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ग्लोबल एक्सेस टू न्यूट्रिशन इंडेक्स, 2024

प्रारंभिक परीक्षा 

(समसामयिक घटनाक्रम)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय, भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं सम्बंधित उद्योग)

संदर्भ 

हाल ही में, गैर-लाभकारी वैश्विक संस्था एक्सेस टू न्यूट्रिशन इनिशिएटिव (ATNi) द्वारा 'ग्लोबल एक्सेस टू न्यूट्रिशन इंडेक्स' का पाँचवाँ संस्करण जारी किया गया।

ग्लोबल एक्सेस टू न्यूट्रिशन इंडेक्स 2024 के बारे में

  • ग्लोबल एक्सेस टू न्यूट्रिशन इंडेक्स के पांचवें संस्करण में दुनिया के 30 सबसे बड़े खाद्य और पेय पदार्थ (Food & Beverages : F&B) निर्माताओं  का ‘पौष्टिक खाद्य पदार्थों तक पहुंच में सुधार हेतु उनके प्रदर्शन’ के आधार पर मूल्यांकन किया गया है।
    • ये 30 कंपनियां वैश्विक F&B बाजार के 23% का प्रतिनिधित्व करती हैं।
  • यह सूचकांक पोषण से संबंधित विषयों, सुधार के क्षेत्रों की एक श्रृंखला में कंपनियों की सापेक्ष प्रगति को प्रस्तुत करता है और बदलाव हेतु एक रोडमैप प्रदान करता है।
  • हालिया सूचकांक में स्वास्थ्य स्टार रेटिंग प्रणाली का उपयोग करते हुए 52,414 उत्पादों का विश्लेषण किया गया।

स्वास्थ्य स्टार रेटिंग प्रणाली

  • इस प्रणाली के अंतर्गत उत्पादों को उनके स्वास्थ्यप्रदता के आधार पर 5 के स्कोर में से रैंक किया जाता है, जिसमें 5 सर्वश्रेष्ठ और 3.5 से ऊपर के स्कोर को स्वास्थ्यप्रद विकल्प माना जाता है।
  • यह रेटिंग प्रणाली शरीर में जोखिम बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों के घटकों (ऊर्जा, संतृप्त वसा, शर्करा और सोडियम) का आकलन करती है और जोखिम कम करने वाले घटकों (प्रोटीन, फाइबर और फल, सब्जी, मेवा और फलियां) के खिलाफ इनका समायोजन करके अंतिम स्कोर की गणना करती है, जिसे स्टार रेटिंग में बदल दिया जाता है।

प्रमुख निष्कर्ष

  • अग्रणी F&B कंपनियाँ कम और मध्यम आय वाले देशों (Low & Middle Income Countries : LMIC) में ऐसे खाद्य उत्पाद बेचती हैं जो उच्च आय वाले देशों (High Income Countries : HIC) के उत्पादों की तुलना में कम स्वास्थ्यवर्धक होते हैं।
    • LMIC में ‘पोर्टफोलियो स्वास्थ्यप्रदता’ (Portfolio Healthiness) सबसे कम पाई गई, जो विभिन्न बाजारों में पेश किए जाने वाले उत्पादों में असमानताओं को उजागर करता है।
    • LMIC में खाद्य उत्पाद स्वास्थ्यप्रदता का स्कोर बहुत कम 1.8 रहा।
  • HIC में खाद्य उत्पाद स्वास्थ्यप्रदता का स्कोर LMIC से अधिक 2.3 रहा।
  • इस इंडेक्स में सभी हितधारकों हेतु आवश्यक कदमों का उल्लेख भी किया गया है:
    • खाद्य एवं पेय पदार्थ निर्माता के लिए सुझाव
      • बच्चों के लिए विपणित उत्पादों की उपयुक्तता, पोर्टफोलियो की स्वास्थ्यप्रदता पर कंपनी की रणनीतियों का मूल्यांकन करें।
      • स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों की बिक्री का अनुपात बढ़ाने के लिए विशिष्ट, मापनीय और समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित करें; विपणन पद्धतियों में सुधार करें।
      • स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों की बिक्री और जिम्मेदार विपणन नीतियों के अनुपालन पर महत्वपूर्ण डेटा को सार्वजनिक करें।
    • निवेशकों के लिए सुझाव 
      • पोषण पर कंपनी के प्रदर्शन का आकलन करने और उसे बढ़ावा देने के लिए मौजूदा पोषण ढांचे का उपयोग करें।
      • कम्पनियों को अपने उत्पाद पोर्टफोलियो की स्वास्थ्यप्रदता के बारे में जानकारी प्रकट करने की आवश्यकता है।
      • शेयरधारक प्रस्तावों जैसे रणनीतिक निवेश कार्यों के माध्यम से पोषण पर कंपनी की जवाबदेही को आगे बढ़ाएं।
      • सरकारों एवं पर्यावरण, सामाजिक और शासन डेटा प्रदाताओं और उद्योग निकायों के साथ सक्रिय रूप से कार्य करना, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पोषण स्वैच्छिक और अनिवार्य रिपोर्टिंग ढांचे के भीतर अंतर्निहित हो।
    • नीति निर्माता एवं सरकारों के लिए सुझाव 
      • स्वैच्छिक उद्योग विनियमनों को अनिवार्य नीतियों और वित्तीय उपायों के साथ समर्थित किया जाना चाहिए।
      • स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद विकल्पों को प्रोत्साहित करने के लिए करों और सब्सिडी की एक प्रणाली लागू करें। 
      • स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों के लिए अस्वास्थ्यकर उत्पादों पर करों से प्राप्त राजस्व का उपयोग करें।
      • विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों का उपयोग करते हुए बच्चों के लिए अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों के विपणन को प्रतिबंधित करने के लिए अनिवार्य राष्ट्रीय नीतियों को अपनाना तथा उनके क्रियान्वयन के लिए एक तंत्र बनाना।
      • लेबलिंग प्रणाली के उपयोग को अनिवार्य बनाएं, जो अस्वास्थ्यकर उत्पादों को चिह्नित करता है।

भारत के दृष्टिकोण से इसका महत्व

  • भारत के आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, भारत में कुल रोग बोझ का 56.4% अस्वास्थ्यकर आहार (Unhealthy Diets) के कारण है । 
  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं में मोटापा 24% और पुरुषों में 23% है। साथ ही, कुपोषण, एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी गंभीर समस्याएँ बनी हुई हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार 50% से अधिक भारतीय स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते। 
  • भारत विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) के प्रस्तावों का एक पक्षकार है, जो बच्चों को जंक फूड के हानिकारक विपणन से बचाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
  • भारत में पैकेज्ड खाद्य सामग्री पर अनिवार्य चेतावनी लेबलिंग की आवश्यकता है, जिससे उपभोक्ता को खाद्य पदार्थों में शामिल सभी घटकों से होने वाले लाभ एवं नुकसान की जानकारी मिल सके।
    • उदाहरण के लिए चिली एवं मैक्सिको में इस तरह की अनिवार्य लेबलिंग के बाद चीनी युक्त पेय पदार्थों की खपत कम हो गई। 
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