New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

गिग अर्थव्यवस्था 

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए – भारत में श्रम कानून तथा श्रम बल से सम्बंधित रिपोर्टें , श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा)
(मुख्य परीक्षा के लिए,सामान्य अध्धयन प्रश्नपत्र 3 - विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)

गिग अर्थव्यवस्था

  • गिग अर्थव्यवस्था से आशय रोजगार की ऐसी व्यवस्था से है, जहां स्थायी तौर पर कर्मचारियों को रखे जाने के बजाए अल्प अवधि के लिए अनुबंध पर रखा जाता है।
  • कंपनी के अनुबंध के हिसाब से ये कर्मी कंपनी के कर्मचारी नहीं होते बल्कि एक स्वतंत्र सेवा देने वाले ठेकेदार होते है।
  • नीति आयोग की इंडियाज बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकोनॉमी पर रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है, कि वर्ष 2020-21 में गिग अर्थव्‍यस्‍था में 77 लाख कर्मचारी कार्यरत थे। इनका गैर-कृषि कार्यबल में 2.6% या भारत के कुल कार्यबल में 1.5% योगदान है। 
  • गिग कार्यबल की संख्‍या बढ़कर वर्ष 2029-30 तक 2.35 करोड़ हो जाने की उम्मीद है। वर्ष 2029-30 तक भारत में गिग कर्मचारियों का गैर-कृषि कार्यबल में 6.7% या भारत में कुल आजीविका में 4.1% योगदान होने की उम्मीद है।

गिग अर्थव्यवस्था के लाभ

  • बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की रिपोर्ट के मुताबिक, इन नौकरियों से देश के सकल घरेलू उत्पाद में 1.25 प्रतिशत की बढ़त हो सकती है।
  • गिग अर्थव्यवस्था ने बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार पाने में सक्षम बनाया गया है, जो उबर, ओला, स्विगी, जोमाटो आदि जैसी तकनीकी आधारित नौकरियों में कार्यरत हैं।
  • वर्तमान में, भारतीय अर्थव्यवस्था समावेशी विकास की कमी के कारण बेरोजगारी का सामना कर रही है। गिग इकॉनमी में जॉब्स के निर्माण से भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
  • इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र कृषि से उपजी बेरोजगारी की समस्या का सामना कर रहा है, गिग अर्थव्यवस्था ऐसे ग्रामीण युवाओं को लाभकारी रोजगार प्रदान करने में सक्षम होगी।
  • काम की मात्रा के आधार पर कम समय के लिए फ्रीलांसर श्रमिकों को काम पर रखने से कंपनियों को अपने कार्यबल को तर्कसंगत बनाने और लागत को कम करने में मदद मिलती है। 
  • गिग अर्थव्यवस्था श्रमिकों को अपनी सुविधा के अनुसार काम करने की स्वतंत्रता देती है, जिसमें कार्य करने का कोई निश्चित समय निर्धारित नहीं होता है तथा वे अपनी रुचि के क्षेत्रों के अनुसार नौकरी बदल सकते है।
  • इसमें एक गिग वर्कर को एक साथ कई नियोक्ताओं के लिए काम करने की आजादी मिलती है।
  • प्रति दिन काम के निश्चित घंटे महिलाओं को फॉर्मल सेक्टर में नौकरी करने से रोकती है. गिग अर्थव्यवस्था महिलाओं को ऐसी नौकरियाँ प्रदान करती हैं, जहाँ वो अपनी मर्जी के समय तक कार्य कर सकती है।
  • केंद्र सरकार ने हाल ही में सामाजिक सुरक्षा कोड पारित किया है, जो गिग कार्यकर्ताओं को भी कवर कर सकता है।

गिग अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ 

  • इसके तहत कार्य करने वाले कर्मचारी कंपनी के अनुबंधित कर्मचारी नहीं होते है, इसीलिए इन्हें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं एवं श्रमिक अधिकारों से मिलने वाले लाभों से भी वंचित होना पड़ता है।
  • इसमें काम का दबाव बहुत ज्यादा होता है, और कार्य को निर्धारित समय पर ही पूरा करना होता है।
  • इसके अंतर्गत कार्य करने वाले कर्मचारी असंगठित क्षेत्र से आते हैं, इसीलिए उन्हें संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की तरह सुविधाएं नहीं मिलती है, और सामाजिक-आर्थिक असमताओं के बढ़ने का खतरा सदैव बना रहता है।
  • ऐसे प्लेटफॉर्म स्थापित करने वाली कंपनियां कार्यस्थल के अंदर नियोक्ता या बॉस के समान अधिकार रखने के बावजूद खुद को केवल 'दलाल' या 'मैचमेकर' के रूप में प्रस्तुत करती है।
  • चूंकि कर्मचारी कथित तौर पर फ्रीलांसर हैं, इसलिए कंपनियां भी उनके प्रति सभी जिम्मेदारी और दायित्व से बचती है।
  • गिग वर्कर्स को भले ही फ्रीलांसर कहा जाता है, लेकिन उनके पास बहुत कम स्वायत्ता होती है। उनका उन भाड़ों या शुल्कों पर कोई नियंत्रण नहीं है, जो कि सेवा लेने वाले ग्राहकों से उन्हें प्राप्त होती है। 
  • मातृत्व अवकाश तथा कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न जैसे संवेदनशील मामलों के बारे में भी में भी गिग अर्थव्यवस्था में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
  • गिग इकोनॉमी के वर्कर्स को अपनी नौकरी की सुरक्षा के प्रति चिंता ज्यादा रहती है, क्योंकि उनकी नौकरियाँ नियोक्ताओं की इच्छा पर निर्भर हैं, जिन्हें कभी भी निकाला सकता है।
  • श्रम कानून और नियमन से बचना गिग इकॉनमी के बिजनेस मॉडल का एक और महत्वपूर्ण घटक है।
  • गिग अर्थव्यवस्था स्पष्ट रूप से वर्तमान भारतीय श्रम कानूनों के दायरे में नहीं है।
  • श्रमिकों और कंपनियों के बीच कॉन्ट्रैक्ट ऐसे बनाए जाते हैं, जिससे कि श्रमिकों को अदालत में जाने से रोका जा सके।

आगे की राह 

  • पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) की एक रिपोर्ट, जो कि श्रमिकों के साक्षात्कार, परामर्श विशेषज्ञों, प्रकाशनों, अदालती फैसलों पर आधारित है, में बताया गया है कि निचले स्तर के गिग श्रमिकों से फ्रीलांसरों की बजाय श्रमिकों के रूप में व्यवहार करना अधिक उचित है।
  • गिग प्लेटफ़ॉर्म क्षेत्र की क्षमता का लाभ उठाने के लिए, यह रिपोर्ट प्लेटफ़ॉर्म कर्मियों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए उत्‍पादों के माध्‍यम से वित्त तक पहुंच में तेजी लाने, क्षेत्रीय और ग्रामीण व्यंजन, स्ट्रीट फ़ूड आदि को बेचने के व्यवसाय में लगे स्व-नियोजित व्यक्तियों को प्लेटफ़ॉर्मों से जोड़ने की सिफारिश करती है, ताकि उन्‍हें अपने उत्‍पादों को कस्बों और शहरों में, बड़े  बाजारों में बेचने के लिए सक्षम बनाया जा सके।
  • न्यूनतम मजदूरी, भुगतान अवकाश प्रावधान और मातृत्व लाभ जैसी बुनियादी श्रम सुविधाएँ गिग श्रमिकों के लिए भी उपलब्ध होनी चाहिए।
  • अस्थायी आधार पर कार्यबल को नियोजित करने वाली कंपनियों को भी बीमा और सामाजिक दायित्व में योगदान करने के लिए जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए।
  • सरकार को गिग अर्थव्यवस्था के कार्यबल की सुरक्षा के लिए कुछ और स्पष्ट नियम तथा कानून लाने की आवश्यकता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR