प्रारंभिक परीक्षा
(समसामयिक घटनाक्रम, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)
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संदर्भ
हाल ही में, जलीय अर्थशास्त्र पर वैश्विक आयोग (Global Commission on the Economics of Water : GCEW) द्वारा एक नई रिपोर्ट जारी की गई। इसके अनुसार, मानव इतिहास में पहली बार वैश्विक जलविज्ञान चक्र असंतुलित हो गया है जिससे मानव कल्याण, आर्थिक स्थिरता एवं सतत विकास के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है।
जलीय अर्थशास्त्र पर वैश्विक आयोग (GCEW) के बारे में
- क्या है : सार्वजनिक हित के लिए जल के मूल्य निर्धारण और प्रबंधन के तरीके को पुनः परिभाषित करने के लिए स्थापित संगठन
- गठन : नीदरलैंड सरकार द्वारा आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) की सहायता से
- स्थापना : मई 2022 में 2 वर्ष के अधिदेश के साथ शुरुआत
- क्रियान्वयन : जलीय अर्थशास्त्र में नए दृष्टिकोण वाले और वैश्विक अर्थव्यवस्था को सतत जल-संसाधन प्रबंधन के साथ जोड़ने वाले क्षेत्रों के प्रतिष्ठित नीति-निर्माताओं तथा शोधकर्ताओं के एक स्वतंत्र एवं विविध समूह द्वारा क्रियान्वयन
- उद्देश्य : समाजों द्वारा जल को नियंत्रित करने, उपयोग करने और महत्व देने के तरीके में बदलाव लाने के वैश्विक प्रयास में महत्वपूर्ण व महत्वाकांक्षी योगदान देना
- लक्ष्य : जल संबंधी अर्थशास्त्र एवं शासन के बारे में विश्व की समझ को परिवर्तित करना तथा समानता, न्याय, प्रभावशीलता एवं लोकतंत्र पर विशेष जोर देना
- तीन स्तंभों पर आधारित : विश्लेषण, सामाजिक संवाद एवं एक कार्रवाई एजेंडा
हालिया जारी रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- रिपोर्ट का शीर्षक : ‘जल का अर्थशास्त्र : जलविज्ञान चक्र का वैश्विक साझा हित के रूप में महत्व’ (The Economics of Water : Valuing the Hydrological Cycle as a Global Common Good)
- वैश्विक जी.डी.पी. का नुकसान : जल की कमी से वैश्विक जी.डी.पी. की क्षति वर्ष 2050 तक 8% तक पहुंच सकती है, जिसमें निम्न आय वाले देशों को 15% तक का नुकसान हो सकता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र का व्यापक क्षरण : दशकों से अनुचित जल प्रबंधन और मीठे पानी के संसाधनों के कम मूल्यांकन के कारण पारिस्थितिकी तंत्र का व्यापक क्षरण हुआ है तथा जल स्रोत दूषित हो गए हैं।
- सामाजिक ह्रास : असुरक्षित जल एवं खराब स्वच्छता स्थितियों से संबंधित बीमारियों से प्रतिदिन पाँच वर्ष से कम आयु के 1,000 से अधिक बच्चों की मौत होती हैं जबकि महिलाएँ एवं बालिकाएँ प्रतिदिन 200 मिलियन घंटे पानी एकत्रित करने में व्यतीत करती हैं।
- कृषि प्रणालियों में मीठे जल की कमी हो रही है और जलभृत (Reservoir) की कमी के कारण कई शहर डूब रहे हैं।
- खाद्य उत्पादन का खतरा : जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न संकट दुनिया के आधे से अधिक खाद्य उत्पादन को खतरे में डाल सकता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां जल की उपलब्धता अस्थिर है।
- ऐसे क्षेत्रों में लगभग तीन अरब लोग निवास करते हैं जिससे मानव सुरक्षा एवं खाद्य प्रणालियाँ खतरे में हैं।
- हरित जल की अनदेखी : रिपोर्ट का एक मुख्य निष्कर्ष यह है कि वर्तमान जल प्रबंधन प्रथाओं ने ‘हरित जल’ (Green Water) के महत्त्व को नजरअंदाज कर दिया है जो मृदा व पौधों के जीवन में नमी को संदर्भित करता है।
- यद्यपि वर्षा प्रतिरूप को बनाए रखने और पारिस्थितिकी तंत्र को सहारा देने में हरित जल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है किंतु नदियों, झीलों एवं जलभृतों जैसे अधिक दृश्यमान स्रोतों के प्रबंधन के पक्ष में इसे काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया गया है।
रिपोर्ट में प्रस्तावित प्रमुख सुझाव
- हरित जल का संरक्षण : वर्षा को स्थिर करने, जलवायु परिवर्तन को कम करने और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ‘हरित जल’ को संरक्षित करना आवश्यक है।
- बहुआयामी सुधार : कृषि क्षेत्र में जल दक्षता में सुधार, प्राकृतिक आवासों का संरक्षण, चक्रीय जल अर्थव्यवस्था (Circular Water Economy) को बढ़ावा देने, सतत नवाचार को प्रोत्साहित करने और सभी के लिए स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित करके खाद्य प्रणालियों में क्रांतिकारी बदलाव का प्रस्ताव दिया गया है।
- कृषि प्रणालियों में सुधार : कृषि में जल उपयोग को एक-तिहाई तक कम करना, फसल की पैदावार बढ़ाना और वर्ष 2050 तक वैश्विक फसल भूमि के 50% हिस्से पर पुनर्योजी कृषि प्रणालियों (Regenerative Agriculture Systems) की ओर परिवर्तन को बढ़ावा देना होगा।
- जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों का संरक्षण एवं पुनर्स्थापन : ‘हरित जल’ प्रवाह को पुनर्जीवित करने और वर्षा प्रतिरूप को स्थिर करने के लिए 30% क्षरित वनों एवं अंतर्देशीय जल पारिस्थितिकी प्रणालियों के पुनर्स्थापन का आह्वान किया गया है।