New
IAS Foundation Course (Pre. + Mains) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM | Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM | Call: 9555124124

उत्तराखंड के उत्पादों को जीआई टैग 

प्रारम्भिक परीक्षा – बेरीनाग चाय, बिच्छू बूटी कपड़ा, मंडुआ, झंगोरा, गहत, लाल चावल
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1और 3

संदर्भ
  • भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री द्वारा उत्तराखंड के 15 से अधिक उत्पादों को जीआई टैग दिया गया है।

gi-tag

प्रमुख बिंदु 

उत्तराखंड के जीआई टैग प्राप्त प्रमुख उत्पाद

  • बेरीनाग चाय : इस चाय की लंदन के चाय घरों और चाय ब्लेंडरों में अत्यधिक मांग है। इस चाय को हिमालय में जंगली रूप से उगने वाले एक पौधे की पत्तियों से बनाई जाती है, जिसे बाद में एक ठोस द्रव्यमान में संपीडित किया जाता है। 
  • बिच्छू/बिच्छुआ बूटी कपड़ा : यह हिमालयन नेट्टल फाइबर से बना बिच्छू/बिच्छुआ बूटी कपड़ा है। 
  • यह हिमालयन बिच्छू/बिच्छुआ पौधे के रेशे खोखले होते हैं, उनमें हवा को अंदर जमा करने की अद्वितीय क्षमता होती है, जिससे प्राकृतिक इन्सुलेशन बनता है। यह कपड़ा सर्दियों और गर्मियों दोनों मौसम के लिए उपयुक्त होता है।
  • मंडुआ : यह उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं में उगाया जाने वाला बाजरा है, जो राज्य के कई हिस्सों में मुख्य आहार के रूप में उपयोग किया जाता है। 
  • झंगोरा : यह उत्तराखंड में हिमालय के वर्षा आधारित क्षेत्रों में उगाया जाने वाला घरेलू बाजरा है। 
  • गहत : यह उत्तराखंड के शुष्क क्षेत्रों में उगने वाली सबसे महत्वपूर्ण दालों में से एक है।
  • लाल चावल : यह उत्तराखंड के पुरोला क्षेत्र में जैविक रूप से उगाया जाता है।
  • काला भट्ट (काला सोयाबीन): यह सोयबीन की एक किस्म है जिसे ग्लाइसिन मैक्स कहा जाता है। इसका उत्पादन उत्तराखंड के कुमाउं क्षेत्र के साथ-साथ इसके सीमावर्ती राज्यों और हिमालय देशों में खाद्य उत्पाद के रूप में किया जाता है।
  • माल्टा फल: यह एक संतरे जैसा दिखने वाला गहरे नारंगी और लाल रंग का स्वादिष्ट फल है, जिसकी खेती उत्तराखंड की पहाड़ियों में की जाती है। 
  • ब्रिटिश शासन के समय में इसे “माल्टीज़ ऑरेंज” के रूप में जाना जाता था।
  • चौलाई (रामदाना): यह उपवास/व्रत के समय प्रयोग किया जाने वाला अनाज है,जिसमें आयरन और कैल्शियम की अत्यधिक मात्रा पायी जाती है। 
  • बुरांश का रस : इसे रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम के लाल फूलों से प्राप्त किया जाता है, जिनका इस्तेमाल स्वास्थ्य, त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। यह उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। 
  • पहाड़ी तूर दाल : यह दाल उत्तराखंड में जैविक रूप से उगाई जाती है ।
  • इस दाल में पोषक तत्व जैसे- कार्बोहाइड्रेट, आयरन, फॉस्फोरस, मैंगनीज और विटामिन सी, बी1 और बी9 से भरपूर मात्रा में पायी जाती है। 
  • आयुर्वेद में इस दाल का उपयोग रक्तस्राव को रोकने और घावों को ठीक करने के लिए किया जाता था।
  • लिखाई या लकड़ी की नक्काशी : यह नक्काशी उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में पाई जाती है जो अब लुप्त हो रही है। 
  • नैनीताल मोमबत्ती (मोमबत्तियां): यह मोमबत्ती उत्तराखंड के नैनीताल में बनायीं जाती है जो वर्तमान में सरकारी सहयोग के अभाव और चाइनीज मोमबत्ती के बाजार में आने के बाद लुप्त होती जा रही है।  
  • रंगवाली पिछौड़ा : यह कुमाऊं जिले का पारम्परिक पोशाक(ओढ़नी) है, जिसे विवाहित महिलाएं मांगलिक अवसरों पर पहनती हैं। 
  • यह गहरे पीले रंग का होता है जिस पर लाल रंग से धब्बे होते हैं। 
  • इसके बीच में एक स्वास्तिक मार्क होता है तथा इसके चारो कोनों पर सूर्य, चन्द्रमा, शंख, घंटी आदि की आकृति बनी होती है । 
  • लीची :इसका उत्पादन उत्तराखंड के रामनगर (नैनीताल) में किया जाता है जो अपने विशिष्ट स्वाद के लिए प्रसिद्ध है ।  
  • आड़ू : इसका उत्पादन उत्तराखंड के नैनीताल जिले की रामगढ़ घाटी में किया जाता है । यह गुलाबी धब्बों वाला रसीले फलों में से एक है। 
  • रम्माण/राम्मन मुखौटे : यह एक नृत्य शैली है। जिसे उत्तराखंड के चमोली जिले में रम्माण उत्सव के समय प्रस्तुत किया जाता है। इस में नृत्यक अपने मुख में मुखौटा पहनता है, फिर नृत्यकला का प्रदर्शन करता है। 
  • अल्मोड़ा लाखोरी मिर्च :यह एक पीले रंग की मिर्च की किस्म है जिसका उत्पादन अल्मोड़ा के लखौरी घाटी में किया जाता है, इसी कारण इसका नाम लखौरी मिर्च पड़ा है । 

जीआई टैग

  • यह टैग किसी कृषि, प्राकृतिक अथवा विनिर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प तथा औद्योगिक वस्तु) को प्रदान किया जाता है, जो किसी विशिष्ट क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है या जिसे किसी निश्चित क्षेत्र में ही उगाया या निर्मित किया जाता है। 
  • जीआई टैग को औद्योगिक सम्पत्ति के संरक्षण हेतु पेरिस कन्वेंशन के अंतर्गत बौद्धिक सम्पदा अधिकारों (IPRs) के घटक के रूप में शामिल किया जाता है।
  • यह उसी उत्पाद को दिया जाता है जो विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में 10 वर्ष या अधिक समय से निर्मित या उत्पादित किया जा रहा हो। 

जीआई टैग के लाभ 

  • किसी भी वस्तु या उत्पाद को जीआई टैग प्राप्त होने के पश्चात् कोई भी निर्माता समान उत्पादों को बाज़ार में बेचने के लिए नाम का दुरुपयोग नहीं कर सकता है।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- उत्तराखंड के जीआई टैग प्राप्त करने वाले उत्पादों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :

  1. बेरीनाग चाय
  2. बिच्छू बूटी कपड़ा
  3. जलेसर धातु शिल्प 
  4. लाल चावल

उपर्युक्त में से कितने सही हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) केवल तीन

(d) सभी चार 

उत्तर: (c)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : जीआई टैग क्या है?इसके महत्त्व की व्याख्या कीजिए 

स्रोत : THE HINDU

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR