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ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड शमन परियोजना

(प्रारंभिक परीक्षा : भारत एवं विश्व का प्राकृतिक भूगोल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ, महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान- अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषता (जल-स्रोत और हिमावरण सहित) तथा वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन एवं इसके प्रभाव)

संदर्भ

  • केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) जोखिम शमन परियोजना (NGRMP) को मंजूरी प्रदान की है। 150 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय वाली इस परियोजना को चार राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम एवं उत्तराखंड में कार्यान्वित किया जाएगा। 
  • इसमें राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण निधि (NDMF) से केंद्रीय हिस्सा 135 करोड़ रुपए का है जबकि शेष योगदान राज्यों को अपने संसाधनों से पूरा करना है।

ग्लोफ शमन परियोजना

  • NGRMP का उद्देश्य ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट से आने वाली बाढ़ से संबंधित जोखिम को कम करना है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जो ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अतिसंवेदनशील हैं। 
  • NGRMP परियोजना के उद्देश्य निम्नलखित हैं:
    • ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड और इसी तरह की घटनाओं के कारण होने वाली जान-माल की हानि को रोकना तथा आर्थिक नुकसान एवं महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को होने वाली क्षति को कम करना
    • अंतिम छोर की कनेक्टिविटी के साथ प्रारंभिक चेतावनी एवं निगरानी क्षमताओं को मजबूत करना
    • स्थानीय स्तर की संस्थाओं और समुदायों को मजबूत बनाने के माध्यम से स्थानीय स्तर पर ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड जोखिम न्यूनीकरण एवं शमन में वैज्ञानिक व तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करना
    • ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड जोखिम को कम करने एवं शमन करने के लिए स्वदेशी ज्ञान व अत्याधुनिक वैज्ञानिक शमन उपायों का उपयोग करना

NGRMP परियोजना के चार घटक

  • घटक I : ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड संकट एवं जोखिम मूल्यांकन (मानकीकृत मूल्यांकन पद्धति व झील सूची का विस्तार)
  • घटक II : ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली (दूरस्थ संवेदी डाटा, निगरानी, ​​चेतावनी/प्रसार के लिए सामुदायिक भागीदारी सहित)
  • घटक III : ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड शमन उपाय (तकनीकी विशेषज्ञता एवं सामुदायिक भागीदारी को मिलाकर साइट-विशिष्ट हस्तक्षेप)
  • घटक IV : जागरूकता सृजन एवं क्षमता निर्माण (विभिन्न स्तरों पर हितधारकों को शामिल करना)

ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOFs) के बारे में 

  • ग्लेशियल झीलों का निर्माण मुख्यतः अधिक ऊँचाई वाले ग्लेशियर बेसिन में हिमनद, मोरेन या प्राकृतिक अवसाद के कारण जल प्रवाह में अवरोध उत्पन्न होने से होता है। मोरेन के कारण स्थलाकृतिक गर्त का निर्माण होता है, जिसमें हिमनदों के पिघलने पर जल एकत्रित होने लगता है तथा ग्लेशियल झील का निर्माण होता है।
  • झील के स्तर में अतिप्रवाह न होने तक हिमनद से जल का रिसाव झील में होता रहता है। वैश्विक ऊष्मन के कारण जब हिमनदों के पिघलने की दर अस्थिर हो जाती है तथा बड़ी मात्रा में झीलों की ओर जल का प्रवाह होने लगता है तो झीलों में एकत्रित जल अचानक ‘आउटबर्स्ट’ हो जाता है तथा ‘फ्लैश फ्लड’ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसे ही ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के रूप में जाना जाता है। ऐसी घटनाएँ भूस्खलन के कारण अल्पाइन क्षेत्रों में अधिक देखी जाती हैं। 
  • विश्व भर में होने वाली इन विनाशकारी घटनाओं के लिए हिमनदों या मोराइन (मोरेन) बांधों में समस्या को प्रमुख कारण माना जाता है। वर्षा की तीव्रता, भूस्खलन तथा झीलों व अन्य जल निकायों की भौतिक स्थितियों के बारे में अपर्याप्त आँकड़ों के कारण इनके परिणाम अप्रत्याशित रूप से विनाशकारी होते हैं।

ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) की तीन मुख्य विशेषताएँ 

  • पानी का अचानक (और कभी-कभी चक्रीय) रिसाव 
  • तीव्र गति से घटित होने वाली परिघटनाएँ 
    • ये परिघटनाएँ घंटों से लेकर कई दिनों तक जारी रहती हैं। 
  • उक्त परिघटनाओं के कारण नदी के निचले हिस्से में भारी मात्रा में जल का निष्कर्षण होना

जी.ओ.एल.एफ. के कारण

  • भूकंप 
  • हिमस्खलन 
  • अत्यधिक भारी वर्षा 
  • वैश्विक तापन से बर्फ का पिघलना 

जोखिम को कम करने के उपाय 

  • रिमोट सेंसिंग एवं सैटेलाइट तकनीक : ग्लेशियल झीलों में होने वाले बदलावों की निगरानी करने और संभावित खतरों की पहचान करने के लिए सैटेलाइट इमेजरी एवं रिमोट सेंसिंग तकनीक की स्थापना करना
  • ग्राउंड-बेस्ड मॉनिटरिंग स्टेशन : उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में रणनीतिक रूप से स्थित ग्राउंड-बेस्ड मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित करना
    • ये स्टेशन जल स्तर, तापमान और भूकंपीय गतिविधि जैसे मापदंडों को मापते हैं, जो समग्र निगरानी और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली में योगदान करते हैं।
  • रियल-टाइम डाटा संग्रह एवं विश्लेषण : रिमोट सेंसर एवं मॉनिटरिंग स्टेशनों से जानकारी को संसाधित करने के लिए रियल-टाइम डाटा संग्रह व विश्लेषण प्रणाली को लागू करना 
  • जोखिम आकलन मॉडल : भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, जलवायु डाटा एवं ऐतिहासिक रिकॉर्ड सहित विभिन्न स्रोतों से डाटा को एकीकृत करने वाले परिष्कृत जोखिम आकलन मॉडल विकसित करना 
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता : हिमालयी क्षेत्र में स्थित पड़ोसी देशों के साथ सहयोग करना 
    • इससे जी.ओ.एल.एफ के सीमा पार जोखिमों व प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • सामुदायिक जुड़ाव और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली : निगरानी प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों को शामिल करना, जोखिमों के बारे में जागरूकता एवं समझ को बढ़ावा देना तथा प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करने से समय पर निकासी व आपातकालीन प्रतिक्रिया को सक्षम करने के लिए डाउनस्ट्रीम समुदायों को अलर्ट संचारित करना
  • बाढ़ सुरक्षा के साथ एकीकरण : बाढ़ सुरक्षा उपायों के साथ समन्वित करने से बाढ़ के जल के नियंत्रित प्रवाह के लिये सुरक्षात्मक अवरोधों, तटबंधों या डायवर्ज़न चैनलों का निर्माण करना 
  • उच्च जोखिम वाली ग्लेशियल झीलों का सर्वेक्षण : भारत ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग और दिबांग घाटी जिलों में उच्च जोखिम वाली हिमनद झीलों का अपना पहला व्यापक सर्वेक्षण शुरू किया है। ये क्षेत्र चीन के साथ 1,080 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।
    • यह अभियान, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के नेतृत्व में राष्ट्रीय ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य इन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और अन्य शमन उपायों को स्थापित करने की व्यवहार्यता का आकलन करना है ।

सुझाव 

  • ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के जोखिम को कम करने के लिए झील में जल की मात्रा को कम करना 
  • नियंत्रित गतिविधियों की अनुमति देना 
  • आउटलेट नियंत्रण संरचना का निर्माण करना 
  • झील से पानी को पंप करना 
  • बर्फ या मोरेन बांध के नीचे सुरंग का निर्माण करना 
  • उचित शमन उपायों के चयन के लिए झील, मूल ग्लेशियर, बांध की सामग्री एवं निकटवर्ती स्थितियों का विस्तृत अध्ययन व मूल्यांकन करना
  • झील क्षेत्र के आसपास झील एवं बाँध पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालने वाले हिमस्खलन या चट्टान गिरने के किसी भी मौजूदा और संभावित स्रोत का विस्तार से अध्ययन करना 
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