स्थापना : ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में ‘भूख एवं गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन’ (Global Alliance Against Hunger and Poverty) की आधिकारिक शुरुआत की गई।
उद्देश्य : यह गठबंधन भूख एवं गरीबी को समाप्त करने के उद्देश्य से एक-दूसरे की सार्वजनिक नीतियों का समर्थन करने के लिए सदस्य देशों को एक मंच प्रदान करेगा।
सदस्य :वर्तमान में 81 देश (भारत सहित), 26 अंतर्राष्ट्रीय संगठन, 9 वित्तीय संस्थान और 31 परोपकारी संस्थाएं एवं गैर-सरकारी संगठन इसमें शामिल हैं।
कार्यप्रणाली :कोई भी सदस्य देश अन्य सदस्यों की सफल सर्वोत्तम प्रथाओं तक पहुँच प्राप्त कर सकता है और अपने स्वयं के राष्ट्रीय मॉडल के विकास में सहायता करने के इच्छुक संभावित भागीदारों की पहचान कर सकता है।
सहायता क्षेत्र :गठबंधन ने साक्ष्य-आधारित नीति टोकरी में 50 से अधिक नीतिगत साधन शामिल किए हैं जिनके लिए सदस्य देश सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
विशेष रूप से महत्वपूर्ण 6 ‘स्प्रिंट 2030’ हैं, ये ऐसे उच्च प्रभाव वाले क्षेत्र हैं जो सबसे कमजोर लोगों की सेवा करने के लिए लक्ष्य-उन्मुख पहल करेंगे।
इनमें शामिल हैं : स्कूल भोजन; नकद हस्तांतरण; छोटे एवं पारिवारिक खेती सहायता कार्यक्रम; सामाजिक-आर्थिक समावेशन कार्यक्रम; एकीकृत मातृ व प्रारंभिक बचपन हस्तक्षेप और जल पहुँच समाधान।
धन आवंटन : कई पहलों के विपरीत इस गठबंधन के पास कोई विशेष निधि नहीं है बल्कि यह जरूरतमंद देशों को प्रेरित दाताओं एवं तकनीकी सहायता से जोड़ने में एक भूमिका निभाने की कल्पना करता है।
इसके संचालन के लिए वार्षिक 2-3 मिलियन डॉलर की जरूरत सदस्य देशों और खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), यूनिसेफ तथा विश्व बैंक जैसे संस्थानों से आएगी।
मुख्यालय :गठबंधन का तकनीकी मुख्यालय FAO के रोम मुख्यालय में होगा, हालांकि, इसे कार्यात्मक मुख्यालय की स्वायत्तता प्राप्त होगी।
इस पहल की आवश्यकता
वर्ष 2015 में सभी 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों ने ‘सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा’ को अपनाया, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक गरीबी एवं भुखमरी को समाप्त करना तथा खाद्य सुरक्षा व बेहतर पोषण प्राप्त करना था।
कोविड-19 महामारी के कारण इन लक्ष्यों की दिशा में की गई प्रगति में बदलाव हुआ क्योंकि अत्यधिक गरीबी में वृद्धि हुई और पोषण मानकों में गिरावट आई।
वर्तमान अनुमानों से पता चलता है कि वर्ष 2030 तक 622 मिलियन लोग प्रति दिन 2.15 डॉलर की अत्यधिक गरीबी रेखा से नीचे रहेंगे।
यदि वर्तमान रुझान जारी रहता है तो वर्ष 2030 तक 582 मिलियन लोग भूखे रहेंगे।