्य एवं नागरिक शक्ति का उपयोग करके अपने क्षेत्रीय दावों को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है।
निष्कर्ष
चीन की पीत सागर में सलामी स्लाइसिंग रणनीति न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय कानून एवं भू-राजनीति में भी गहरे प्रभाव डालता है। चीन की इन गतिविधियों से यह स्पष्ट होता है कि वह धीरे-धीरे अपने प्रभाव क्षेत्र को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है जबकि प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष से बचने का प्रयास कर रहा है।
पीत सागर (Yellow Sea) के बारे में
- भौगोलिक स्थिति: यह चीन एवं कोरिया के बीच स्थित एक महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र है।
- पीत सागर पश्चिमी प्रशांत महासागर का एक हिस्सा है जो पूर्वी चीन सागर का एक उपक्षेत्र है और इसके पश्चिम में चीन और पूर्व में कोरिया प्रायद्वीप स्थित है।
- विस्तार एवं क्षेत्रफल : इसका क्षेत्रफल लगभग 400,000 वर्ग किलोमीटर है तथा इसकी लंबाई लगभग 600 किमी. और चौड़ाई 500 किमी. तक है।
- नदियाँ : इसमें ह्वांगहे (पीली नदी), यांगत्सी (Yangtze) एवं ह्वांग (Hwang) नदियाँ अपना मुहाना बनाती हैं।
- पीला रंग का कारण : ह्वांगहे नदी में एक विशेष प्रकार की मिट्टी या तलछट होती है जिसे लूस (Loess) कहा जाता है। यह तलछट नदी के पानी में बहते हुए सागर तक पहुँच जाती है और यही कारण है कि सागर का पानी पीले रंग का दिखाई देता है।
- प्राकृतिक संसाधन :
- मत्स्यन : यह क्षेत्र मछली पकड़ने का प्रमुख स्थान है, खासकर सैल्मन व अन्य समुद्री जीवों के लिए।
- तेल एवं गैस : पीत सागर में तेल व प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार होने का अनुमान है।
- भू-राजनीतिक महत्व :
- यह क्षेत्र चीन एवं दक्षिण कोरिया के आर्थिक विशेष क्षेत्रों (EEZs) के ओवरलैप का हिस्सा है जिससे समुद्री सीमा और संसाधनों को लेकर विवाद होते हैं।
- चीन ने यहाँ कृत्रिम संरचनाएँ और रिग्स स्थापित किए हैं जो दक्षिण कोरिया व अन्य देशों के साथ तनाव का कारण बनते हैं।
- सैन्य एवं सुरक्षा :
- चीन का सैन्य प्रभाव : चीन ने पीत सागर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाई है, विशेषकर दक्षिण चीन सागर की तरह।
- दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया : दोनों देश इस क्षेत्र में अपनी सुरक्षा और अधिकारों का दावा करते हैं जिससे विवाद उत्पन्न होते हैं।
- समुद्री सीमा विवाद :
- सोकोट्रा रॉक (Socotra Rock) : यह क्षेत्र चीन एवं दक्षिण कोरिया के बीच विवाद का केंद्र है। इसे चीन ‘सुयान द्वीप’ और दक्षिण कोरिया ‘ईओडो’ कहता है।
- समुद्री व्यापार:
- पीत सागर एशिया के महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों में से एक है जिससे भारी मात्रा में तेल, गैस एवं अन्य उत्पादों का व्यापार होता है।
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