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गिग इकॉनमी

प्रारम्भिक परीक्षा : गिग इकॉनमी
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3- भारतीय अर्थव्यवस्था और संबंधित मुद्दे। 

संदर्भ

हाल ही में,किए गए ज़ोमैटो के स्वामित्व वाले ब्लिंकिट डिलीवरी एजेंटों के हड़ताल से एक बार फिर देश में गिग इकॉनमी को प्रभावित करने वाले मुद्दे चर्चा में आ गए हैं।  

प्रमुख बिन्दु  

दरअसल यह मामला तब सामने आया, जब ब्लिंकिट ने न्यूनतम भुगतान प्रति डिलीवरी को 25 रुपये से घटाकर 15 रुपये कर दिया।

gig-economy

नीति आयोग के अनुमान के अनुसार, 2029 तक लगभग 23.5 मिलियन कर्मचारी गिग इकॉनमी से जुड़ जाएंगे।

गिग वर्कर

  • गिग वर्कर्स पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बाहर के श्रमिकों को संदर्भित करते हैं। 
  • गिग वर्कर्स के दो ग्रुप हैं- प्लेटफॉर्म वर्कर्स और नॉन-प्लेटफॉर्म वर्कर्स।

प्लेटफार्म वर्कर

    • जब गिग वर्कर, ग्राहकों से जुड़ने के लिए ऑनलाइन एल्गोरिथम मैचिंग प्लेटफॉर्म या ऐप का इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें प्लेटफॉर्म वर्कर कहा जाता है।

गैर-प्लेटफार्म वर्कर 

    • जो लोग ऑनलाइन एल्गोरिथम मैचिंग प्लेटफॉर्म या ऐप के बाहर काम करते हैं, वे गैर-प्लेटफ़ॉर्म कर्मचारी हैं, जिनमें निर्माण श्रमिक और गैर-प्रौद्योगिकी-आधारित अस्थायी कर्मचारी शामिल हैं।

गिग वर्कर्स के सामने आने वाली समस्याएं

  • चूंकि गिग इकॉनमी पारंपरिक, पूर्णकालिक रोजगार के दायरे से बाहर है, गिग श्रमिकों के पास आमतौर पर बुनियादी रोजगार अधिकारों की कमी होती है जैसे कि
    • न्यूनतम मजदूरी
    • ओवरटाइम भुगतान
    • चिकित्सा अवकाश
    • नियोक्ता-कर्मचारी विवादों का वैधानिक रूप से बाध्य समाधान।

क्या गिग वर्कर्स को 'कर्मचारी' या 'स्वतंत्र ठेकेदारों' के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए?

  • यह नियोक्ता द्वारा प्रयोग किए जाने वाले नियंत्रण और पर्यवेक्षण की सीमा और संगठन के साथ कार्यकर्ता के एकीकरण पर निर्भर करता है।
  • भारत में, कर्मचारी न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, ईपीएफ अधिनियम 1952 और बोनस भुगतान अधिनियम 1965 के तहत कई लाभों के हकदार हैं।
  • इसी तरह, ठेका मजदूरों को ठेका श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम 1970 के तहत शासित किया जाता है और वे EPF के तहत लाभ के हकदार हैं।
  • हालांकि, गिग वर्कर कर्मचारियों और स्वतंत्र ठेकेदारों दोनों की विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं, परिणामस्वरूप वैधानिक लाभों के दायरे से बाहर हो जाते हैं।

सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 में मुख्य प्रावधान:

  • इस संहिता में पहली बार श्रम कानूनों के दायरे में गिग श्रमिकों को शामिल किया गया है।
  • इस संहिता में श्रमिकों और कर्मचारियों के बीच अंतर किया गया है।
  • गिग कर्मचारियों के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना, जिसमें गिग नियोक्ताओं को अपने वार्षिक टर्नओवर का 1-2% योगदान करना होगा। 
  • केंद्र और राज्य सरकारों को गिग वर्कर्स के लिए उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा योजनाएं बनानी चाहिए।
  • यह संहिता योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के गठन की भी परिकल्पना करती है।

चिंताएँ 

  • प्रस्तावित चार नई श्रम संहिताओं में से गिग वर्क का संदर्भ केवल सामाजिक सुरक्षा संहिता में मिलता है।
  • इसलिए, वे कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त यूनियनों का निर्माण नहीं कर सकते हैं और एक राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन प्राप्त नहीं कर सकते हैं जो सभी प्रकार के रोजगार पर लागू होता है।
  • गिग वर्कर्स को 'असंगठित वर्कर्स' या 'वेज वर्कर्स' की कैटेगरी से बाहर रखा गया है।
  • गिग वर्कर्स अपने नियोक्ताओं के खिलाफ विशेष निवारण तंत्र तक पहुँचने से बाहर रहते हैं।
  • उन्हें सामूहिक सौदेबाजी का अधिकार भी नहीं है, जो आधुनिक श्रम कानून का एक मूलभूत सिद्धांत है ।
  • उपरोक्त सभी अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की ओर ले जाते हैं और अनुच्छेद 23 के तहत जबरन श्रम के अर्थ में आते हैं।
  • हाल ही में, गिग वर्कर्स या प्लेटफॉर्म वर्कर्स को 'असंगठित श्रमिक' घोषित करने की मांग वाली एक याचिका दायर की गई थी , ताकि वे असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 के दायरे में आ सकें हालांकि यह सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

गिग वर्करों की वैश्विक स्थिति 

  • वर्ष 2021 में, यूके के सुप्रीम कोर्ट ने यूके एम्प्लॉयमेंट राइट्स एक्ट 1996 के तहत उबर ड्राइवरों को 'श्रमिक' के रूप में वर्गीकृत किया।
  • जर्मनी का अस्थायी रोजगार अधिनियम गिग श्रमिकों को स्थायी श्रमिकों के समान वेतन और समान व्यवहार का प्रावधान करता है।
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