प्रारंभिक परीक्षा के लिए - ईशाद आम, जीआई टैग मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 - बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषय
संदर्भ
हाल ही में, उत्तर कन्नड़ (कर्नाटक) के ईशाद आम को भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) प्रदान किया गया।
ईशाद आम
ईशाद आम मुख्य रूप से अंकोला के आसपास उगाया जाता है।
आम की इस किस्म की खेती पिछले 400 सालों से की जा रही है।
एक सदी से अधिक समय से इसके गूदे का प्रयोग मूल्यवर्धित उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है।
ईशाद आम के दो प्रकार हैं - करी ईशाद तथाबिली ईशाद
करी ईशाद - इसका छिलका पतला होता है, गूदा अधिक मात्रा में और मीठा होता है।
बिली ईशाद – इसका छिलका मोटा होता है और इसमें गूदा और मिठास कम होती है।
करी ईशाद को इसके आकार, अधिक मात्रा में गूदा, स्वाद तथा अनूठी सुगंधके कारण बेहतरीन गुणवत्ता वाले आमों में से एक माना जाता है।
जीआई टैग
जीआई टैग मुख्य रूप से कृषि संबंधी, प्राकृतिक या विनिर्मित्त वस्तुओं के लिए प्रदान किया जाता है, जिनमें अनूठे गुण, ख्याति या इसके भौगोलिक उद्भव के कारण जुड़ी अन्य लक्षणगत विशेषताएं होती है।
जीआई टैग एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) होता है, जो आईपीआर के अन्य रूपों से भिन्न होता है, क्योंकि यह एक विशेष रूप से निर्धारित स्थान में समुदाय की विशिष्टता को दर्शाता है।
वर्ल्ड इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) के अनुसार जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी उत्पाद को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है।
जीआई टैग वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले उद्योग संवर्द्धन और आतंरिक व्यापार विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) द्वारा दिया जाता है।
भारत में, जीआई टैग के पंजीकरण को ‘वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 द्वारा विनियमित किया जाता है।
इसका पंजीकरण 10 वर्ष के लिए मान्य होता है तथा 10 वर्ष बाद पंजीकरण का फिर से नवीनीकरण कराया जा सकता है।