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जिराफ़ की आबादी 

चर्चा में क्यों 

जिराफ़ संरक्षण फ़ाउंडेशन (GCF) के हालिया सर्वेक्षण के अनुसार अफ्रीका में जिराफ़ की संख्या में अत्यधिक कमी देखी गई है। 

प्रमुख बिंदु 

  • 1980 के दशक में अफ्रीका में 1.55 लाख से अधिक जिराफ़ थे, जिनकी संख्या कम होकर केवल 1.17 लाख रहन गई है। यह लगभग 30% की गिरावट को प्रदर्शित करता है। 
  • जिराफ़ एक शाकाहारी जानवर है, जो दुनिया का सबसे लंबा (लगभग 14-17 फीट) स्तनधारी हैं। 
  • जिराफ़ ने स्वयं को विभिन्न आवासों के लिये अनुकूलित कर लिया है जो अब रेगिस्तान के साथ-साथ जंगल में भी जीवित रह सकते हैं। 
  • इनकी चार प्रजातियाँ पाई जाती हैं- उत्तरी जिराफ़, दक्षिणी जिराफ़, मसाई जिराफ़ और जालीदार जिराफ़। इनमें से तीन विलुप्त होने के कगार पर हैं तथा उत्तरी जिराफ़ इन चारों में सबसे दुर्लभ है। 
  • वर्ष 2016 में आई.यू.सी.एन. (IUCN) की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची में जिराफ़ को ‘संवेदनशील’ (Vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। 

कमी के कारण

  • आवास क्षति, नागरिक अशांति व हस्तक्षेप, अवैध शिकार का खतरा। 
  • कृषि और अन्य निर्माण गतिविधियों के लिये बबूल के पेड़ों की कटाई।  
  • बबूल इनके मुख्य खाद्य स्रोत होते हैं।
  • चमड़े, माँस और शरीर के अंगों के लिये शिकार करना। 

जिराफ़ कंज़र्वेशन फ़ाउंडेशन (GCF) : यह 17 अफ्रीकी देशों में जिराफ़ संरक्षण को समर्पित एक संगठन है, जिसका उद्देश्य जिराफ़ के भविष्य को सुरक्षित करने और अफ्रीका में उनके आवास के संरक्षण के लिये जागरूकता व समर्थन बढ़ाना है।

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