(प्रारम्भिक परीक्षा: गिग अर्थव्यवस्था, गिग वर्कर) (मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र: 2 विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
खबरों में क्यों?
- हाल ही में गिग वर्कर्स की ओर से इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप आधारित ट्रांसपोर्ट वर्कर्स ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी।
- याचिका में मांग की गई है कि Zomato और Swiggy जैसे फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म और Ola और Uber जैसे टैक्सी एग्रीगेटर ऐप से श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान किया जाए ।
गिग अर्थव्यवस्था
- गिग अर्थव्यवस्था एक मुक्त बाजार प्रणाली है जिसमें संगठन थोड़े समय के लिए श्रमिकों को काम पर रखते हैं या अनुबंधित करते हैं।
- ओला, उबर, ज़ोमैटो और स्विगी जैसे स्टार्टअप ने खुद को भारत में गिग इकॉनमी के मुख्य स्रोत के रूप में स्थापित किया है।
गिग वर्कर
- कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी, 2020 (भारत) के अनुसार, "एक गिग वर्कर वह व्यक्ति है जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बाहर काम करता है या काम की व्यवस्था में भाग लेता है और ऐसी गतिविधियों से कमाता है।"
- वे स्वतंत्र ठेकेदार, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वर्कर, कॉन्ट्रैक्ट फर्म वर्कर, ऑन-कॉल वर्कर और अस्थायी कर्मचारी हैं।
भारत में गिग इकॉनमी का आकार
- "भारत की बढ़ती गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था" पर नीति आयोग के एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान में गिग वर्कर्स का लगभग 47 प्रतिशत मध्यम-कुशल नौकरियों में है, लगभग 22 प्रतिशत उच्च कुशल में है, और लगभग 31 प्रतिशत कम-कुशल नौकरियों में है।
- ये आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था में गिग वर्किंग कम्युनिटी के महत्व को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
- बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) के शोध अध्ययनों में पता लगा है कि विकासशील देशों (5-12 प्रतिशत) बनाम विकसित अर्थव्यवस्थाओं (1-4 प्रतिशत) में गिग इकॉनमी में भागीदारी अधिक है।
- इनमें से अधिकांश नौकरियां निम्न-आय वाली नौकरी-प्रकारों में हैं जैसे डिलीवरी, राइडशेयरिंग, माइक्रोटास्क, देखभाल सेवाएं।
- इन अध्ययनों का अनुमान है कि 2020-21 में 77 लाख कर्मचारी गिग इकॉनमी से जुड़े थे ।
- 2029-30 तक गिग कार्यबल के 2.35 करोड़ कर्मचारियों तक बढ़ने की उम्मीद है ।
भारत में गिग वर्कर्स की औसत आयु/आय
- भारतीय गिग श्रमिकों की औसत आयु 27 वर्ष है और उनकी औसत मासिक आय 18,000 रुपये है।
- इनमें से लगभग 71 प्रतिशत अपने परिवार के अकेले कमाने वाले हैं। इसके अतिरिक्त, गिग कर्मचारी औसत घरेलू आकार 4.4 के साथ काम करते हैं।
गिग वर्कर्स द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियाँ
- कम वेतन , असमान लिंग भागीदारी और एक संगठन के भीतर ऊपर की ओर गतिशीलता की संभावना की कमी।
- गिग कर्मचारियों को आमतौर पर कंपनियों द्वारा अनुबंध के आधार पर काम पर रखा जाता है और उन्हें उनका कर्मचारी नहीं माना जाता है।
- नतीजतन, उन्हें कंपनी के एक ऑन-रोल कर्मचारी के कुछ लाभ नहीं मिलते हैं।
- इसका मतलब यह है कि उन्हें अन्य बातों के साथ-साथ सवैतनिक बीमार और आकस्मिक अवकाश, यात्रा और आवास भत्ता, और भविष्य निधि बचत जैसे लाभ अक्सर प्राप्त नहीं होते हैं।
गिग कर्मचारियों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए उपाय
राजकोषीय प्रोत्साहन
- उन व्यवसायों के लिए कर-छूट या स्टार्टअप अनुदान जैसे वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किए जा सकते हैं जो आजीविका के अवसर प्रदान करते हैं जहां महिलाएं अपने श्रमिकों का एक बड़ा हिस्सा बनाती हैं।
- इसे NITI Aayog ने अपनी रिपोर्ट "इंडियाज बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकोनॉमी" में हाइलाइट किया था।
सेवानिवृत्ति लाभ
- रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि कंपनियां ऐसी नीतियां अपनाएं जो वृद्धावस्था या सेवानिवृत्ति योजनाओं और लाभों की पेशकश करती हैं, और आकस्मिकताओं जैसे कि कोविड -19 महामारी के लिए अन्य बीमा कवर।
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत ऐसी योजनाओं और नीतियों की परिकल्पना की जा सकती है ।
- व्यवसायों को श्रमिकों को आय सहायता प्रदान करने पर विचार करना चाहिए।
- काम में अनिश्चितता या अनियमितता के मद्देनजर सुनिश्चित न्यूनतम कमाई और आय हानि से सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
- इसने कर्मचारियों को बीमा कवर के अलावा वैतनिक अस्वस्थता अवकाश देने का भी सुझाव दिया।