हाल ही में, प्रधानमंत्री द्वारा गिरनार पर्वत पर एक रोपवे का शुभारम्भ किया गया।
यह रोपवे गिरनार की तलहटी से अम्बाजी मंदिर तक (2.3 किलोमीटर) बना है।
इस रोपवे की वजह से यह दूरी मात्र 7.5 मिनट में पूरी की जा सकेगी।
एशिया के सबसे लम्बे मंदिर रोपवे के रूप में देखी जा रही इस रोपवे परियोजना को 130 करोड़ रूपए की लागत से उषा ब्रेको लिमिटेड (Usha Breco Limited) कम्पनी द्वारा विकसित किया गया है।
गिरनार पर्वत
गिरनार पर्वत गुजरात में जूनागढ़ के निकट अवस्थित है। इसका प्राचीन नाम ‘गिरिनगर’ था।
गिरनार की पहाड़ियों से पश्चिम और पूर्व दिशा में भादस, रोहजा, शतरूंजी और घेलो नदियाँ बहती हैं।
इन पहाड़ियों पर मुख्यतः भील और डुबला लोगों का निवास है।
एशियाई सिंहों के लिए विख्यात ‘गिर वन राष्ट्रीय उद्यान‘ इसी क्षेत्र में स्थित है।
खम्बलिया, धारी विसावदर, मेंदरदा और आदित्याणा यहाँ के प्रमुख नगर हैं।
इस पर्वत की सर्वोच्च चोटी 3,666 फुट ऊँची है; इस चोटी को गुरू दत्तात्रेय और नेमिनाथ दोनो नामों से जाना जाता है, क्योंकि ऐसा मान जाता है कि यहाँ भगवान दत्तात्रेय ने तपस्या की थी और जैन धर्म के 19वें तीर्थंकर श्री मल्लिनाथ एवं 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ का मंदिर भी यहाँ स्थित है। अतः यह जैन एवं हिंदू दोनों धर्मावलम्बियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।